पटना : सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंगलवार को एससी-एसटी कानून के तहत लोकसेवकों को तुरंत गिरफ्तार न करने के आदेश से बड़ी राहत मिलेगी और इस कानून के दुरुपयोग पर रोक लग सकेगी. सुप्रीम कोर्ट ने पाया है कि इस एक्ट का दुरुपयोग बदला लेने और ब्लैकमेल करने के लिए किया जा रहा था. देखने में आया है कि आपसी विवाद में भी अगर मारपीट या अन्य घटना हुई है तो भी एससी-एसटी की धाराएं लगा दी जाती हैं. पटना प्रमंडल में ऐसे सैकड़ों और प्रदेश
एससी-एसटी एक्ट…
हजारों मामले सामने आये हैं, जिनमें इन एक्ट के दुरुपयोग की पुष्टि होती है. इसके दुरुपयोग होने का कारण यह भी है कि एससी-एसटी थानों में आराम से किसी की प्राथमिकी दर्ज हो जाती है और चार्जशीट होने पर मुआवजा भी आसानी से मिल जाता है.
मसौढ़ी की विधायक ने दर्ज करायी थी प्राथमिकी, जांच के बाद निकला गलत : एससी-एसटी एक्ट का दुरुपयोग आम आदमी के अलावा जनप्रतिनिधि ने भी किया. धनरूआ पुलिस ने 2017 में दो लोगों को गिरफ्तार किया था. उनको छुड़ाने के लिए ग्रामीणों ने सड़क जाम कर दिया था और पथराव किया था. इसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गये थे. इस हंगामे को कराने में पुलिस की जांच में मसौढ़ी की विधायक रेखा देवी का नाम सामने आया था और पुलिस ने उनके खिलाफ भी मामला दर्ज कर लिया था. इसके बाद विधायक रेखा देवी ने मसौढ़ी डीएसपी सुरेंद्र कुमार पंजियार के खिलाफ एससी-एसटी थाने में ही जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करने व अन्य आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करा दी थी. इस प्राथमिकी के दर्ज होने के बाद पुलिस प्रशासन में खलबली मच गयी थी. इसके बाद इसका दुरुपयोग रोकने के लिए पटना जिले के एससी-एसटी थाने को सीआईडी से अलग कर पटना पुलिस के एसपी के अधीन कर दिया गया. इधर विधायक रेखा देवी द्वारा लगाये गये पूरे आरोप की जांच की गयी, तो गलत पाये गये. पुलिस सूत्रों का कहना है कि अगर इस तरह से अधिकारियों के ऊपर ही एससी-एसटी मामला दर्ज किया जायेगा तो वे क्या कार्रवाई करेंगे. इस मामले में पूरी तरह से एससी-एसटी कानून का दुरुपयोग किया गया.
क्या कहा था
सुप्रीम कोर्ट ने
मंगलवार को सरकारी अफसरों के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) कानून के दुरुपयोग पर विचार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि इस कानून के तहत दर्ज ऐसे मामलों में फौरन गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए. अदालत ने कहा था कि
क्या कहा था…
एससी/एसटी कानून के तहत दर्ज मामलों में किसी भी लोकसेवक की गिरफ्तारी से पहले न्यूनतम पुलिस उपाधीक्षक रैंक के अधिकारी द्वारा प्राथमिक जांच जरूर होनी चाहिए. इसके साथ ही यह भी जानकारी दी कि लोक सेवकों के खिलाफ एससी/एसटी कानून के तहत दर्ज मामलों में अग्रिम जमानत देने पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं है. पीठ ने यह भी कहा कि एससी/एसटी कानून के तहत दर्ज मामलों में सक्षम प्राधिकार की अनुमति के बाद ही किसी लोक सेवक को गिरफ्तार किया जा सकता है.