पटना : बिहार की राजनीति में कुछ सियासी दलों और नेताओं को लेकर पूरे साल अटकलों का बाजार गर्म रहता है. इनमें केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा और उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) प्रमुख हैं. कुशवाहा ने बीपी मंडल की जयंती पर इशारे ही इशारे में एक बयान दिया है, जिससे उनके बारे में अटकलों का दौर शुरू हो गया है. एक बार फिर उनके राजद के साथ जाने के कयास लगाये जा रहे हैं.
Yaduvanshi(Yadavs) ka doodh aur Kushvanshi(Koeri community) ka chawal mil jaye to kheer badhiya hogi. Aur us swadisht vyanjan ko ban ne se koi rok nahi sakta hai: Upendra Kushwaha,Union Minister and Rashtriya Lok Samta Party Chief in Patna (25.8.18) pic.twitter.com/QhuEScEpwi
— ANI (@ANI) August 26, 2018
दरअसल, शनिवार को बीपी मंडल जन्म शताब्दी समारोह के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने खीर बनाने की एक विधि बतायी. उन्होंनेकहा कि यदुवंशी का दूध और कुशवंशी का चावल मिल जाये तो उत्तम खीर बन सकती है. उन्होंने कहा कि यहां काफी संख्या में यदुवंशी समाज के लोग जुटे हैं. यदुवंशियों का दूध और कुशवंशियों का चावल मिल जाये तो खीर बनने में देर नहीं लगेगी. लेकिन, यह खीर तब तक स्वादिष्ट नहीं होगी जब तक इसमें छोटी जाति और दबे-कुचले समाज का पंचमेवा नहीं पड़ेगा. यही सामाजिक न्याय की असली परिभाषा है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बीपी मंडल ने बिहार के विकास में बड़ा योगदान दिया. वे गरीबों के मसीहा थे और उनका बिहार हमेशा ऋणी रहेगा. आरक्षण के मसले पर उन्होंने कहा कि नौकरियां रहेंगी तब तो आरक्षण मिलेगा. सरकारी क्षेत्र में नौकरियां दिन पर दिन कम हो रही हैं. इसलिए निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू करने की जरूरत है. सामाजिक, आर्थिक जनगणना रिपोर्ट को सार्वजनिक की जानी चाहिए. ताकि, हर जाति की आबादी की जानकारी मिल सके. इसके अनुसार लोगों को उसका लाभ मिल रहा है या नहीं तभी पता चलेगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश की शिक्षा ठीक नहीं है. सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर अच्छा नहीं है. इस मसले को गंभीरता से लेना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के कोलेजियम सिस्टम पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इससे लोगों के अधिकार का हनन हो रहा है. दलित, पिछड़ा, आदिवासी और गरीब सवर्ण के मेधावी बच्चे जज नहीं बन सकते हैं. यह संविधान का उल्लंघन है. कुशवाहा ने कहा कि मंडल कमीशन की रिपोर्ट को काफी समय बाद प्रधानमंत्री बीपी सिंह के कार्यकाल में लागू किया गया. मगर, अभी भी मंडल कमीशन की अनुशंसा पूरी तरह से लागू नहीं की गयी.