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इस साल अधिक गर्मी झेलने के लिए रहें तैयार, अप्रैल में होगा 40 डिग्री पार, बीमार होने का खतरा बढ़ा
पटना : अप्रैल माह के मध्य में ही पारा अपने परवान पर है. सुबह आठ बजे से ही काफी तेज धूप हो जा रही है. मौसम का असर है कि दोपहर में सड़कों और बाजारों पर अपेक्षाकृत भीड़ घटने लगी है. मौसम केंद्र की मानें, तो अभी गर्मी की शुरुआत है और आशंका है कि […]
पटना : अप्रैल माह के मध्य में ही पारा अपने परवान पर है. सुबह आठ बजे से ही काफी तेज धूप हो जा रही है. मौसम का असर है कि दोपहर में सड़कों और बाजारों पर अपेक्षाकृत भीड़ घटने लगी है.
मौसम केंद्र की मानें, तो अभी गर्मी की शुरुआत है और आशंका है कि अप्रैल माह से ही पारा 40 डिग्री सेल्सियस तक चला जायेगा. सोमवार को भी शहर का अधिकतम पारा 38.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, वहीं न्यूनतम पारा 24.2 डिग्री सेल्सियस रहा. मौसम केंद्र के अनुसार इस बार अप्रैल मध्य से लेकर जून के मध्य तक पारा कई बार 45 डिग्री के पार जा सकता है. इस कारण इस वर्ष लोगों को अधिक गर्मी का सामना करना पड़ेगा.
42.9 डिग्री सेल्सियस है अप्रैल का रिकाॅर्ड
अप्रैल माह में पटना शहर का सबसे अधिक तापमान का रिकाॅर्ड 42.9 डिग्री रहा है, जो वर्ष 2016 में था. वहीं अप्रैल, 2015 में 40.4 डिग्री, वर्ष 2014 में 42.1 डिग्री, वर्ष 2013 में 41.5 डिग्री, वर्ष 2012 में 41.3 डिग्री और वर्ष 2011 के अप्रैल माह में अधिकतम तापमान का रिकाॅर्ड 39.9 डिग्री सेल्सियस रहा है.
बढ़ा बीमार होने का भी खतरा
पटना : बढ़ती गर्मी में संक्रामक बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ने लग गया है. पेट रोग विशेषज्ञ डॉ मनोज कुमार ने बताया कि गर्मी बढ़ने के साथ सन-स्ट्रोक और डीहाइड्रेशन होने के चांस ज्यादा हो जाते हैं. डायरिया और डीहाइड्रेशन के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है.
ऐसे में नींबू पानी, ओआरएस या ग्लूकोज हर थोड़े-थोड़े समय पर पीते रहें. बार-बार उल्टी-दस्त की वजह से शरीर में पानी और नमक की कमी को यह घोल पूरा करते हैं. यह घोल शरीर के लिए जरूरी केमिकल सोडियम और पोटैशियम की कमी को फौरन दूर करते हैं.
तापमान बढ़ने का असर फसलों पर नहीं
भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ अरविंद चौधरी ने कहा कि यह सीजन तापमान बढ़ने का है. अभी तो शुरुआत है. 15 मई से 15 जून के बीच तो 42-43 डिग्री तक पहुंच जाता है. कई बार तो 45 डिग्री तक हो जाता है. इस समय जो भी फसलें खेत में लगी हुई हैं, वे गर्मी के हिसाब से ही लगायी गयी हैं. अत: ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला. हां, अगर 45 डिग्री से ऊपर बढ़ता है तो फसल प्रभावित होती है.
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