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पांच लाख वाहनों के ट्रैफिक नियंत्रण के लिए सिर्फ सात ट्रैफिक रेगुलेशन दस्ते
पटना. ट्रैफिक पुलिस के ट्रैफिक रेगुलेशन के लिए स्वीकृत 10 वाहनों में से तीन काम के लायक नहीं रह गये हैं. अब सिर्फ सात ट्रैफिक रेगुलेशन दस्ते काम कर पा रहे हैं. ट्रैफिक रेगुलेशन दस्ते के कमी की वजह से हर रेगुलेशन के जिम्मे अब अधिक बड़ा क्षेत्र आ गया है और जाम लगने पर […]
पटना. ट्रैफिक पुलिस के ट्रैफिक रेगुलेशन के लिए स्वीकृत 10 वाहनों में से तीन काम के लायक नहीं रह गये हैं. अब सिर्फ सात ट्रैफिक रेगुलेशन दस्ते काम कर पा रहे हैं.
ट्रैफिक रेगुलेशन दस्ते के कमी की वजह से हर रेगुलेशन के जिम्मे अब अधिक बड़ा क्षेत्र आ गया है और जाम लगने पर वहां पहुंचने में दस्ते को अधिक समय लग रहा है. इससे जाम बढ़ जा रहा है और उन्हें दूर करने में अधिक समय लग रहा है. पटना जिला परिवहन कार्यालय में वर्तमान मेंं 13 लाख वाहन पंजीकृत हैं.
इनमें लगभग पांच लाख वाहन ऐसे हैं, जो अब चलने लायक नहीं हैं. बचे आठ लाख वाहनों में से चार लाख वाहन हर दिन राजधानी की सड़कों पर निकलते हैं. राजधानी होने के कारण अन्य जिलों व प्रदेश के बाहर के एक-डेढ़ लाख वाहन भी यहां हर दिन आते हैं. ऐसे में पटना शहर में दौड़ने वाले वाहनों की संख्या हर दिन पांच-साढ़े पांच लाख होती है. संकरी सड़कों पर इतना भारी ट्रैफिक लोड को संभालना आसान नहीं है और केवल ट्रैफिक पोस्ट पर तैनात यातायात पुलिसकर्मियों के बदौलत यह किसी तरह संभव नहीं है.
पटना शहर की आबादी बढ़ कर 20 लाख को पार कर चुकी है. पिछले कुछ वर्षों में शहर का फैलाव भी तेजी से हुआ है और संपतचक से सगुना मोड़ तक घनी आबादी बस गयी है. प्रति एक लाख आबादी के ट्रैफिक मूवमेंट को संभालने के लिए कम से कम एक ट्रैफिक रेगुलेशन दस्ते की जरूरत है. ऐसे में पटना ट्रैफिक पुलिस के पास 20 ट्रैफिक रेगुलेशन दस्ते होने चाहिए, लेकिन केवल सात दस्ते ही कर रहे हैं.
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