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शिक्षक स्कूलों के स्तंभ, बच्चों को दिखाएं दिशा

शिक्षक स्कूल के जिम्मेदार स्तंभ हैं. इनके हाथों में देश के भविष्य निर्माण का जिम्मा है. बदलती जीवन शैली व आधुनिक तकनीकों में अधिक रुचि के कारण बच्चे शिक्षा से भटक रहे हैं. कई मायनों में बच्चे शिक्षकों से अधिक तकनीक फ्रेंडली हो रहे हैं. इससे उन बच्चों को क्लास में कंट्रोल करने के लिए […]

शिक्षक स्कूल के जिम्मेदार स्तंभ हैं. इनके हाथों में देश के भविष्य निर्माण का जिम्मा है. बदलती जीवन शैली व आधुनिक तकनीकों में अधिक रुचि के कारण बच्चे शिक्षा से भटक रहे हैं. कई मायनों में बच्चे शिक्षकों से अधिक तकनीक फ्रेंडली हो रहे हैं.
इससे उन बच्चों को क्लास में कंट्रोल करने के लिए शिक्षकों को उनसे अधिक तकनीक फ्रेंडली और नॉलेजेबल होने की आवश्यकता है. ये बातें सीबीएसई के क्षेत्रीय पदाधिकारी जगदीश बर्मन ने कही. वे मंगलवार को सीबीएसई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की ओर से बॉल्डविन एकेडेमी में शिक्षकों के लिए आयोजित दो दिवसीय कैपिसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे.
उन्होंने बताया कि सीबीएसई ने क्लास में अधिक शैतान बच्चों को कंट्रोल करने के लिए शिक्षकों के लिए मॉड्यूृल तैयार किया है. इसके जरिये शिक्षक बच्चों के मुताबिक अपनी कैपिसिटी डेवलप कर उन्हें कंट्रोल कर बेहतर शिक्षा दे सकते हैं.
एनजीओ द्वारा बच्चों को डे केयर सेंटर में रखा जायेगा, जहां उन्हें सेनिटेशन व हाइजिन से सामान्य बच्चों के रूप में तैयार किया जायेगा. इसके बाद बच्चों की काउंसेलिंग कर उन्हें शिक्षा से जोड़ने के लिए उम्र के अनुसार ब्रिज कोर्स कराये जायेंगे.
तीन महीने के बाद अप-टू-डेट बच्चों का नामांकन कर उन्हें स्कूली शिक्षा से जोड़ा जायेगा. राज्य बाल संरक्षण समिति की राज्य कार्यक्रम प्रबंधक पूनम सिन्हा ने बताया कि इसमें छह वर्ष से लेकर 14 वर्ष के बच्चों को रखा जाना है. एक माह में एनजीओ का चयन कर लिया जायेगा.

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