पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को 15वें वित्त आयोग के समक्ष कहा कि बिहार का विकास अन्य राज्यों से अलग है. इसके विकास के लिए स्पेशल कैटेगरी की आवश्यकता है. यहां हाशिये पर रहनेवाले लोगों को मुख्यधारा में लाने का काम किया जा रहा है. राज्य में व्यक्तिगत काम से लोगों की आमदनी बढ़ी है, जो आंकड़ों में प्रतीत नहीं होती.
यहां प्रतिव्यक्ति आय एवं जीएसडीपी में उतनी वृद्धि नहीं है, क्योंकि बिहार की परिस्थिति अलग है. मुख्यमंत्री ने सवालिया लहजे में कहा कि क्या सिर्फ मल्टीस्टोरी बिल्डिंग, मॉल व इंडस्ट्री स्थापित कर लेना ही विकास है. राज्य सरकार का लक्ष्य है कि लोगों को बुनियादी सुविधाएं मिले, यही विकास के मायने हैं. बिहार लैंडलॉक्ड स्टेट है.
यहां अन्य समुद्र तटीय राज्यों की तरह इंडस्ट्री और ट्रेड के लिए इन्वेस्टमेंट नहीं है. यह राज्य को स्पेशल कैटेगरी मिलने से ही संभव है. मुख्यमंत्री ने कहा कि 15वां वित्त आयोग व्यावहारिकता के आधार पर बिहार के लिए निर्णय करें. मुख्यमंत्री ने आयोग को मेमोरेंडम सौंपा.
मुख्यमंत्री बिहार आयी 15वें वित्त आयोग की टीम व उसके अध्यक्ष एनके सिंह के सामने राज्य का पक्ष रखते हुए कहा कि हाशिये पर रह रहे व्यक्ति को मुख्यधारा में लाना गांधी की भी अवधारणा थी.
आर्थिक विकेंद्रीकरण द्वारा इसे और आसान बनाया जा सकता है. जो राज्य पिछड़े हैं, वहां संसाधनों की कमी है. वहां अन्य राज्यों की तरह इक्वेलिटी और इक्वेलाइजेशन के आधार पर संसाधन का वितरण करना उचित नहीं है.
इसके कारण जो राज्य पिछड़े हैं, पिछड़ते ही चले जायेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राज्य सरकार को भी राशि खर्च करनी पड़ती है, यह उचित नहीं है. राज्य सरकार स्टेट हाइवे का निर्माण एवं बेहतर रखरखाव के लिए खर्च कर रही है. एनएच को ठीक करने के लिए 970 करोड़ की राशि पहले खर्च कर चुकी है जो राज्य सरकार को अब तक नहीं मिली है.
बजट आकार में की गयी वृद्धि
उन्होंने कहा कि 2005 में राज्य का बजट 30 हजार करोड़ का था, जाे अब एक लाख 80 हजार करोड़ का हो गया है. राज्य सरकार कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना सभी क्षेत्रों में काम कर रही है. राज्य में जमीन की दर बढ़ी है. कृषि क्षेत्र आवासीय क्षेत्र में तब्दील हो रहा है. इससे जमीन के अधिग्रहण की समस्या हो रही है.
आपदा पीड़ित राज्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार आपदा पीड़ित राज्य है. यहां बाढ़ नेपाल, यूपी व मध्यप्रदेश की नदियों से आती है. राज्य का 70% क्षेत्र बाढ़ से ग्रस्त रहता है. यह भूकंप जोन में भी आता है. आपदा के लिए केंद्र 500 करोड़ देता है.
इसे भी बढ़ाने की जरूरत है. 2017 में बाढ़ से पीड़ित 18 लाख परिवारों पर 2400 करोड़ राज्य सरकार ने अपनी तरफ से खर्च किये थे. राज्य सरकार हादसे और आपातकालीन घटनाओं के लिए मुआवजे के तौर पर चार लाख तक की राशि 24 घंटे के अंदर उपलब्ध कराती है. बिहार आपदा पीड़ित राज्य है, इसके लिए भी विचार किया जाना चाहिए.
स्वास्थ्य, शिक्षा व पंचायती राज सेवाओं में किया गया सुधार
प्राइमरी हेल्थ सेंटर पर 2006 में एक माह में 39 मरीज इलाज के लिए आते थे. आज उनकी संख्या 11 हजार तक पहुंच गयी है. यहां जनसंख्या का घनत्व अधिक है. बेहतर सुविधा के लिए कई काम राज्य सरकार अपने फंड से कर रही है.
