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पटना : प्रदेश के 26 संग्रहालयों की देखभाल करने वाले नदारद

अलग-अलग उद्देश्यों व कालखंड की धरोहरों को अपने में समाहित किये हुए हैं कई संग्रहालय मौजूद पटना : राज्य में अलग-अलग उद्देश्यों और कालखंड की धरोहरों को अपने में समाहित किये हुए कई संग्रहालय मौजूद हैं. इसमें कुछ संग्रहालय सूबे की महान विभूतियों की जीवनी को भी समाहित करने वाले हैं. गांधी के जीवन दर्शन […]

अलग-अलग उद्देश्यों व कालखंड की धरोहरों को अपने में समाहित किये हुए हैं कई संग्रहालय मौजूद
पटना : राज्य में अलग-अलग उद्देश्यों और कालखंड की धरोहरों को अपने में समाहित किये हुए कई संग्रहालय मौजूद हैं. इसमें कुछ संग्रहालय सूबे की महान विभूतियों की जीवनी को भी समाहित करने वाले हैं. गांधी के जीवन दर्शन और चंपारण आंदोलन की गाथा को बताने वाला संग्रहालय भी पश्चिम चंपारण के भितिहरवा में मौजूद है. परंतु इन सभी संग्रहालयों में इसकी देखभाल करने वाले कर्मियों की काफी कमी है.
हालत यह है कि कुछ संग्रहालयों में तो इनकी देखभाल करने या संभालने वाले एक भी कर्मी नहीं हैं. राज्य में ऐतिहासिक और व्यक्तिगत महत्व वाले संग्रहालयों की संख्या 26 हैं. इन सभी संग्रहालयों में सभी स्तर के कर्मियों के स्वीकृत पदों की संख्या 275 है, जिसमें महज 88 पद ही भरे हुए हैं. शेष 187 पद खाली पड़े हुए हैं.
तृतीय और चतुर्थ वर्गीय कर्मियों के पदों पर वर्ष 1988 के बाद से किसी की बहाली नहीं हुई है. द्वितीय वर्ग के पदों पर वर्ष 2014 के बाद से किसी की बहाली नहीं हुई है. फिर भी जरूरत के अनुरूप पदाधिकारी नहीं मिले. संग्रहालय अध्यक्ष के 19 सृजित पदों में आठ ही भरे हुए हैं. इसमें अगर निदेशक और क्षेत्रीय निदेशक के पदों की संख्या को जोड़ दिया जाये, तो यह 21 हो जायेगा, जिसमें महज आठ ही भरे हुए हैं. पटना स्थित संग्रहालय में 79 स्वीकृत पदों में 49 पद खाली पड़े हैं.
चार संग्रहालयों में एक भी कर्मी नहीं
राज्य में चार संग्रहालय ऐसे हैं, जहां किसी भी पद पर एक भी कर्मी तैनात नहीं हैं. इसमें वैशाली स्थित चेचर संग्रहालय, पटना स्थित सूरज नारायण सिंह स्मृति संग्रहालय एवं ब्रज बिहारी प्रसाद स्मृति संग्रहालय और मुंगेर संग्रहालय शामिल हैं. चेचर ऐतिहासिक स्थल है, जहां पाषाण काल से जुड़े कई अवशेष मिले थे.
ये सभी सामान ऐसे ही एक कमरे में बंद करके रखे हुए हैं. इनके संरक्षण और देखभाल के लिए कोई काम नहीं हुआ है. सूरज नारायण सिंह और ब्रज बिहारी प्रसाद स्मृति संग्रहालय में हमेशा ताला ही लटका रहता है. सिर्फ इनकी जयंती और पुण्यतिथि के मौके पर ही इसकी सफाई करके फूल-माला अर्पित किया जाता है. फिर यह बंद हो जाता है.
यहां आधे से ज्यादा पद खाली
जननायक कर्पूरी ठाकुर संग्रहालय में स्वीकृत छह पद में चार खाली पड़े हुए हैं. यहां सिर्फ एक संग्रहालयाध्यक्ष और लिपिक ही तैनात हैं. आरा के जगदीशपुर स्थित बाबू कुंवर सिंह स्मृति संग्रहालय में पांच में तीन पद खाली हैं.
पश्चिम चंपारण के भितिहरवा स्थित गांधी स्मारक संग्रहालय में पांच में तीन पद खाली हैं. सिर्फ एक स्वीपर और एक लिपिक के भरोसे ही पूरे संग्रहालय की देखरेख होती है. पटना स्थित बुद्ध स्मृति पार्क संग्रहालय में 16 में 15 पद खाली हैं.
सिर्फ एक लिपिक के भरोसे यह ऐतिहासिक संग्रहालय चलता है. बेतिया संग्रहालय सिर्फ दो चतुर्थवर्गीय कर्मी के भरोसे चलता है. यहां सात में पांच पद खाली हैं.
हाजीपुर में मौजूद दीपनारायण सिंह संग्रहालय में छह में पांच और मुजफ्फरपुर स्थित रामचंद्र शाही संग्रहालय में साथ में छह पद खाली हैं. दोनों में सिर्फ एक कर्मी तैनात हैं. दरभंगा स्थित चंद्रधारी संग्रहालय में स्वीकृत 39 पदों में 29 खाली पड़े हुए हैं.

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