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पटना : सरकार के राहत पैकेज के बावजूद चीनी हुई महंगी, जानें क्या कहते हैं चीनी मिलों के प्रतिनिधि
पटना : केंद्र सरकार की ओर से चीनी उद्योग को राहत पैकेज देने और इसका न्यूनतम बिक्री मूल्य तय करने के बावजूद चीनी महंगी हो रही है. मिलों से मई महीने में बिकने वाली चीनी का थोक मूल्य 2600 से 2800 रुपये प्रति क्विंटल था. वह इस समय 3200 से 3300 रुपये प्रति क्विंटल है. […]
पटना : केंद्र सरकार की ओर से चीनी उद्योग को राहत पैकेज देने और इसका न्यूनतम बिक्री मूल्य तय करने के बावजूद चीनी महंगी हो रही है. मिलों से मई महीने में बिकने वाली चीनी का थोक मूल्य 2600 से 2800 रुपये प्रति क्विंटल था. वह इस समय 3200 से 3300 रुपये प्रति क्विंटल है.
वहीं, बाजार में चीनी का खुदरा भाव चार जून को 34 रुपये प्रति किलो था, जबकि अब 42 रुपये प्रति किलो है. सूत्रों का कहना है कि इस साल छह जून को केंद्र सरकार से चीनी उद्योग को 8500 करोड़ रुपये का राहत
पैकेज मिला. साथ ही कैबिनेट की बैठक में चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य 29 रुपये किलो तय किया गया. गन्ना उद्योग को वित्तीय संकट से उबारने के लिए केंद्र सरकार की ओर से ये कदम उठाये गये. चीनी मिलों को इससे राहत तो मिली लेकिन चीनी का खुदरा मूल्य बढ़ गया.
क्या कहते हैं चीनी मिलों के प्रतिनिधि
बिहार शुगर मिल्स एसोसिएशन के सचिव नरेश भट्ट ने बताया कि सरकार की घोषणा से चीनी मिलों को आंशिक राहत हुई है. राहत पैकेज की घोषणा से पहले जहां 1000 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान हो रहा था, वहीं अब करीब 750 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान हो रहा है. बिहार में किसानों को गन्ना मूल्य का 67.34 फीसदी भुगतान 31 मई तक किया जा चुका है, जबकि करीब 705 करोड़ रुपये बकाया है.
उन्होंने कहा कि इस पेराई सत्र में 38.13 लाख क्विंटल छोआ का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है. खपत के बाद 31 अक्तूबर तक करीब 20 लाख क्विंटल छोआ बचे रहने की उम्मीद है. ऐसे में इनके निष्पादन के बिना अगले सत्र में पेराई मुश्किल होगी. उन्होंने सरकार से इसके निष्पादन की व्यवस्था की मांग की
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