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इन रास्तों पर चलकर हासिल होगा बिहार का गौरव, कानून का पालन करेंगे, बेहतर होगी छवि

बिहार की छवि देश के अन्य प्रदेशों में ठीक नहीं है इसकी शिकायत हर कोई की होती है. सर्वे के माध्यम से यह जानने की कोशिश की गयी कि आखिर ऐसा क्या किया जाये, जिससे पहले के बने परसेप्शन खत्म हो जाये. इस मामले में लोगों ने सबसे ज्यादा मर्यादा व कानून के पालन करने […]

बिहार की छवि देश के अन्य प्रदेशों में ठीक नहीं है इसकी शिकायत हर कोई की होती है. सर्वे के माध्यम से यह जानने की कोशिश की गयी कि आखिर ऐसा क्या किया जाये, जिससे पहले के बने परसेप्शन खत्म हो जाये. इस मामले में लोगों ने सबसे ज्यादा मर्यादा व कानून के पालन करने पर जोर दिया है. 37.5 प्रतिशत ने बेहतर छवि के लिए कहा कि अगर लोग कानून व मर्यादा को पालन करना सीख लें, तो खुद-ब-खुद स्थिति बदल जायेगी. वहीं, सूबे से पॉजिटिव चीजों को सामने लाने के पक्ष में 30 प्रतिशत लोग सामने आये.
अमूमन निगेटिव चीजों के बारे में ही अन्य प्रदेशों में किसी माध्यम से जानकारी पहुंचती है, जिससे सूबे का खराब परसेप्श्न बन गया है. बेहतर चीजों को सामने लाने से अच्छी छवि बन सकती है.
इधर, दूसरे प्रदेशों में रहनेवाले बिहार के कुछेक असामाजिक तत्वों के कारण भी छवि धूमिल होती है. किसी तरह की घटनाओं में बिहारियों की संलिप्तता पर लोगों की आशंका होती है. 17.5 प्रतिशत ने राज्य से बाहर रहनेवाले को अपनी छवि बेहतर रखने की तारीफदारी की है. 15 प्रतिशत लोगों ने दूसरे राज्य के मेहमानों के साथ अच्छा व्यवहार करने पर अपनी सहमति दी है. पर्यटन के लिहाज से बिहार समृद्ध है.
स्थानीय उद्योग बढ़े खेती का विकास हो
रोजगार के सवाल पर बिहार के लोगों का साफ कहना है कि वे किसी भी सूरत में पलायन के पक्ष में नहीं हैं. उन्होंने इस सिद्धांत को खारिज किया है कि पलायन में कोई बुराई नहीं, पलायन से संपन्नता और समृद्धि आती है. महज 7.5 फीसदी लोगों ने इस पक्ष में अपनी राय जाहिर की है. शेष 92.5 फीसदी लोग मानते हैं कि घर में ही रोजगार के साधन उपलब्ध हो, चाहे इसके लिए बड़े उद्योगपतियों को यहां उद्योग लगाने के लिए प्रेरित किया जाये या फिर राज्य के कृषि क्षेत्र को ही और विकसित किया जाये.
रोजगार के लिए पलायन खत्म हो, इस सवाल पर 45 लोगों की राय थी कि राज्य में निवेश जुटाया जाये और उद्योपतियों को आमंत्रित किया जाये.
नयी पीढ़ी को मिले जातिमुक्त माहौल
जातिवाद बिहार को कहीं न कहीं कमजोर कर रहा है. सर्वे में यह जानने की कोशिश की गयी कि आखिर इसे कैसे खत्म किया जा सकता है. 50 प्रतिशत ने नयी पीढ़ी को जातिमुक्त माहौल में घुलने-मिलने देने पर अपनी मुहर लगायी है. लोगों का मानना है कि इस तरह के माहौल से जातिवाद खत्म हो सकता है. इसके बाद सबसे ज्यादा सहमति अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देने पर लोगों की रही है. 20 प्रतिशत ने एक से दूसरी जाति में आपसी सहमति से शादी पर जोर दिया है. लोगों का मानना है कि इससे सामाजिक समरसता कायम होगी.छुआछूत व सवर्ण मानसिकता भी प्रदेश के विकास में बाधक है.

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