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पटना : इलाज के लिए घंटों इंतजार, मरीजों में मचा हाहाकार

पीएमसीएच में हड़ताल ने मरीजों को किया पस्त, कई मरीज डर के दूसरे अस्पताल में हुए शिफ्ट पटना : पीएमसीएच में डॉक्टरों की हड़ताल के साथ ही वार्डों में नर्स और वार्ड ब्वॉय भी नहीं दिखे. ऐसे में मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ा. अधिकांश वार्डों में इलाज व इंजेक्शन लेने के लिए मरीजों […]

पीएमसीएच में हड़ताल ने मरीजों को किया पस्त, कई मरीज डर के दूसरे अस्पताल में हुए शिफ्ट
पटना : पीएमसीएच में डॉक्टरों की हड़ताल के साथ ही वार्डों में नर्स और वार्ड ब्वॉय भी नहीं दिखे. ऐसे में मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ा. अधिकांश वार्डों में इलाज व इंजेक्शन लेने के लिए मरीजों को घंटे भर से ज्यादा इंतजार करना पड़ रहा था. कई ऑपरेशन टालने पड़े. हड़ताल समाप्त कराने के लिए प्रिंसिपल चेंबर में एक घंटे तक बैठक चली, लेकिन हड़ताल पर गये डॉक्टर नहीं माने.
वार्डों में हाहाकार : हड़ताल का सबसे ज्यादा असर भर्ती मरीज पर पड़ा. हर वार्ड में एक सीनियर डॉक्टर के साथ तीन-चार जूनियर डॉक्टरों को लगाया जाता है.
हड़ताल के कारण वार्ड सीनियर डॉक्टरों के सहारे रहे. इमरजेंसी ब्लॉक के दो वार्ड और एक सर्जिकल आईसीयू में डॉक्टरों की संख्या काफी कम थी. दोपहर तक सर्जिकल आईसीयू बिना जूनियर डॉक्टर के रही. आईसीयू, एचडीयू और जेनेटिक वार्ड भी सीनियर डॉक्टर के सहारे था. इंजेक्शन लगवाने, दवा देने और स्लाइन चढ़ाने जैसे काम के लिए भी मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ा.
एमसीआई के सामने ही हड़ताल : हड़ताल के दिन स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में मेडिकल काउंसिल की टीम सोमवार को निरीक्षण करने पहुंची थी. टीम की पड़ताल के दौरान कुछ जूनियर डॉक्टर ही काम करने पहुंची थीं, लेकिन हड़ताल करने वाले डॉक्टर उन्हें ड्यूटी से हटा ले गये थे. इस पर टीम के सदस्यों ने काफी नाराजगी जतायी.
वर्षवार आंकड़ा
वर्ष हड़ताल मौत
2008 07 300
2009 04 157
2010 03 135
2011 01 4520
2012 02 09
2013 01 00
2014 00 00
2015 01 14
2016 01 15
2017 02 54
2018 02 14
सीनियर डॉक्टर भी इमरजेंसी वार्ड में नहीं दिखे
हड़ताल की वजह से पीएमसीएच में पांच गंभीर ऑपरेशन टाल दिये गये. इससे मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ गया. इसके अलावा इमरजेंसी में छह मरीजों की मौत हो गयी. परिजनों का आरोप है कि हड़ताल के दौरान जूनियर डॉक्टर के साथ ही सीनियर डॉक्टर भी इमरजेंसी वार्ड में नहीं दिखे.
नतीजा जो गंभीर मरीज पहले से भर्ती हैं उनको समय पर इलाज नहीं मिल पाया और उनकी मौत हो गयी. इधर अस्पताल प्रशासन का कहना है कि पीएमसीएच में रोजाना पांच से 10 गंभीर मरीजों की मौत होती है. मरीज के परिजनों का आरोप गलत है कि हड़ताल की वजह से उनके मरीज की मौत हुई है.
क्या कहते हैं मरीज
मेरी मां पीएमसीएच में भर्ती थी. डॉक्टरों ने एमआरआई जांच के लिए बोला तो हम लोगों ने इमरजेंसी वार्ड में ले कर गये.एक वार्ड से दूसरे वार्ड तक ले जाने के क्रम में न तो स्ट्रेचर मिला और नहीं वार्ड ब्वॉय. ऐसे में मजबूरन गोद में उठा कर ले जाना पड़ा.
विनोद हड्डी के इलाज के लिए पीएमसीएच लेकर आये थे. गंभीर हालत को देखते हुए ओपीडी के डॉक्टरों ने इमरजेंसी में रेफर कर दिया. लेकिन जब इमरजेंसी वार्ड में आये तो हड़ताल के वजह से डॉक्टर नदारद मिले. इसको देखते हुए हमने दूसरे अस्पताल में ले जाना पड़ा.
अजय पांडे, मरीज के पिता
क्या कहता है जेडीए
मारपीट करने वालों को जब तक गिरफ्तार नहीं किया जाता और हमारी मांग को पूरा नहीं किया गया तो तब तक हड़ताल जारी रहेगी. मंगलवार को जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की बैठक है. बैठक में मांगों का प्रस्ताव बनाकर स्वास्थ्य विभाग को भेजा जायेगा. बैठक के बाद ही हड़ताल खत्म करने या नहीं करने पर फैसला लिया जायेगा.
डॉ शंकर भारतीय, अध्यक्ष जेडीए
आदित्य नाम के मरीज को गंभीर हालत में शिशु रोग विभाग में भर्ती कराया गया था. दिन में सुधार आने के बाद परिजन डिस्चार्ज कराने की जिद करने लगे, लेकिन हालत देखते हुए हमने रुकने को कहना. मैंने कहा कि एक दो दिन में मरीज पूरी तरह से ठीक हो जायेगा, लेकिन परिजन नहीं माने. परिजन डिस्चार्ज के साथ ही असली स्लिप व बीएसटी की डिमांड करने लगे. जबकि असली बीएसटी की जगह फोटो काफी देने की बात कही जा रही थी. इस पर परिजन मारपीट करने लगे.
डॉ दीनानाथ सिंह, जूनियर डॉक्टर
मारपीट की घटना निंदनीय है. इस घटना के बाद हमने जांच करायी तो इसमें परिजन ही दोषी पाये गये. मरीज की हालत पहले से ही खराब थी और परिजन तुरंत डिस्चार्ज के साथ ही बीएसटी की मांग कर रहे थे.
इतना ही नहीं डॉक्टर को देख कर साफ पता चलता है कि उसे बुरी तरह से पीटा गया है. रही बात मरीजों की इलाज की तो सिर्फ पांच ही ऑपरेशन टले हैं. बाकी सभी ऑपरेशन किये गये हैं. जिन मरीज की मरने की बात हो रही उनकी हड़ताल की वजह से मौत नहीं हुई है.
डॉ राजीव रंजन प्रसाद, अधीक्षक पीएमसीएच.
परिजन फरार, डॉक्टर भर्ती
जूनियर डॉक्टर दीनानाथ सिंह व मरीज के परिजनों के साथ मारपीट की घटना करीब एक घंटे तक शिशु वार्ड में होती रही. मरीज के परिजनों ने डॉ दीनानाथ को बुरी तरह से मारा. डॉक्टर के चेहरे पर गंभीर चोटें आयी हैं. आनन-फानन में उन्हें इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया. डॉक्टरों का कहना है कि दीनानाथ सिंह पहले से दिल के मरीज हैं और उनको स्टेंट भी लगाया गया है. उनको इमरजेंसी आईसीयू के बेड नंबर 4 पर भर्ती किया गया है.

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