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हिरोशिमा दिवस पर बोले गौहर रज़ा – बम शक्ति बढ़ाते हैं या खतरे में डालते हैं, ये सोचने की जरूरत

पटना : हिरोशिमा दिवस पर एप्सो और बिहार इप्टा द्वारा ‘भारतीय उपमहाद्वीप में परमाणु युद्ध का खतरा’ विषय पर एक सेमिनार आयोजित किया गया. जिसमें मशहूर शायर, वैज्ञानिक और फिल्मकार गौहर रजा ने क‍हा, ‘अगर दो देशों के बीच जंग होती है और वह भी एटमी, तो कोई भी नहीं बचेगा. अब तो न्यूट्रॉन बम […]

पटना : हिरोशिमा दिवस पर एप्सो और बिहार इप्टा द्वारा ‘भारतीय उपमहाद्वीप में परमाणु युद्ध का खतरा’ विषय पर एक सेमिनार आयोजित किया गया. जिसमें मशहूर शायर, वैज्ञानिक और फिल्मकार गौहर रजा ने क‍हा, ‘अगर दो देशों के बीच जंग होती है और वह भी एटमी, तो कोई भी नहीं बचेगा. अब तो न्यूट्रॉन बम आ गये हैं, जो इंसान के द्वारा बनाई गई सबसे डरावनी और घिनौनी चीज है.

हमारी जिम्मेदारी है कि हम दुनिया और देश में पैदा किये जाने वाले हर एक बम का विरोध करें. क्योंकि बम का होना ही इंसानियत के विरूद्ध है और यह हमें सदैव खतरनाक स्थिति में रखता है.

श्री रजा ने कहा कि हमें बार-बार हिरोशिमा और नागासाकी को याद करना चाहिए. वहां एक छोटे से परमाणु बम ने बर्बादी का मंजर ले आया था, जिसका प्रभाव आज भी नजर आता है. कल्पना करना चाहिए और यह जरूर सोचना चाहिए कि यदि आज यह हमारे शहर में होगा तो क्या होगा?.

सोवियत संघ के विघटन पर चर्चा करते हुए श्री रजा ने कहा कि यदि बमों में ताकत होती तो सोवियत संघ कभी नहीं टूटता. गौहर रजा ने कहा कि हम फैक्ट्री के धुएं से परेशान होते हैं और इसके खिलाफ आवाज़ उठाते हैं, लेकिन बम के खिलाफ कुछ नहीं बोलते. जीवन को बचाने के लिए हमें एक-एक बम के खिलाफ खड़ा होना होगा, एकजुट होना होगा.

व्याख्यान की शुरुआत में विधायक शकील अहमद खां ने कहा, चारो ओर हिंसा और गुस्से का दौर है. ऐसे समय में चुप्पी खतरनाक है. आज हिरोशिमा दिवस के दिन हमें यह सोचने-समझने का समय है कि हम किसके साथ हैं?

बिहार इप्टा के उपाध्यक्ष डॉ सत्यजीत ने कहा कि एटमी हथियारों का घातक परिणाम देखने के बाद भी हम चेते नहीं है और आज भी इसकी होड़ जारी है. हमें फिर संकल्प लेना चाहिए कि हम युद्ध नहीं होने देंगे.

ऐप्सो और बिहार इप्टा द्वारा आयोजित इस सेमिनार में राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचन्द्र पूर्वे, इंटक के अध्यक्ष चन्द्र प्रकाश सिंह, संस्कृतिकर्मी फणीश सिंह, साहित्यकार ब्रजकुमार पाण्डेय, कवि अरूण कमल, प्राध्यापक तरूण कुमार, डॉ शकील, तनवीर अख्तर, फिरोज अशरफ खां, सीताराम सिंह, अरशद अजमल, रूपेश, निवेदिता सहित बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी, कलाकार, साहित्यकार और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे.

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