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अगस्त से काम करने लगेगी राज्य की पहली डिजिटल फॉरेंसिक लैब
बिस्कोमान में स्थान किया गया आवंटित पटना : राज्य में जल्द ही पहली डिजिटल फॉरेंसिक लैब तैयार हो जायेगी. राष्ट्रीय स्तर की इस लैब को स्थापित करने से संबंधित सभी कवायद व्यापक स्तर पर शुरू हो गयी है. इस लैब के स्थापित होने से राज्य में संगीन अपराधों की उलझी हुईं गुत्थियां सुलझाने में मदद […]
बिस्कोमान में स्थान किया गया आवंटित
पटना : राज्य में जल्द ही पहली डिजिटल फॉरेंसिक लैब तैयार हो जायेगी. राष्ट्रीय स्तर की इस लैब को स्थापित करने से संबंधित सभी कवायद व्यापक स्तर पर शुरू हो गयी है.
इस लैब के स्थापित होने से राज्य में संगीन अपराधों की उलझी हुईं गुत्थियां सुलझाने में मदद मिलेगी. अब तक ऐसे जटिल मामलों की फॉरेंसिक जांच कराने के लिए इन्हें राष्ट्रीय स्तर की हैदराबाद या नयी दिल्ली स्थित प्रयोगशाला में भेजना पड़ता था. इस लैब के शुरू हो जाने से यह समस्या दूर हो जायेगी.
हाल में कैबिनेट की बैठक में इसकी स्थापना के लिए एक करोड़ 15 लाख 82 हजार रुपये की मंजूरी दी गयी है. इसमें आईआईटी, पटना और सी-डैक संस्थान का भी सहयोग अहम होगा. प्राप्त सूचना के अनुसार अगस्त से इसके शुरू होने की संभावना है. पटना के बिस्कोमान भवन में इस सेंटर को स्थापित किया जायेगा.
सी-डैक यी सी-डीएसी (सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग) की कोलकाता शाखा इसकी देखरेख करेगी. आने वाले समय में इस सेंटर को रिसर्च सेंटर के तौर पर भी तैयार करने की योजना है.
इसके अंतर्गत इसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर क्राइम रिसर्च सेंटर के रूप में विकसित किया जायेगा. यहां फॉरेंसिक साइंस की ट्रेनिंग देने की सुविधा विकसित करने की योजना है. इसकी सीधी देखरेख केंद्र सरकार करेगी. फॉरेंसिक मामलों के अलावा इस सेंटर को एक उम्दा रिसर्च सेंटर के तौर पर भी तैयार किया जायेगा. हालांकि, पूरी तरह से रिसर्च सेंटर को तैयार करने में थोड़ा समय लगेगा.
मोबाइल डाटा का बारीकी से अध्ययन करने में मिलेगी मदद
इस सेंटर के शुरू होने से किसी अपराध में मोबाइल डाटा का बारीकी से अध्ययन करने में काफी मदद मिलेगी. साथ ही मोबाइल का सटीक लोकेशन, खराब या मोबाइल को क्षतिग्रस्त करने के बाद भी उससे डाटा सुरक्षित वापस रिकवरी करने में मदद मिलेगी. किसी घटना में डीएनए के जटिल सैंपल को जुटाना और इसकी मदद से सही अपराधी तक पहुंचने में काफी मदद मिलेगी.
इस लैब की उपयोगिता इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की सहायता से होने वाले अपराध या किसी महत्वपूर्ण सबूत की तलाश में काफी ज्यादा है. डिजिटल फॉरेंसिक सेंटर का अहम मकसद किसी बड़ी या सनसनीखेज वारदात में अपराधियों का तुरंत पता लगाकर दबोचने में सहायक बनना है.
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