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पटना : अवकाश नहीं मिलने से हुई मौत के आरोप को किया खारिज

महिला सिपाही की मौत का मामला, सहयोगी ने मौखिक सूचना दी थी, सार्जेंट मेजर ने कहा था देखभाल करें पटना : प्रशिक्षु महिला सिपाही सरिता पाठक की बीमारी से मौत और हंगामे के बीच यह आरोप लगाया गया था कि बीमार होने के बावजूद उससे काम लिया गया और अवकाश नहीं देने से उसकी मौत […]

महिला सिपाही की मौत का मामला, सहयोगी ने मौखिक सूचना दी थी, सार्जेंट मेजर ने कहा था देखभाल करें
पटना : प्रशिक्षु महिला सिपाही सरिता पाठक की बीमारी से मौत और हंगामे के बीच यह आरोप लगाया गया था कि बीमार होने के बावजूद उससे काम लिया गया और अवकाश नहीं देने से उसकी मौत हुई.
इस संबंध में आईजी के आदेश पर अवकाश के संबंध में जांच कर रहे ट्रैफिक एसपी पीएन मिश्रा ने इन आरोपों को खारिज किया है. उन्होंने कहा कि महिला सिपाही सरिता पाठक को सितंबर महीने में 4 दिन का आकस्मिक अवकाश एवं अक्टूबर माह में तीन दिन का सिक लीव स्वीकृत किया गया था. इस बार कोई आवेदन नहीं दिया गया. 31 अक्टूबर, 2018 को कारगिल चौक पर सरिता ने ड्यूटी की. 1 नवंबर, 2018 को आयोजित मासिक परेड में उनके बारे में किसी ने चर्चा नहीं की. महिला सिपाही ज्योति कुमारी ने दिन में सार्जेंट मेजर यातायात को सूचना दी कि सरिता पाठक की तबीयत ज्यादा खराब है, वह ड्यूटी नहीं आ सकती हैं. ट्रैफिक एसपी का कहना है कि मौखिक सूचना पर ही सार्जेंट मेजर ने ज्योति से कहा था कि तुम साथ में रहो और देखभाल करो. इसके बाद 1 नवंबर की रात को हालत गंभीर होने की सूचना प्राप्त हुई.
दो नवंबर को वरीय पदाधिकारी व सार्जेंट मेजर यातायात अस्पताल पहुंचे थे. उन्होंने महिला सिपाही की मौत को महज संयोग बताया है. यहां बता दें कि 2 नवंबर को महिला सिपाही की मौत के बाद उसके घरवालों ने यह आरोप लगाया था कि बीमारी के बावजूद अवकाश नहीं दिया गया. इसलिए मौत हुई है, लेकिन ट्रैफिक एसपी ने इस आरोप को खारिज किया है. उन्होंने घटना पर दुख जाहिर किया है और इसे महज संयाेग बताया है.
इन बिंदुओं पर ट्रैफिक एसपी ने दी सफाई
30 अगस्त, 2018 को कुल 228 प्रशिक्षु महिला सिपाही ने ट्रैफिक में योगदान दिया. इसमें दो माह के बीच सभी ने 4 दिन विशेष अवकाश उपभोग किया है.
160 महिला सिपाहियों ने दो से 10 दिनों तक आकस्मिक अवकाश और एक से दो दिन अनुमति अवकाश लिया है.
1 नवंबर, 2018 को आयोजित परेड के बाद 19 प्रशिक्षु महिला सिपाहियों को अवकाश स्वीकृत किया गया, जिनमें 12 प्रशिक्षु महिला सिपाहियों ने अावश्यकतानुसार व परिस्थितियों को देखते हुए स्वीकृत अवकाश में प्रस्थान किया.
नियमानुसार प्रशिक्षु महिला को यह अवकाश परिचारी प्रवर ट्रैफिक एवं ट्रैफिक एसपी के स्तर से दिया जाता है.
जबकि उपार्जित अवकाश अभी देय नहीं है. इसके अतिरिक्त नियमों से अलग हट कर 50 से अधिक महिला सिपाहियों को 3 से 7 दिन तक का सिक लीव भी दिया गया है.
परवाना पत्र दिखा सिपाही खुद को बता रही निर्दोष
दो नवंबर को पुलिस लाइन में हुई हिंसा के बाद बर्खास्त की गयीं कुछ महिला सिपाहियों ने खुद को निर्दोष बताया है. उनका कहना है कि उनकी ड्यूटी दूसरी जगह लगी थी, फिर भी उन पर कार्रवाई की गयी है.
वह परवाना पत्र दिखा रही हैं, जो पुलिस लाइन से उन्हें मिला है. गुरुवार को पूजा कुमारी समेत कई बर्खास्त महिला सिपाही एसएसपी कार्यालय पहुंची थीं. इसमें दो का कहना था कि 1 नवंबर को ही खगौल में स्कूल पर उनकी ड्यूटी लगी थी. पुलिस लाइन से ड्यूटी का परवाना भी कटा था, जो उनके पास है. दो नवंबर को घटना के दौरान उन्हें जब पुलिस लाइन से गाड़ी नहीं मिली, तो वे ऑटो से खगौल ड्यूटी पर चली गयीं. इसके बावजूद उन पर कार्रवाई की गयी है. ऐसी कई महिला सिपाही हैं.
प्रेसवार्ता के बाद ट्रैफिक एसपी को शोकॉज
महिला सिपाही की मौत और हिंसा के बाद अवकाश के संबंध में मामले की जांच कर रहे ट्रैफिक एसपी पीएन मिश्रा ने गुरुवार को पत्रकारवार्ता बुलाया था. इस दौरान उन्हाेंने मीडिया के सामने प्रशिक्षु महिला सिपाहियों के अवकाश के संबंध में पूरी जानकारी दी और बीमारी के बावजूद अवकाश नहीं देने से सरिता पाठक की मौत होने के आरोप को खारिज किया. उन्होंने इस घटना को महज संयोग बताया.
वहीं शाम को जब आईजी नय्यैर हसनैन खान को इसकी जानकारी मिली तो वह बेहद नाराज हुए. आईजी ने ट्रैफिक एसपी को शो कॉज किया है और पूछा है कि मामले की जांच जब चल रही है तो किसी के आदेश पर उन्होंने प्रेसवार्ता किया. इस संबंध में उनसे जवाब मांगा गया है.
वहीं एसएसपी मनु महाराज से भी इस संबंध में रिपोर्ट मांगी गयी है. पुलिस लाइन में हुई हिंसा मामले में आईजी के आदेश पर जांच कर रहे एसएसपी मनु महाराज ने कुछ और पुलिसकर्मियों की पहचान की है. इसमें 70 लोगों की पहचान होने की बात कही जा रही है. यह लोग भी फुटेज के आधार पर पहचाने गये हैं.

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