25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पांचवें दिन भी चला ऑपरेशन, पर नहीं मिला दीपक का सुराग, स्थानीय लोगों ने कहा, 40 वर्षों में नौ बच्चे चढ़ा उस नाले की भेंट

नाले में गैस के कारण 10 मीटर तक ही जा सकी टीम पटना : शनिवार की दोपहर 1:30 बजे 10 वर्षीय दीपक के राजेश पथ स्थित संप हाउस के आउट फॉल चेंबर में गिरने के बाद से अब तक कुछ पता नहीं चल पाया है. बच्चे की तलाश में जिला प्रशासन व नगर निगम के […]

नाले में गैस के कारण 10 मीटर तक ही जा सकी टीम
पटना : शनिवार की दोपहर 1:30 बजे 10 वर्षीय दीपक के राजेश पथ स्थित संप हाउस के आउट फॉल चेंबर में गिरने के बाद से अब तक कुछ पता नहीं चल पाया है. बच्चे की तलाश में जिला प्रशासन व नगर निगम के साथ-साथ एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीम लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है. बुधवार को पांचवें दिन भी सुबह से देर रात्रि तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलता रहा. लेकिन, लापता बच्चे का सुराग रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी टीम के हाथ नहीं लगा.
वहीं, घटना के दिन से ही पुलिसिया जांच भी शुरू की गयी थी. पुलिस ने आसपास के घरों में लगे सीसीटीवी के फुटेज को दिखा, जिसमें दो बच्चे खेलते हुए देखे जा रहे हैं. पर आउट फॉल की बाउंड्री पर एक बच्चा ही दिख रहा है. पुलिसिया जांच में भी पुष्ट हो गया है कि बच्चा आउट फॉल चेंबर में गिरा है. हालांकि, घटना के पांचवें दिन तक लापता बच्चा बरामद नहीं किया जा सका.
एनडीआरएफ व एसडीआरएफ जवानों को भी नहीं मिली सफलता: मंगलवार की रात में डीसिल्टिंग मशीन के सहयोग से नाले की सफाई की गयी.
नाला साफ होने के बाद डीसिल्टिंग मशीन पर कार्यरत कर्मी करीब 10 मीटर तक नाले में घुसा, लेकिन गैस होने की वजह से आगे नहीं जा सका. फिर रात के 2:30 बजे तक नाले की सफाई की गयी. बुधवार की सुबह 10 बजे से ऑपरेशन शुरू किया गया. एसडीआरएफ के दो जवान निगम सफाई कर्मी के साथ नाले में उतरे, पर 10-15 फुट से लौट आये.
बच्चे की आस में मां पहुंची राजेश पथ : निगम व जिला प्रशासन घटना के दिन से लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहा है. वहीं, लापता बच्चे के मां-पिता घर में रो-रो कर दिन-रात परेशान हो रहे हैं. बुधवार की सुबह लापता बच्चे की मां बच्चे की आस में राजेश पथ स्थित चेंबर के पास पहुंची और वहीं बैठ कर घंटों इंतजार करने लगी. मां तीन-चार घंटे तक चेंबर के समीप ही बैठी रही. बाद में स्थानीय लोगों व पड़ोसियों ने उसे घर पहुंचाया.
नाले हुए ओवरफ्लो
एसडीआरएफ के दो डीप ड्राइवर नाले में घुसे और वापस लौट गये. इसके बाद निगम के कार्यपालक अभियंता अविनाश कुमार सिंह ने रणनीति के तहत संप हाउस के दो मोटरों को चलाया, ताकि नाले में तेज पानी की धारा बहायी जाये. दिन के 12:05 बजे से संप हाउस के मोटर को चलाया गया और एक घंटे तक मोटर चलता रहा. नाले में तेज पानी के बहाव के साथ-साथ नाला तोड़े गये स्थान से पानी ओवर फ्लो करने लगा. इससे सड़क व आसपास में जलजमाव की स्थिति बन गयी.
इस पानी के तेज बहाव में भी बच्चा नहीं मिला. की गयी सफाई डीसिल्टिंग मशीन से नाले की सफाई होने के बाद पांच-सात मीटर में थर्मोकोल व कचरा फंसा है, जिससे होकर आ-जा नहीं सकते है. नाले में गाद होने की वजह से शाम 4:35 बजे डीसिल्टिंग मशीन से नाले की सफाई शुरू की गयी. इसके साथ ही निगम के सफाई कर्मी ने रस्सी व बांस की बत्ती के सहारे नाले की सफाई शुरू किया, जो रात के आठ बजे तक चलता रहा. इसके बाद भी ऑपरेशन चलता रहा. रणनीति पर रणनीति बदली जा रहा है. लेकिन, सफलता नहीं मिल पा रही है.
पटना. 70 के दशक में राजेश पथ स्थित आउट फॉल चेंबर बनाया गया और चेंबर से दो दिशाओं में नाला निकाला गया. लेकिन, 1984 में पीएचईडी के सहयोग से पानी के बहाव को देखते हुए नया नाला निर्माण किया गया.
इस नाले की जानकारी नहीं बीआरजेपी के पास है और नहीं नगर निगम के पास. निर्माण के बाद से ही नक्शा कहां गया, नाले की मेंटेनेंस किसके अधीन है. यह जिम्मेदारी तय नहीं की गयी. निर्माण के बाद से ही नाले को भगवान के भरोसे छोर दिया गया. स्थिति यह है कि नाले की सफाई तो दूर, आउट फॉल चेंबर से आनंदपुरी नाले तक नक्शा भी नहीं है.
…अब 10 वर्षीय बच्चा दीपक नाले में गिर कर लापता है, तो बीआरजेपी, नगर निगम और विभाग की नींद खुली है, तो नक्शा बनाने के साथ-साथ रेस्क्यू ऑपरेशन किया जा रहा है.
