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पटना : बगैर प्रक्रिया नियुक्त कर्मियों को नहीं मिलेगा अनुशंसाओं का लाभ
पटना : संविदा पर नियोजित कर्मियों के सेवा-नियमितीकरण को लेकर गठित उच्चस्तरीय समिति की अनुशंसाओं का लाभ विहित प्रक्रिया से नियुक्त कर्मियों को ही मिलेगा. उच्चस्तरीय समिति ने 45 विभाग, निदेशालय व क्षेत्रीय कार्यालयों से मिले आवेदन के बाद इनसे जुड़े संविदा कर्मियों के मामले में अलग-अलग अनुशंसाएं दी हैं. बहाली की शर्तों के हिसाब […]
पटना : संविदा पर नियोजित कर्मियों के सेवा-नियमितीकरण को लेकर गठित उच्चस्तरीय समिति की अनुशंसाओं का लाभ विहित प्रक्रिया से नियुक्त कर्मियों को ही मिलेगा. उच्चस्तरीय समिति ने 45 विभाग, निदेशालय व क्षेत्रीय कार्यालयों से मिले आवेदन के बाद इनसे जुड़े संविदा कर्मियों के मामले में अलग-अलग अनुशंसाएं दी हैं. बहाली की शर्तों के हिसाब से उनके नौकरी की अवधि, मानदेय व पारिश्रमिक का निर्धारण, अनुग्रह अनुदान, मातृत्व-पितृत्व अवकाश, कर्मचारी बीमा व भविष्य निधि, कार्यों का वार्षिक मूल्यांकन तथा स्थायी नियुक्ति में उम्र सीमा में शिथलीकरण व कार्य अनुभव के आधार पर वेटेज का अधिकार दिया गया है.
मनरेगा (ग्रामीण विकास) : कार्यक्रम पदाधिकारी, पंचायत तकनीकी सहायक, पंचायत रोजगार सेवक, कनीय अभियंता, लेखापाल, कंप्यूटर ऑपरेटर 60 साल की उम्र तक काम कर सकेंगे. मानदेय के 60 गुणा तक बीमा की सुविधा होने से चार लाख रुपये का अनुग्रह अनुदान लागू नहीं होगा. दो स्तरीय अपील की व्यवस्था पहले से है.
डीआरडीए : इनसे जुड़े संविदा कर्मियों को मानदेय पुनरीक्षण, यात्रा भत्ता व दैनिक भत्ता का पूर्व प्रावधान लागू रहेगा.
जीविका : इनके पूर्व से ही प्रति वर्ष मानदेय पुनरीक्षण का प्रावधान है. चिकित्सा बीमा, दुर्घटना बीमा, यात्रा भत्ता एवं दैनिक भत्ता की सुविधा भी देय है.
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) : दुर्घटना मृत्यु के फलस्वरूप कर्मियों के निकट आश्रितों को मूल मानदेय का 60 गुणा आर्थिक सहायता का प्रावधान है, इसलिए चार लाख अनुग्रह अनुदान का लाभ नहीं मिलेगा.
स्वास्थ्य विभाग : कोईलवर मेंटल इंस्टीच्युट के मामले में वैध कर्मियों को ही अनुशंसा का लाभ मिलेगा. उनकी पहचान के लिए विभागीय प्रधान सचिव को एक कमेटी गठन के लिए कहा गया है. राजकीय फार्मेसी संस्थान से जुड़े मामले में नियमित नियुक्ति नहीं होने तक कार्यरत संविदा कर्मियों को अनुशंसाओं का लाभ मिलेगा.
आशा व ममता कार्यकर्ता समिति ने आशा व ममता को संविदा नहीं, स्वैच्छिक महिला कार्यकर्ता माना है. इनके लिए 60 वर्ष तक कार्य करने व सेवा अवधि के दौरान मृत्यु होने पर निकटतम आश्रित को चार लाख रुपये अनुग्रह अनुदान की अनुशंसा की गयी है. अनुशासनिक कारणों पर सक्षम प्राधिकार का आदेश लेकर विभाग इनको 60 साल की उम्र से पहले भी हटा सकेंगे. इनको अवकाश, अपील व मातृत्व योजनाओं का लाभ दिया जायेगा.
शिक्षा विभाग : टोला सेवक, तालिमी मरकज, बिहार शिक्षा परियोजना पर्षद, किलकारी बाल भवन, मध्याह्न भोजन योजना समिति, बिहार माध्यमिक शिक्षा परिषद, बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड व एलएन मिश्रा संस्थान से जुड़े कर्मियों के मामले में अनुशंसा की गयी है.
पंचायती राज विभाग : न्यायमित्रों की नियुक्ति वर्तमान शर्तों पर ही 60 वर्ष की आयु तक रखने की अनुशंसा है. इनकी नियोजन सेवा शर्त नियमावली में संशोधन का भी प्रस्ताव है. अन्य अनुशंसाएं लागू होंगी. ग्राम कचहरी सचिव के मामले में नौकरी अवधि 60 साल करने तथा नियम 12 में संशोधन का प्रस्ताव है. नियम 12 के अनुसार दो निंदन की सजा दिये जाने पर नियोजन स्वत: समाप्त समझे जाने का प्रावधान है.
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