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बियाडा को मिला विक्रेताओं से जमीन खरीदने का अधिकार

पटना : बियाडा को विक्रेताओं से सीधा जमीन खरीदने का अधिकार मिल गया है. इससे उद्योग लगाने के लिए जमीन की समस्या दूर हो सकेगी. बियाडा ने अगले दो साल में बिहार में 50 औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने का लक्ष्य रखा है. उद्योग के लिए कम-से-कम 25 एकड़ जमीन खरीदी जायेगी. शहरी क्षेत्र में तीन […]

पटना : बियाडा को विक्रेताओं से सीधा जमीन खरीदने का अधिकार मिल गया है. इससे उद्योग लगाने के लिए जमीन की समस्या दूर हो सकेगी. बियाडा ने अगले दो साल में बिहार में 50 औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने का लक्ष्य रखा है. उद्योग के लिए कम-से-कम 25 एकड़ जमीन खरीदी जायेगी.

शहरी क्षेत्र में तीन एकड़ का टुकड़ा खरीदा जायेगा. इसके लिए प्राथमिकता के रूप में गया, पूर्वांचल और प्रदेश के अति पिछड़े जिले शामिल किये गये हैं. इस समय औद्योगिक जमीन के अभाव के कारण ब्रिटानिया, आईटीसी, प्रिंस प्लास्टिक और जापानी कंपनी टेरा मोटर्स के निवेश प्रस्ताव लंबित हैं. यह जानकारी मंगलवार को बियाडा के प्रबंध निदेशक आरएस श्रीवास्तव ने संवाददाता सम्मेलन में दी. उन्होंने कहा कि पूरे देश में यह व्यवस्था पहली बार लागू की गयी है.

बियाडा को सरकार उपलब्ध कराती थी जमीन

भूमि अधिग्रहण कानून के माध्यम से लोगों से जमीन लेकर सरकार बियाडा को उपलब्ध कराती थी. इसी जमीन का आवंटन वह उद्योगपतियों को करता था. इसमें समस्या यह थी कि बिहार में कई जगह जमीन का बाजार भाव उसकी सर्किल रेट (सरकारी दर) से कम थी. ऐसे में उद्योग लगाने के लिए डेवलपमेंट शुल्क अदा कर यह जमीन महंगी पड़ती थी. वर्ष 2017 में विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में कुछ महत्वपूर्ण संशोधनों के साथ विधेयक पास किया गया.

उद्योग को भारतीय संविधान की केंद्रीय सूची में रखा गया है, इसलिए इसमें केंद्र सरकार के विधि, नगर एवं आवास, भारी उद्योग, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय की सहमति ली गयी. इसके बाद राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा गया. इस विधेयक पर राष्ट्रपति की 17 मई को सहमति मिल गयी. इसके बाद चार जून को संशोधन अधिनियम बिहार सरकार द्वारा बिहार गजट में संसूचित किया गया.

बियाडा को मिले अन्य महत्वपूर्ण अधिकार

बियाडा अपने औद्योगिक क्षेत्र के लिए डेवलपमेंट कंट्रोल रेग्युलेशन बनायेगा और इसे लागू कर सकेगा.

अब बियाडा के प्रबंध निदेशक को बिहार पब्लिक भूमि अतिक्रमण अधिनियम, 1956 के अंतर्गत दी शक्तियों का इस्तेमाल करने का अधिकार मिल गया है.

पारदर्शिता बढ़ाने के लिए हर साल सरकार को 30 जून तक वार्षिक रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा.

औद्योगिक क्षेत्रों में फ्लोर स्पेस इंडेक्स 1.5 है, जबकि अन्य राज्यों में 2.5 से तीन तक है. इसके तहत बिहार में औद्योगिक जमीन का अधिक से अधिक उपयोग हो सकेगा.

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