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सावधान ! अगर समय रहते नहीं संभले तो बहरे हो जायेंगे आप

पटना : राजधानीवासी अगर जल्दी नहीं संभले तो बहरेपन की गिरफ्त में होंगे. शहर में शोर कुछ इस तरह बढ़ा है कि जीना मुहाल हो गया है. ये बातें हवा-हवाई नहीं, बल्कि आंकड़े कह रहे हैं. सामान्य से 45 डेसिबल तक अधिक शोर रोज सुन रहे हैं. यह हाल आईजीआईएमएस और पीएमसीएच के आसपास का […]

पटना : राजधानीवासी अगर जल्दी नहीं संभले तो बहरेपन की गिरफ्त में होंगे. शहर में शोर कुछ इस तरह बढ़ा है कि जीना मुहाल हो गया है. ये बातें हवा-हवाई नहीं, बल्कि आंकड़े कह रहे हैं. सामान्य से 45 डेसिबल तक अधिक शोर रोज सुन रहे हैं. यह हाल आईजीआईएमएस और पीएमसीएच के आसपास का है. अन्य जगहों पर भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. विशेषज्ञों की मानें तो इतना शोर हमारे कानों के लिए घातक है. ये शोर न सिर्फ बहरा बना रहा है, बल्कि चिड़चिड़ेपन की भी गिरफ्त में ले रहा है. हर 100 मरीज में 20 सेंसरी न्यूरल हियरिंग लॉस से ग्रस्त है.

बेवजह हॉर्न बजाना कारण
राजधानी में बढ़ते शोर का मुख्य कारण प्रेशर हॉर्न है. यहां बेवजह भी लोगों को हॉर्न बजाने की आदत पड़ी है. चार पहिया से लेकर दोपहिया चलाने वाले हॉर्न बजाने में माहिर हैं. यहां की यातायात व्यवस्था किसी से छुपी तो है नहीं. शायद ही कोई क्षेत्र हो जो जाम की चपेट में नहीं रहता है. बावजूद इसके लोग हॉर्न बजाते हैं. आगे गाड़ियां रेंग रही होती हैं, पीछे से हर वाहन चालक हॉर्न बजाता रहता है.
खतरा
हमेशा के लिए छिन सकती है सुनने की शक्ति, प्रेशर हॉर्न पर लगे रोक
पटना में प्रेशर हॉर्न के खिलाफ पुलिस ने अभियान छेड़ रखा है. हालांकि कारगर यह तभी होगा, जब प्रेशर हॉर्न की बिक्री पर ही रोक लगायी जाये. अगर बिकने पर रोक लगा दी गयी तो समस्या का समाधान हो जायेगा, लेकिन प्रेशर हॉर्न बेचने वाले दुकानदारों पर कोई कार्रवाई नहीं होती है.
बढ़ रही सेंसरी न्यूरल हियरिंग लॉस की समस्या
बढ़ता ध्वनि प्रदूषण राजधानीवासियों को सेंसरी न्यूरल हियरिंग लॉस का मरीज बना रहा है. मतलब साफ है कि आप बहरेपन जैसी घातक बीमारी के शिकार हो रहे हैं. पटना शहर में हर ओर गाड़ियों का शोर है. ऊपर से खुलेआम प्रेशर हॉर्न वाले वाहन दौड़ रहे हैं. बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से राजधानी के विभिन्न स्थानों पर ध्वनि प्रदूषण को मापने वाले यंत्र लगाये गये हैं. इसमें बेल्ट्रॉन भवन के पास, पीएमसीएच, पीएमसीएच, इंडस्ट्रियल एरिया में कोका कोला के पास, आईजीआईएमएस परिसर, तारामंडल परिसर आदि शामिल हैं. इन स्थानों से विभाग लगातार ध्वनि प्रदूषण के आंकड़े जुटाता रहता है.
नियमानुसार साइलेंस जोन में दिन में 50 और रात में 40 डेसिबल ध्वनि का स्तर होना चाहिए. परंतु यह स्तर इससे कहीं ज्यादा है. पीएमसीएच और आईजीआईएमएस में तो 100 डेसिबल तक ध्वनि प्रदूषण है. तारामंडल के पास 80 डेसिबल से ज्यादा ध्वनि प्रदूषण है.
आईजीआईएमएस के ईएनटी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ राकेश सिंह ने बताया कि ध्वनि प्रदूषण बढ़ने से मानव शरीर पर घातक असर पड़ता है. यह सबसे ज्यादा चिड़चिड़ापन लाता है, विशेष रूप से रोगियों, वृद्धों और गर्भवती महिलाओं में. लगातार आठ घंटे तक अगर इस तरह शोर में कोई रहे तो बहरा हो सकता है. बच्चों को गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.
गर्भवती महिलाओं का गर्भपात होने का भी खतरा बना
रहता है. इसके अलावा ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन आदि की भी बीमारियां घेरने लगती हैं.

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