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बड़ा घोटाला है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: पी साईंनाथ पटना : वर्तमान सरकार की नीतियां किसान विरोधी हैं. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना बड़ा घोटाला है. इसमें 65 हजार करोड़ का घोटाला हुआ है. सरकार ने कई प्राइवेट कंपनियों को फसल बीमा योजना देने का काम दे दिया है. किसानों की समस्या पर बात करने के […]
बड़ा घोटाला है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: पी साईंनाथ
पटना : वर्तमान सरकार की नीतियां किसान विरोधी हैं. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना बड़ा घोटाला है. इसमें 65 हजार करोड़ का घोटाला हुआ है. सरकार ने कई प्राइवेट कंपनियों को फसल बीमा योजना देने का काम दे दिया है. किसानों की समस्या पर बात करने के लिए कोई तैयार नहीं है.
देश का 22 प्रतिशत जीडीपी 121 अरबपतियों के पास है. किसानों की आय तो अब प्रत्येक दिन के हिसाब से 161 रुपये से भी नीचे आ गयी है. इसीलिए किसानों पर बात होनी चाहिए. उनकी समस्या को सुनी जानी चाहिए. उनको जरूरतों के अनुसार मदद मिलनी चाहिए. इसलिए जरूरी है कृषि एवं किसानी संकट पर संसद के 21 दिवसीय विशेष सत्र की. यह बातें गांधी संग्रहालय में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पी साईंनाथ (संस्थापक संपादक पीपुल्स आरकाईव ऑफ रूरल इंडियाएवं ग्रामीण मामलों के विशेषज्ञ) ने कही.
कार्यक्रम का आयोजन नेशन फॉर फार्मर (किसानों के साथ देश समूह) अपने बिहार के किसान संगठनों तथा गैर किसान संगठनों जैसे तत्पर फाउंडेशन, सनमत, इंडियन सोसाइटी फॉर कल्चरल कॉपरेशन, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, समग्र शिक्षण एवं विकास संस्थान, केदार दास इंस्टीट्यूट फॉर लेबर एंड सोशल स्टडी, बिहार महिला समाज और भारतीय जन नाट्य संघ की ओर से किया गया था.
पी साईंनाथ ने फसल बीमा के बारे में महाराष्ट्र का उदाहरण देते कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की ओर से प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनी को काफी मोटी रकम दी जाती है. उन्होंने कहा रिलायंस ने बैठे-बैठे महाराष्ट्र के एक जिले से किसानों के फसल बीमा का भुगतान करने के बाद भी 143 करोड़ रुपये कमाये. किसानों को 30 करोड़ रुपये भुगतान के रूप में बांटे.
आत्महत्या के आकड़ों को छुपा रही सरकार
खेती पर संकट गहराता जा रहा है. देश भर में किसान आत्महत्या कर रहे हैं. हाईब्रिड बीज के साथ महंगी होती खेती इसका कारण है. पानी के साथ अन्य समस्या बढ़ती जा रही है. यह दुखद बात है.
सरकार ध्यान नहीं दे रही है. पिछले 20 सालों में हर दिन दो हजार किसान खेती छोड़ रहे हैं. ऐसे किसानों की संख्या लगातार घट रही है जिनकी अपनी खेतीहर जमीन हुआ करती थी और ऐसे किसानों की संख्या बढ़ रही है जो किराये पर जमीन लेकर खेती कर रहे हैं. इन किरायेदार किसानों में 80 प्रतिशत कर्ज में डूबे हुए हैं. किसान धीरे-धीरे कॉरपोरेट घरानों के हाथों अपनी खेती गंवाते जा रहे हैं.
वर्तमान सरकार किसान आत्महत्या से जुड़े आंकड़े सार्वजनिक नहीं करना चाहती. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार पिछले बीस साल यानी 1995 से 2015 के बीच 3.10 लाख किसानों ने आत्महत्या की. पिछले दो साल से किसान आत्महत्या के आंकड़ों को जारी नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि 29 और 30 नवंबर को हम संसद मार्च का आयोजन कर रहे हैं.
29-30 को पटना में भी होगा विरोध-प्रदर्शन
कार्यक्रम को सत्यनारायण सिंह, अनामिका, रविंद्रनाथ, गोपाल कृष्ण, तनवीर अख्तर, उजज्वल, राजा राम, मनोज, डॉ सत्यजीत, मोहन झा, प्रवीण प्रकाश, संजीव के साथ अन्य लोगों के अपनी बातें कही.
सभी लोगों ने अपील की कि संसद के 21 दिन के विशेष सत्र की मांग को ले देश के किसान और खेतिहर मजदूर संगठन 29-30 नवंबर को संसद के समक्ष व्यापक जुटान में शामिल हो. वहीं आयोजन कर्ता ने कहा कि 29 को डाकबंगला और 30 को बुद्धा स्मृति पार्क के पास कैंपेन किया जायेगा और दिल्ली में हो रहे मार्च का समर्थन किया जायेगा.
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