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बिना गार्ड 17 किलोमीटर चली पटना-हटिया एक्सप्रेस

गोमो/पटना : 18623 डाउन पटना–हटिया एक्सप्रेस में गार्ड सवार हुआ ही नहीं और चालक दल ने ट्रेन दौड़ा दी. इसकी जानकारी 17 किलोमीटर आगे जाने पर पता चली, तो रेल महकमा में हड़कंप मच गया. ट्रेन के चंद्रपुरा स्टेशन पहुंचने पर वहां से दूसरे गार्ड की मदद से ट्रेन बोकारो ले जायी गयी. संरक्षा नियमों […]

गोमो/पटना : 18623 डाउन पटना–हटिया एक्सप्रेस में गार्ड सवार हुआ ही नहीं और चालक दल ने ट्रेन दौड़ा दी. इसकी जानकारी 17 किलोमीटर आगे जाने पर पता चली, तो रेल महकमा में हड़कंप मच गया. ट्रेन के चंद्रपुरा स्टेशन पहुंचने पर वहां से दूसरे गार्ड की मदद से ट्रेन बोकारो ले जायी गयी. संरक्षा नियमों का उल्लंघन होने पर दक्षिण-पूर्व रेलवे ने दोषी गार्ड ऐरिक एक्स को सस्पेंड कर दिया है. मामले की जांच शुरू कर दी गयी है. चालक दल पर भी सवाल उठ रहे हैं.

हटिया जाने वाली ट्रेन में पटना से गोमो तक पूर्व मध्य रेल के गार्ड की ड्यूटी रहती है. गोमो में दक्षिण पूर्व रेलवे का गार्ड ट्रेन को हटिया तक ले जाता है. शुक्रवार को तड़के 3.45 बजे ट्रेन गोमो पहुंची. गोमो तक ट्रेन लाने के बाद गार्ड उतर गया, पर यहां से दूसरा गार्ड ऐरिक एक्स नहीं चढ़ा. इस बीच चालक दल ने ग्रीन सिग्नल देख ट्रेन आगे बढ़ा दी. नियमत: गार्ड के सिग्नल दिखाने के बाद ही ट्रेन को आगे बढ़ाना होता है.

गोमो से मिली चंद्रपुरा स्टेशन को जानकारी: गार्ड ऐरिक एक्स ने ट्रेन में नहीं चढ़ने और रवाना होने की जानकारी गोमो के रेल अधिकारियों को दी तो उन्हें सांप सूंघ गया. तत्काल गोमो स्टेशन से चंद्रपुरा स्टेशन अधीक्षक को मामले की जानकारी दी गयी. तब तक ट्रेन बिना गार्ड के गोमो से चंद्रपुरा तक 17 किमी का सफर पूरा कर चुकी थी. ऐरिक एक्स भले गोमो में छूट गये थे, लेकिन उनका बक्सा गार्ड ब्रेक में चला गया. चंद्रपुरा से गोमो के गार्ड मोहम्मद अंसारी ट्रेन को बोकारो स्टील सिटी स्टेशन तक ले गये. वहां से दक्षिण-पूर्व रेलवे का गार्ड हटिया तक ट्रेन ले गया. गोमो में चर्चा है कि हटिया का गार्ड ऐरिक एक्स ट्रेन की अंतिम बोगी के पीछे टेल लैंप लगाने गया था. इसी बीच ट्रेन गोमो से बिना गार्ड के खुल गयी. हालांकि यह बात रेलकर्मियों के गले नहीं उतर रही है. कहा जा रहा है कि ऐरिक एक्स ने वाकी-टॉकी से चालक से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका.
क्या कहता है नियम
रेलवे का नियम कहता है कि किसी भी ट्रेन को खोलते समय चालक तथा गार्ड को ऑल राइट सिग्नल देना पड़ता है. दोनों एक दूसरे के सिग्नल को देखने के बाद ही ट्रेन गंतव्य की ओर रवाना करते हैं. अगर किसी कारणवश गार्ड सिग्नल नहीं दिखा पाया तो चालक दल वॉकी-टॉकी से गार्ड से संपर्क कर ऑल राइट सिग्नल का मिलान करता है. चालक दल बिना ऑल राइट सिग्नल मिले किसी कीमत पर ट्रेन आगे नहीं बढ़ा सकता है. ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि बिना ऑल राइट सिग्नल मिले चालक दल ने ट्रेन कैसे आगे बढ़ा दी.
गार्ड को निलंबित कर पूछताछ की जा रही है. जांच पूरी होने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.
नीरज कुमार, सीनियर डीओएम, रांची रेल मंडल
इस ट्रेन में दक्षिण-पूर्व रेलवे के कर्मचारी काम करते हैं. मामले में रांची रेल मंडल के अधिकारी ही बता सकते हैं.
पीके मिश्रा, पीआरओ, धनबाद

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