एयरपोर्ट ऑथोरिटी ने जाड़े से पहले विशेष प्रबंध का लिया था निर्णय
पटना : पिछले दिसंबर-जनवरी में कुहासे और कम दृश्यता के कारण पटना एयरपोर्ट से दर्जनों फ्लाइट देर से उड़े और टर्मिनल में क्षमता से कई गुणा अधिक यात्रियों की भीड़ के कारण बहुत परेशानी हुई.
आगे इस तरह की परेशानी से बचने के लिए फरवरी 2018 में एयरपोर्ट आॅथोरिटी ने अस्थायी निर्माण से सेक्यूरिटी होल्ड एरिया का विस्तार करने और डिपार्चर से 2 घंटा पहले एयरपोर्ट पहुंचे यात्रियों की सुविधा के लिए कैनोपी एरिया को भी बढ़ाने का निर्णय लिया था. मार्च में इसका टेंडर निकलना था अौर छह महीने में काम पूरा होना था. घोषित अवधि पूरी हो चुकी है और अगले महीने से जाड़ा भी शुरू होने वाला है, लेकिन अब तक काम पूरा नहीं हुआ. यह स्थिति बनी रही तो तेज जाड़ा और घने धुंध का मौसम शुरू होने पर यात्रियों को पिछले वर्षों की तरह इस वर्ष भी परेशानी झेलनी पड़ेगी.
एसएचए से नहीं जुड़ा लांज
एयरपोर्ट ऑथोरिटी के द्वारा लिए गये निर्णय के अनुसार एसएचए में 1000 वर्ग मीटर का अतिरिक्त विस्तार होना था. इसमें 30 मीटर लंबा और 5 मीटर चौड़ा केबिन फर्स्ट फ्लोर पर बन कर तैयार है, जिसमें 180 लोग बैठ सकते हैं.
ग्राउंड फ्लोर पर 25 मीटर लंबा और 25 मीटर चौड़ा फेब्रिकेटेड स्ट्रक्चर भी बन कर इस्तेमाल किया जाने लगा है, जिसमें 360 लोगों के बैठने की क्षमता है. सेक्यूरिटी होल्ड एरिया के क्षेत्रफल विस्तार के लिए शेरेमोनियल लांज को भी उससे मिलाने का निर्णय लिया गया था. इससे उसका क्षेत्रफल लगभग 200 वर्गमीटर बढ़ जायेगा. लेकिन अब तक इस काम को पूरा नहीं किया गया है. पुराने शेरेमोनियल लांज के बगल में नया शेरेमोनियल लांज भी बनना है, लेकिन वह काम भी अब तक पूरा नहीं हुआ है.
कैनोपी का विस्तार भी नहीं हुआ शुरू
पटना एयरपोर्ट पर अब तक कैनोपी एरिया का विस्तार कार्य भी शुरू
नहीं हुआ है. यहां स्टील फ्रेम पर आधारित 15 मीटर लंबी और 8 मीटर चौड़ी कुल 120 वर्गमीटर में फैली संरचना बननी है. लेकिन लंबे प्रयास के बावजूद अब तक कैनोपी एरिया का विस्तार कार्य शुरू नहीं हुआ है और अभी टेंडर प्रक्रिया ही चल रही है.
जाड़े में छह-सात घंटे ही हो पाता परिचालन
दिसंबर-जनवरी में पटना एयरपोर्ट पर दोपहर 12-1 बजे के बाद ही धुंध छंटता है और दृश्यता 1200 मीटर के ऊपर पहुंचती है. इस वजह से इस समय के बाद ही विमान का लैंडिंग और टेक ऑफ शुरू होता है. शाम सात-आठ बजे तक धुंध के घने होने से दृश्यता गिर कर 1200 मीटर के नीचे चली जाती है और विमानों का परिचालन बंद करना पड़ता है.
केवल सात-आठ घंटे ही परिचालन होने के कारण दर्जनों विमान विलंबित हो जाते हैं और उनके यात्रियों का एयरपोर्ट पर जमावड़ा हो जाता है. चेकइन और सेक्यूरिटी होल्ड एरिया में क्षमता से पांच-छह गुना तक अधिक यात्रियों की भीड़ लग जाती है. इससे यात्रियों को परेशानी होती है. उन्हें बैठने के लिए कुर्सियां तक नहीं मिल पाती और जमीन पर बैठना या लेटना पड़ता है. वहीं दूसरी ओर टर्मिनल भवन की व्यवस्था को नियंत्रित करने में एयरपोर्ट ऑथोरिटी और सीआईएसएफ कर्मियों के पसीने भी छूटते हैं.