हर पंचायत में प्लस टू स्कूल खोलने की योजना पर काम किया जा रहा है. राज्य सरकार अपने फंड से 1,200 पंचायतों में प्लस टू स्कूल खोल चुकी है. 7200 पंचायतों में स्कूल खोलने के लिए आठ-नौ हजार करोड़ की आवश्यकता है. राज्य सरकार ने बजट से 1100 पंचायतों में पंचायत सरकार भवन बनवाया है. शेष पंचायतों में पंचायत सरकार भवन बनाने के लिए और पैसे की आवश्यकता है, इस पर भी विचार करना होगा.
बिहार के बैंकों में जमा पैसा दूसरे राज्यों में हो रहा है खर्च
मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां का क्रेडिट-डिपोजिट रेशियो कम है. लोग ज्यादातर पैसा बैंक में ही जमा रखते हैं. लेकिन यहां के लोगों का पैसा बैंक जमा के रूप में स्वीकार कर दूसरे राज्यों के अमीरों को ऋण के रूप में दे रहा है.
बिजली कनेक्शन हर घर तक पहुंचा
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष के अंत तक हर घर तक बिजली का कनेक्शन उपलब्ध हो जायेगा. अगले वर्ष तक हर घर में शौचालय का निर्माण, अगले दो वर्ष में पाइप लाइन से शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में नल का जल उपलब्ध होगा और पक्की गली नाली का निर्माण पूरा लिया जायेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि 14वें वित्त आयोग ने सामान्य और विशेष राज्य के दर्जे में अंतर नहीं करने की बात कही थी, यह विरोधाभास है.
5वें वित्त आयोग को इस पर ध्यान देना चाहिए. प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत लाभुकों को 1.20 लाख की राशि मिलती है, लेकिन जिनके पास जमीन नहीं है, उन्हें इसका लाभ लेने के लिए राज्य सरकार अपनी तरफ से जमीन खरीदने के लिए 60 हजार रुपये दे रही है. इंदिरा आवास योजना के तहत बने पुराने और जर्जर मकानों को फिर से बनाने के लिए राज्य सरकार अपने तरफ से खर्च कर रही है. राज्य सरकार जीविका के माध्यम से महिलाओं का उत्थान कर रही है.
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी आयोग के समक्ष अपनी बातें रखीं. बैठक में आयोग के सदस्य शक्तिकांत दास, डाॅ अनूप सिंह, डाॅ अशोक लाहिरी, सचिव अरविंद मेहता व संयुक्त सचिव मुखमित सिंह भाटिया, डॉ रवि कोटा और आयोग के अन्य प्रतिनिधि शामिल हुए.
इस मौके पर राज्य सरकार के मंत्री, मुख्य सचिव दीपक कुमार सहित संबंधित विभागों के प्रधान सचिव व सचिव, अन्य वरीय पदाधिकारीगण उपस्थित थे. वित्त विभाग की प्रधान सचिव सुजाता चतुर्वेदी और सचिव वित्त (व्यय) राहुल सिंह ने विस्तृत प्रस्तुति दी.
इसलिए मिले स्पेशल कैटेगरी
राज्य का 70% क्षेत्र बाढ़ग्रस्त, हर साल नेपाल, यूपी व मध्यप्रदेश की नदियों की बाढ़ से भारी तबाही
लैंडलॉक्ड राज्य है बिहार, इसलिए तटीय राज्यों जैसा उद्योग व ट्रेड में निवेश में नहीं
हर पंचायत में पंचायत सरकार भवन व प्लस टू स्कूल का होना है निर्माण
इस वर्ष के अंत तक हर घर तक बिजली का कनेक्शन
वर्ष तक हर घर में शौचालय का निर्माण करने का लक्ष्य
दो वर्षों में शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध कराना है नल का जल
भूमिहीनों को अावास खरीदने के लिए दिये जा रहे Rs 60000
पुराने व जर्जर इंदिरा आवासों फिर से बनाने के लिए भी दी जा राशि
मुख्यमंत्री के सुझावों पर गौर करने की जरूरत : एनके सिंह
वित्त आयोग के समक्ष प्रस्तुतीकरण के बाद आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री ने महत्वपूर्ण और तार्किक सुझाव रखें हैं, जिन पर गौर करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बिहार के हित में जो भी होगा, आयोग गंभीरता से सहानुभूतिपूर्वक सकारात्मक विचार करेगा.