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मातृ मृत्यु दर को कम करने में जुटा है बिहार

डेढ़ साल के भीतर मातृ मृत्यु दर को सौ से नीचे ले जाने का है प्लान पटना : राज्य का स्वास्थ्य महकमा मातृत्व मृत्यु दर को कम करने में जुट गया है. डेढ़ साल के भीतर इस दर को सौ से नीचे ले जाने का प्लान है. इस पर विभाग और राज्य स्वास्थ्य समिति ने […]

डेढ़ साल के भीतर मातृ मृत्यु दर को सौ से नीचे ले जाने का है प्लान
पटना : राज्य का स्वास्थ्य महकमा मातृत्व मृत्यु दर को कम करने में जुट गया है. डेढ़ साल के भीतर इस दर को सौ से नीचे ले जाने का प्लान है. इस पर विभाग और राज्य स्वास्थ्य समिति ने काम करना शुरू भी कर दिया है.
सरकार ने 2030 तक इसे 70 से कम करने की योजना बनायी है. हाल के वर्षों में राज्य में मातृ मृत्यु दर में आयी 20.7 प्रतिशत की कमी को स्वास्थ्य महकमा बड़ी उपलब्धि मान रहा है. मातृ मृत्यु अनुपात को प्रति एक लाख जीवित जन्मों पर होने वाली मातृ मृत्यु की संख्या के जरिये परिभाषित किया जाता है. बिहार में अभी मातृत्व मृत्यु दर 165 है. पहले यह 207 था.
राज्य में हर साल तीस लाख बच्चों का जन्म
राज्य में हर साल तीस लाख बच्चों का होता जन्म होता है. पिछले एक दशक में राज्यमें संस्थागत प्रसव में करीब 15 गुणा की वृद्धि हुई है. हालांकि इसके बावजूद अभी साढ़े चार लाख बच्चों का जन्म घरों में हो रहा है.
इस तरह के प्रसव को अस्पताल या डिलेवरी प्वाइंट पर कराना स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ी चुनौती है. 2006-07 में राज्य में 1.12 लाख बच्चों का जन्म सरकारी अस्पतालों में होता था. सरकारी प्रयास से सरकारी अस्पतालों में 2016-17 में यह संख्या बढ़ कर करीब साढ़े 15 लाख हो गयी. विभाग का मानना है कि लगभग दस लाख बच्चों की जन्म निजी अस्पतालों में होता है.
विभाग का एक्शन प्लान
विभाग का मानना है कि संस्थागत प्रसव में बढ़ोतरी से मातृ मृत्यु दर में कमी आयी है. इसे और बढ़ा कर मातृ मृत्यु दर को कम किया जा सकता है. विभाग ने तय किया है कि गर्भवती महिलाओं की जांच से लेकर उनके प्रसव तक की पूरी प्रक्रिया पर फोकस कर मृत्यु दर को कम किया जायेगा.
इसके लिए विभाग स्वास्थ्य संस्थानों को सुविधा संपन्न बना रहा है ताकि गर्भवती प्रसव के लिए वहां पहुंचे. ममता व आशा को जागरूक किया जायेगा. अस्पतालों के ओटी को अाधुनिक बनाया जा रहा है. राज्य में 1222 जगहों पर डिलेवरी प्वाइंट है. 68 जगह पर सिजेरियन की सुविधा है.
विभाग मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए कृतसंकल्पित है. संस्थागत प्रसव को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. गर्भवती की जांच पर फोकस किया जा रहा है. विभाग स्वास्थ्य संस्थानों को सुविधा संपन्न बना रहा है, ताकि गर्भवती प्रसव के लिए वहां पहुंचे. उम्मीद है कि इन सब से मातृ मृत्यु दर में काफी कमी आयेगी.
मंगल पांडेय, स्वास्थ्य मंत्री

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