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बिहार : आठ शहरों का प्लानिंग एरिया तैयार, पर अथॉरिटी बेअसर, फाइल को साल भर से दबा कर बैठे हैं अधिकारी
पटना : सूबे में शहरीकरण को बढ़ावा देने की योजनाएं सरकारी कार्यालयों की धूल फांक रही हैं. करीब साल भर पहले राज्य सरकार ने पटना के अलावा सात शहरों को व्यवस्थित तरीके से बसाने के लिए उनका प्लानिंग एरिया (आयोजना क्षेत्र) घोषित किया. तीन महीने बाद इसके संचालन को लेकर संबंधित प्रमंडलीय आयुक्त की अध्यक्षता […]
पटना : सूबे में शहरीकरण को बढ़ावा देने की योजनाएं सरकारी कार्यालयों की धूल फांक रही हैं. करीब साल भर पहले राज्य सरकार ने पटना के अलावा सात शहरों को व्यवस्थित तरीके से बसाने के लिए उनका प्लानिंग एरिया (आयोजना क्षेत्र) घोषित किया. तीन महीने बाद इसके संचालन को लेकर संबंधित प्रमंडलीय आयुक्त की अध्यक्षता में अथॉरिटी भी बनी.
लेकिन, इतने दिनों बाद भी अथॉरिटी कागजों पर ही चल रही है. महानगर समितियों का गठन नहीं होने से इन शहरों के विकास पर उचित निर्णय नहीं हो पा रहा है. राज्य सरकार ने जिन शहरों का विस्तार कर उनके लिए प्लानिंग एरिया निर्धारित किया है, उनमें आरा, राजगीर, गया, बोधगया, बिहारशरीफ, मुजफ्फरपुर व सहरसा शामिल हैं. क्षेत्र में बिल्डिंग बाइलॉज 2014 प्रभावी है, लेकिन मैन पावर व वर्क प्लान के अभाव में यह कार्यान्वित नहीं हो पा रहा है.
समितियों का नहीं हुआ गठन
प्लानिंग एरिया के बेहतर कार्यान्वयन को लेकर महानगर समितियों के भी गठन का प्रस्ताव है. इसमें प्लानिंग एरिया के नगर निकाय के चुनिंदा सदस्यों को चुनाव के माध्यम से लिया जाना है. लेकिन, सातों आयोजना प्राधिकार में अब तक महानगर समितियों का गठन ही नहीं हो सका है. सूबे में सिर्फ पटना महानगर समिति का ही गठन हुआ है. इसकी भी महज दो बैठकें ही हो सकी हैं.
मास्टर प्लान का निर्धारण नहीं
बिल्डिंग बाइलॉज को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए मास्टर प्लान की भी जरूरत है. नगर विकास एवं आवास विभाग प्लानिंग एरिया सहित 27 शहरों के मास्टर प्लान पर काम कर रहा है.
लेकिन, मास्टर प्लान निर्धारित नहीं होने से बिल्डिंग बाइलॉज प्रभावी नहीं हो पा रहा है. इससे अथॉरिटी भी अपनी भूमिका तय नहीं कर पा रही है. अथॉरिटी व महानगर समिति को ही प्लानिंग एरिया का जोनल व एरिया डेवलपमेंट प्लान भी तैयार करना है.
इंजीनियरिंग सेल में स्थायी बहाली नहीं
बिल्डिंग बाइलॉज के प्रावधानों को लागू करने के लिए प्लानिंग एरिया क्षेत्र में इंजीनियर व अमीन की आवश्यकता है. लेकिन, कुछ ही शहरों में प्रतिनियुक्ति पर इनकी सेवाएं दी गयी हैं. अधिकतर जगहों पर पद खाली या प्रभार में हैं. इनकी नयी स्थायी नियुक्ति को लेकर बनी फाइल सचिवालय के गलियारों की ही धूल फांक रही है.
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