पटना : राजधानी पटना में नकली दवा और इंजेक्शन का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है. इन नकली दवाओं के कारोबार में लगे लोग अपने फायदे के लिए लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे हैं. इस तरह का एक मामला गोविंद मित्रा रोड दवा मंडी में सामने आया है, जहां औषधि विभाग और पुलिस विभाग की संयुक्त टीम ने मिल कर तीन दुकानों में छापेमारी की. ड्रग विभाग को मौके से 5 लाख के नकली इंजेक्शन बरामद हुए. विभाग ने इन्हें जब्त कर लिया है. वहीं मौके पर मौजूद चार आरोपितों को पुलिस ने एफआइआर दर्ज कर जेल भेज दिया है.
कंपनी ने की थी शिकायत : हेपेटाइटिस व लिवर रोग के उपचार के लिए इंजेक्शन बनाने वाली कंपनी ने पटना पुलिस को इस गोरखधंधे को लेकर शिकायत की थी. शिकायत में बताया गया कि इन दोनों ही बीमारी के उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली हेपामर्ज नाम के इंजेक्शन का डुप्लीकेट मार्केट में बेचा जा रहा है. इस शिकायत के बाद एसएसपी मनु महाराज के आदेश पर पीरबहोर और स्पेशल सेल की टीम ने बिहारी साव लेन स्थित पटना फार्मा, राय मेडिकल हॉल और गोविंद मित्रा रोड स्थित अमन डिस्ट्रीब्यूटर में छापेमारी की. यहां 5 लाख रुपये से अधिक के नकली इंजेक्शन की खेप को बरामद किया गया. साथ ही तीनों जगहों से कुल 4 लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है.
1500 रुपये में हो रही थी बिक्री
छापेमारी में पकड़ा गया हेपामर्ज नाम का इंजेक्शन मार्केट में 1500 रुपये में बेचा जाता था. तीनों ही दुकान इस इंजेक्शन को होलसेल के अलावा फुट कर में भी बेचने का कारोबार करते थे. औषधि विभाग की टीम की मानें, तो सबसे अधिक हेपेटाइटिस व लिवर रोग से पीड़ित मरीजों की संख्या अधिक होती है. इतना ही नहीं इन दोनों ही बीमारियों को ठीक करने में इस्तेमाल होने वाली दवाओं की कीमत अधिक होती है. इसको देखते हुए नकली दवा माफियाओं ने इन दोनों ही कंपनियों की दवा बना कर बेच रहे थे. इसमें लाखों, करोड़ों रुपये का मुनाफा हो रहा था.
छापेमारी में भारी मात्रा में नकली इंजेक्शन, नामी कंपनियों के रैपर, बिना नाम की बोतल से भरे पाउडर, फूड सप्लिमेंट, दर्द का इंजेक्शन, विटामिन के टेबलेट आदि बरामद किये गये हैं. नकली इंजेक्शन की कुल कीमत पांच लाख रुपये से अधिक बतायी जा रही है.
झोला छाप डॉक्टर को बनाते हैं निशाना
बिहार-यूपी समेत कई राज्यों में फैला है नेटवर्क
इन दवा माफियाओं का नेटवर्क बिहार के अलावा यूपी, पश्चिम बंगाल, झारखंड और दिल्ली तक है. फिजिशियन सैंपल के खरीदार हॉकर, दवा दुकानदार और ग्रामीण इलाकों के झोला छाप डॉक्टर होते हैं. गोविंद मित्रा रोड में फिजिशियन सैंपल के खरीदारों का नेटवर्क है. गांव से आये दुकानदारों को जानकारी रहती है कि किस हॉकर के पास फिजिशियन सैंपल है. आठ से दस फीसदी का फायदा लेकर हॉकर इसे बेच देते हैं.
10 से 25 पैसे में खरीदते हैं रैपर
जानकारों के अनुसार एक रैपर का खर्च 10 से 25 पैसे के बीच आता है. इतने कम पैसे में ही ड्रग माफिया ब्रांडेड एक्सपायरी दवाओं को नया बना देते हैं. जेनरिक दवाओं के साथ तो यह खेल और धड़ल्ले से होता है. सूत्रों के अनुसार जेनरिक दवाएं बाद में किलो के भाव में बेच दी जाती हैं. इस धंधे से जुड़े माफिया खरीदकर रैपर बदल देते हैं और फिर इसे हॉकरों या अन्य माध्यमों से बेच देते हैं.
कब और कहां पकड़ी गयी दवाएं
-9 जनवरी 2017 को गोविंद मित्रा रोड में बिहार साव लेन में छापेमारी कर औषधि विभाग ने 20 लाख की नकली और एक्सपायरी दवा बरामद किया था. रैपर भी बरामद हुए थे. इसमें पुलिस ने बबलू को गिरफ्तार किया था.
-5 अप्रैल 2018 को कंकड़बाग थाना क्षेत्र के अशोकनगर में छापेमारी कर औषधि विभाग ने 25 लाख रुपये की एक्सपायरी और दवा और रैपर बरामद किया था. संजय नाम के सप्लायर को भी गिरफ्तार किया गया था.