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पटना : अस्पताल के पास से डंपिंग यार्ड हटाएं

नाराजगी. अदालत ने सरकार से उच्च स्तरीय समिति गठित करने को कहा पटना :राजधानी पटना स्थित गर्दनीबाग सरकारी अस्पताल के नजदीक बनाये गये कचरा डंपिंग यार्ड पर हाईकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की. अदालत ने राज्य सरकार को कहा कि वह एक उच्च स्तरीय समिति गठित कर उक्त स्थल से जल्द कचरा हटाने का निर्देश संबंधित […]

नाराजगी. अदालत ने सरकार से उच्च स्तरीय समिति गठित करने को कहा
पटना :राजधानी पटना स्थित गर्दनीबाग सरकारी अस्पताल के नजदीक बनाये गये कचरा डंपिंग यार्ड पर हाईकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की. अदालत ने राज्य सरकार को कहा कि वह एक उच्च स्तरीय समिति गठित कर उक्त स्थल से जल्द कचरा हटाने का निर्देश संबंधित अधिकारियों को दें.
मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मुकेश कुमार द्वारा दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. अदालत ने कहा कि इस समिति में पटना के डीएम समेत नगर आयुक्त और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आला अधिकारी सदस्य के रूप में शामिल होंगे. अदालत ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित करते हुए कार्रवाई की जानकारी मांगी है.
खराब सरकारी नलकूपों पर सरकार से जवाब तलब
पटना. राज्य में खराब पड़े सरकारी नलकूपों पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने इस संबंध में दायर लोकहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई की.
अदालत ने लघु सिंचाई विभाग को निर्देश दिया कि वह इस मामले में दो सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करते हुए जवाब दे. अदालत ने लघु सिंचाई विभाग से पूछा है कि बंद नलकूपों को चालू कराने में कितना वक्त लगेगा. अदालत को याचिकाकर्ता द्वारा बताया गया कि राज्य के किसानों को सिंचाई के लिए सरकारी नलकूप वर्षों पहले लगाया गये थे.
पटना : सेवा से हटाये गये सांख्यिकी स्वयं सेवकों के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो गयी. अदालत ने इस मामले में दायर 164 एलपीए (अपील) पर सुनवाई करते हुए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया.
न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी एवं न्यायाधीश नीलू अग्रवाल की खंडपीठ ने इन अपीलों पर सुनवाई की. मालूम हो कि वर्ष 2012-13 में अधिक संख्या में सांख्यिकी स्वयं सेवकों की नियुक्ति की गयी थी.
इनका काम प्रखंड स्तर पर फसल बीमा का आंकड़ा संग्रह करना, जनगणना कार्य करना, जन्म मृत्यु आंकड़ा संग्रह करना, लघु सिंचाई की गणना आदि था. काम नहीं रहने के कारण जून, 2017 में इन्हें इनकी सेवा से हटा दिया गया था.
सरकार के इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की गयी. इनके द्वारा दायर रिट याचिका पर 17 जनवरी, 2017 को न्यायाधीश ज्योति शरण की एकलपीठ ने राज्य सरकार के नीतिगत फैसले को सही माना था.
अदालत ने इसके साथ ही अपने आदेश में कहा था कि अगली की जानेवाली नियुक्ति में इन लोगों को सरकार द्वारा प्राथमिकता दी जाये. अदालत ने यह भी कहा था कि इन लोगों को उम्र सीमा में भी छूट दी जानी चाहिए. राज्य सरकार द्वारा इन लोगों को नौकरी में किसी भी प्रकार की राहत नहीं दिये जाने के कारण 164 एलपीए हाईकोर्ट में दायर की गयी.

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