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अस्पतालों में डायलिसिस मशीनों का अभाव, 10 दिन तक वेटिंग में मरीज

पटना : आईजीआईएमएस, पीएमसीएच व गार्डिनर रोड जैसे अस्पतालों में किडनी डायलिसिस कराने के लिए मरीजों को दस दिन से अधिक का इंतजार करना पड़ रहा है. इन अस्पतालों के में करीब 15 से 20 मरीज ऐसे हैं, जिन्हें तत्काल डायलिसिस की जरूरत है, लेकिन इन अस्पतालों में डायलिसिस मशीनों की कमी के कारण मरीजों […]

पटना : आईजीआईएमएस, पीएमसीएच व गार्डिनर रोड जैसे अस्पतालों में किडनी डायलिसिस कराने के लिए मरीजों को दस दिन से अधिक का इंतजार करना पड़ रहा है. इन अस्पतालों के में करीब 15 से 20 मरीज ऐसे हैं, जिन्हें तत्काल डायलिसिस की जरूरत है, लेकिन इन अस्पतालों में डायलिसिस मशीनों की कमी के कारण मरीजों की जान भगवान भरोसे हो गयी है.
दरअसल पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल, इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान और गार्डिनर रोड अस्पताल में मरीजों की तुलना में मशीनें काफी कम हैं जिसके चलते समय पर किडनी डायलिसिस नहीं हो पा रहा है. बता दें कि किडनी खराब हो जाने के बाद किसी व्यक्ति को डायलिसिस करवाना जरूरी हो जाता है. इसके माध्यम से शरीर में प्रभावित ब्लड को मशीनों के माध्यम से साफ किया जाता है. यह प्रक्रिया किसी मरीज को सप्ताह में एक बार, किसी को दो बार तो किसी को तीन बार करवानी पड़ती है. इस स्थिति में अगर थोड़ी सी देरी या लापरवाही हो जाये तो संबंधित की जान भी जा सकती है.
l वार्ड में भर्ती 15 से 20 मरीजों को तुरंत डायलिसिस की जरूरत, लेकिन कराया जा रहा इंतजार
l 15 मरीज जिन्हें डायलिसिस की जरूरत
पीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती 15 से 20 ऐसे मरीज हैं जिनको किडनी डायलिसिस की सख्त जरूरत है. मरीज के परिजन बार-बार इमरजेंसी वार्ड के कंट्रोल रूम में गुहार लगाने के लिए जाते हैं, लेकिन उनको भी वेटिंग दे दी जाती है. सूत्रों की मानें तो मशीन मरम्मत के लिए अस्पताल प्रशासन ने एक प्राइवेट कंपनी को जिम्मेदारी दी थी, लेकिन आठ महीने का भुगतान नहीं होने से 2017 में कंपनी ने काम करने से इन्कार कर दिया. तब से हालात में सुधार नहीं हुआ है.
प्राइवेट अस्पताल में होती है महंगी डायलिसिस
प्राइवेट अस्पताल में डायलिलिस कराने के लिए मरीजों को 1800 से 3500 रुपये देने पड़ते हैं. पीएमसीएच व गार्डिनर रोड अस्पताल में डायलिसिस मुफ्त में होती है. जबकि आईजीआईएमएस में मरीजों को थोड़ी बहुत चार्ज देनी होती है.
आईजीआईएमएस में
लंबी वेटिंग
आईजीआईएमएस में किडनी डायलिसिस कराना जंग जीतने के बराबर है. मशीनों के अभाव में मरीजों का समय पर डायलिसिस नहीं हो पाती. यहां 10 दिन की वेटिंग चल रही है. यहां भर्ती 20 मरीज डायलिसिस का इंतजार कर रहे हैं.
पीएमसीएच की आधी मशीनें खराब
पीएमसीएच में कहने को तो 11 किडनी डायलिसिस मशीनें हैं, लेकिन यहां चार से पांच मशीनें अक्सर खराब रहती हैं. वर्तमान समय में तीन मशीनें खराब हैं. इन तीनों मशीनों को स्थानीय इंजीनियर से बार-बार बनवा कर उपयोग किया जाता है. हालांकि यह मशीनें प्रभावी नहीं होती हैं, जल्दी ही खराब हो जाती हैं. वहीं बाकी बची आठ में से दो मशीनों में छोटी-छोटी खराबी हैं. किसी में पानी नहीं है तो किसी की लाइट, स्लाइड और दूसरे पार्ट्स खराब हैं. यही वजह है कि यहां 5 से सात दिन की वेटिंग के बाद डायलिसिस कराने के लिए मरीजों का नंबर आता है.
बाकी अस्पतालों की स्थिति और भी खराब
पीएमसीएच, आईजीआईएमएस व गार्डिनर रोड अस्पताल छोड़ बाकी अस्पतालों में किडनी की डायलिसिस तो दूर मरीजों का इलाज तक नहीं हो पाता है. अधिकांश सरकारी अस्पतालों में न तो अलग से किडनी विभाग है और नहीं नेफ्रोलॉजी विशेषज्ञ. ऐसे में किडनी से संबंधित बीमारी के मरीजों का इलाज मेडिसिन, सर्जरी व यूरोलॉजी में किया जाता है़

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