पटना : मुजफ्फरपुर बालिका गृह दुष्कर्म कांड में एक नया मोड़ सामने आया है. जिसमें सरकार की बड़ी लापरवाही सामने आयी है. बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष हरपाल कौर ने बताया कि आयोग की टीम ने गत साल के नवंबर माह में मुजफ्फरपुर बालिका गृह का निरीक्षण किया था. जिसमें आयोग की टीम ने व्यापक गड़बड़ियां पाई थीं. लड़कियों को एक कमरे के अंदर बंद रखा गया था. जब आयोग की अध्यक्ष बच्चियों से मिला तो वहां मौजूद बच्चियां फूट-फूट कर रोने लगी. बच्चियों ने बताया भी कि ना तो सही शिक्षा दी जाती है ना ही कौशल विकास और आवासीय प्रबंध सही है. निरीक्षण के दौरान आयोग की टीम ने कमियां पाते हुए गृह के अधीक्षक को समुचित व्यवस्था का निर्देश दिया था.
Visited shelter home in '17, saw girls were kept locked inside a room. When I questioned why the girls were kept locked, I was told the girls run away so they have to be kept locked: President, Bihar Commission for Protection of Child Rights on #Muzaffarpur Shelter Rape case pic.twitter.com/ZoyFbbz0Pa
— ANI (@ANI) August 3, 2018
51 girls were staying in a small premises with no education or health facilities. The girls appeared scared. We had submitted a report to social welfare Dept suggesting that the shelter home should be vacated: Dr H Kaur, Pres, Bihar State Commission for Protection of Child Rights pic.twitter.com/aKdnolSIEA
— ANI (@ANI) August 3, 2018
हैरानी की बात तो ये है कि बाल अधिकार संरक्षण की टीम ने निरीक्षण के तुरंत बाद समाज कल्याण विभाग को केंद्र की लापरवाही और कमियां की रिपोर्ट सौंप दी थी. बावजूद समाज कल्याण विभाग ने 8 माह तक बच्चियों की परवाह नहीं कि. नतीजा 34 बच्चियों हैवानों के हाथों दरिंदगी की शिकार बनी और अस्मत से खिलवाड़ हुआ. सेवा संकल्प एवं विकास समिति संस्था की ओर से संचालित बालिका गृह के निरीक्षण के दौरान टीम को 51 बच्चियां रह रही थी. जबकि, इसकी क्षमता 50 की थी. टीम को इस गृह में अत्यधिक सुधार की आवश्यकता लगी और जिसको लेकर बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इसे अन्यत्र नये भवनों में स्थानांतरित करने का अधीक्षक और संगठन को निर्देश दिया था. विदित हो कि आयोग की अध्यक्ष हरपाल कौर, सदस्य पंकज सिन्हा और सदस्य विजय कुमार रौशन ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह का निरीक्षण किया था.