नीतीश कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री
कल केंद्र की नयी सरकार अपना कार्यभार संभाल रही है. उन्हें हमारी शुभकामनाएं हैं. साथ ही नयी सरकार से हमारी कई अपेक्षाएं भी हैं. यदि प्रथम पंचवर्षीय योजना (1951-56) से अब तक राष्ट्रीय औसत के अनुसार उद्व्यय का व्यय बिहार में किया गया होता, तो बिहार में करीब डेढ़ लाख करोड़ का अतिरिक्त निवेश होता. इसकी नीतिगत और समयबद्ध प्रतिपूर्ति जरूरी है. 11वीं पंचवर्षीय योजना (2007-12) में जहां बिहार की औसत विकास दर (स्थिर मूल्य पर) 9.86 फीसदी थी, वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था की औसत विकास दर 8.03 फीसदी रही.
इतने तेज़ विकास के बावजूद बिहार की प्रति व्यक्ति आय और राष्ट्रीय प्रतिव्यक्ति आय के बीच की खाई निरंतर बढ़ी है. साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक एवं विभिन्न आर्थिक सेवाओं पर प्रति व्यक्ति खर्च में भी बिहार सबसे निचले पायदान पर है. हमारी युवा पीढ़ी का भविष्य सुरिक्षत हो, इसके लिए बिहार को देश के समकक्ष लाना ज़रूरी है.
बिहार के लिए विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा की हमारी मुहिम आठ वर्षों से जारी है. हमारा संकल्प है कि विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त कर राज्य की जनता को बेहतर जीवन स्तर और रोजगार के अवसर दिलायेंगे और विकास की इस लड़ाई को जीत कर ही दम लेंगे. केंद्र की नयी सरकार से हमारी अपेक्षा है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाये. बिहार के विभाजन के समय योजना आयोग को जिम्मा सौंपा गया था कि एक कोषांग का गठन कर बिहार के इंफ्रास्ट्रक्चर डेफिसिट को को चिन्हित कर इसे दूर करने का प्रावधान करे.
नतीजतन बिहार को राष्ट्रीय सम विकास योजना (बाद में बीआरजीएफ का नाम दिया गया) स्पेशल प्लान के तहत वर्ष 2002-03 में वार्षिक सहायता देने की शुरुआत की गयी. 12वीं पंचवर्षीय योजना में इस कार्यक्र म को ज़ारी रखते हुए 4000 करोड़ प्रतिवर्ष की दर से राज्य सरकार ने 20,000 करोड़ की मांग की, जिसमें से केंद्र सरकार ने केवल 12,000 करोड़ को स्वीकृति दी. इसके आलोक में हम नयी सरकार से अपेक्षा करते हैं कि हमारी नीतिसंगत मांग के अनुरूप बिहार को अतिरिक्त राशि दी जायेगी. साथ ही बिहार में केंद्र की सरकार द्वारा सीधे चलायी जा रही योजनाओं में काफी धन राशि की आवश्यकता है.
रेलवे ने बिहार राज्य में चल रही अपनी योजनाओं के लिए बारह हज़ार करोड़ की अतिरिक्त राशि की मांग की है. नयी सरकार से अपेक्षा है कि इन लंबित योजनाओं को तय राशि देकर शीघ्र पूरा किया जायेगा. जहां राष्ट्रीय स्तर पर प्रति लाख जनसंख्या पर 322 किलोमीटर सड़कें हैं, वहीं बिहार इसके 40 फीसदी स्तर पर भी नहीं है. बिहार की सरकार ने लगातार पहल की है तब तो ये स्थिति है.
हमने 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान अपने स्रोतों से राष्ट्रीय उच्च पथों के रख-रखाव पर 1000 करोड़ रुपये खर्च किये. अब तक राज्य को केंद्र ने ये राशि नहीं दी है. इसकी प्रतिपूर्ति शीघ्र की जानी चाहिए. इसके साथ एक बात और है. किसी भी राज्य के युवक- युवतियां देश में कहीं भी जाकर रोजगार और बेहतर जीवन स्तर के अवसर तलाशने के लिए स्वतंत्र हैं. किंतु कई राज्यों में इन्हें स्वीकार नहीं किया जाता, जिससे असुरक्षा की भावना पैदा होती है. अत: हमारी अपेक्षा है कि नयी सरकार कानून बनायेगी जो प्रवासी मजदूरों के जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा. हमारी अपेक्षाओं का आधार है बिहार का विकास तथा देश में विकास की समानता. इसलिए हमारी अपेक्षा है कि नयी सरकार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देगी, लंबित रेल परियोजनाओं और केंद्र की योजनाओं के लिए उपयुक्त राशि उपलब्ध करायेगी और साथ ही बिहार के तीव्र विकास के लिए विशेष पैकेज भी देगी.
जय बिहार, जय भारत