– 50 मीटर में निकला चार टैंकर कचरा : बच्चे की
तलाश को लेकर डिसेल्टिंग मशीन के सहयोग से नाले के भीतर जमे सिल्ट को ढीला किया गया, ताकि पानी के बहाव के साथ बच्चा चेंबर तक पहुंच सके. लेकिन, रेस्क्यू टीम को सफलता नहीं मिली. इसके बाद से डिसेल्टिंग मशीन से 50 मीटर नाले की सफाई की गयी, तो चार टैंकर कचरा निकला. इसके बावजूद मंगलवार को प्लास्टिक बेबी पानी के बहाव के साथ तोड़े गये नाले तक नहीं निकला. इसका वजह है कि नाले में अब भी सिल्ट व कचरा भरा पड़ा है.
नाला सफाई पर किया गया सात करोड़ खर्च
मॉनसून के दौरान राजधानी में जलजमाव की समस्या नहीं बने. इसको लेकर निगम प्रशासन एक-एक बड़े-छोटे और भूगर्भ नालों की सफाई कराता है. इस सफाई पर साढ़े सात करोड़ रुपये खर्च किये गये. लेकिन, भ्रष्टाचार के खेल में किस तरह नाले की सफाई की गयी. इसका अंदाजा नाले से निकल रहे कचरा से लगाया जा सकता है.
हालांकि, निगम प्रशासन का कहना है कि निगम क्षेत्र के 99 नाले की सफाई हम करते हैं, तो एक नाले की सफाई क्यों नहीं कर सकते है. इसका मतलब है कि इस नाले की जानकारी निगम के पास नहीं थी. वहीं, बीआरजेपी के अभियंता कहते है कि बीआरजेपी निर्माण एजेंसी है. इसके अलावा कुछ नहीं.
पटना : स्थानीय लोगों का दावा, 40 वर्षों में नौ बच्चे चढ़ चुके हैं उस नाले की भेंट
पटना : बीते तीन दिनों से संप हाउस के आउटफॉल में गिरे बच्चे को निकालने के लिए तमाम प्रयास किये जा रहे हैं. पहले रेस्क्यू ऑपरेशन की शुरुआत करने में भले ही थोड़ी देर हुई थी, लेकिन अब एनडीआरएफ और एसडीआरफ के साथ नगर निगम की टीम अपने स्तर से पूरा सहयोग कर रही है.
मंगलवार को नगर निगम ने एक और तरकीब निकाली. निगम के अभियंताओं ने सोमवार की रात पुराने स्थानीय लोगों से बात की और जब संप हाउस का निर्माण किया गया था, उस समय काम करने वाले एक रिटायर्ड कर्मी से संपर्क किया और सुबह तक एक नजरीय नक्शा तैयार किया. इसमें यथासंभव आउटफॉल से आनंदपुरी नाले तक जाने वाले अंडरग्राउंड नाले का रूट तैयार किया गया. फिर इसके बाद पूरे दिन उसी के आधार पर खोजबीन होती रही, मगर सरकारी एजेंसियों को कोई सफलता हाथ नहीं मिली और तमाम प्रयास करने के बाद भी दीपक का कोई पता नहीं चल सका.
लील चुका है नाला
उधर स्थानीय लोगों की मानें, तो बीते 40 वर्षों में दीपक के नाले में डूबने जैसी घटना कोई नयी नहीं हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इस संप का निर्माण कब किया गया. किस विभाग ने किया. इसका कोई लिखित दस्तावेज नगर निगम, बिहार राज्य जल पर्षद से लेकर अन्य किसी विभाग के पास नहीं है.
कुछ लोग इसका निर्माण कार्य 1973 में होने की बात कह रहे हैं, जबकि कुछ लोगों के अनुसार 1980 के दशक में इसका निर्माण किया गया था. संप के ठीक सामने सड़क के उस पास रहने वाले राजेश कुमार ने अनुसार इस तरह की घटना कोई नयी नहीं है. अब तक इसमें नौ बच्चों की जान जा चुकी है. एक व्यक्ति भी एक बार इस नाले में गिरा था. जबकि छह वर्ष पहले एक बच्ची गिरी थी, जिसकी लाश सीधे आनंदपुरी खुले नाले में मिली थी, लेकिन तब इतना हल्ला नहीं मचा. बात आयी-गयी हो गयी थी.
– जानवरों को मार कर इस नाले में फेंकते हैं लोग : उस खुले संप
हाउस के आउटफाॅल का गलत उपयोग पहले से किया जाता रहा है. स्थानीय लोगों के अनुसार पास के रेलवे ट्रैक पर खटाल के लोग बछड़े या भैंस के बच्चे को मार कर उसमें फेंक देते हैं. इसके अलावा आसपास जब भी कोई जानवर मर जाता है तो इसे लोग इसी नाले में फेंक देते रहे हैं. नाला साफ करने के दौरान बछड़ा और बकरी की लाश भी मिल चुकी है. आपराधिक घटनाओं के बाद शव खपाने को भी नाले में लाश फेंके जाते रहे हैं.
– अार्थिक मदद को लेकर ऊहापोह में प्रशासन : इधर दीपक के परिवार को आर्थिक मदद को लेकर जिला प्रशासन ऊहापोह में हैं. जिलाधिकारी कुमार रवि ने बताया कि जब तक कुछ ठोस बातें सामने नहीं आतीं, तब तक कुछ भी कहा नहीं जा सकता है. दीपक के बारे में अगर कुछ जानकारी नहीं मिलती, तो प्रशासन द्वारा उसके परिवार को सरकारी योजनाओं के अनुसार मदद देने का पूरा प्रयास किया जायेगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें