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बिहार : नीतीश के खिलाफ जनहित याचिका खारिज, कहा, वोट की नहीं, हम लोगों की चिंता करते हैं
हम के नरेंद्र गुट का जदयू में हुआ विलय पटना : मुख्यमंत्री व जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कहा है कि वे वोट की नहीं, लोगों की चिंता करते हैं. न्याय के साथ विकास के प्रति वे प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने कहा कि प्रेम, सद्भावना और सहिष्णुता से ही समाज वे देश आगे बढ़ेगा. […]
हम के नरेंद्र गुट का जदयू में हुआ विलय
पटना : मुख्यमंत्री व जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कहा है कि वे वोट की नहीं, लोगों की चिंता करते हैं. न्याय के साथ विकास के प्रति वे प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने कहा कि प्रेम, सद्भावना और सहिष्णुता से ही समाज वे देश आगे बढ़ेगा.
उन्होंने कहा कि वे किसी भी हाल में ना तो भ्रष्टाचार बर्दाश्त कर सकते हैं और न ही समाज को बांटने वाले लोगों का साथ दे सकते हैं. राज्य में प्रेम, सहष्णिुता और सद्भावना का माहौल है और किसी भी हाल में इसे बिगड़ने नहीं देंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि विहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर आज भी वे कायम हैं. 15 वें वित्त आयोग से भी इस संबंध में बात हुई है.
उन्होंने कहा कि सरकार तो इसको लेकर अपना मेमोरेंडम सौंपेगी ही सभी राजनीतिक दल भी विशेष राज्य को लेकर ज्ञापन सौंपे. मुख्यमंत्री सोमवार को प्रदेश जदयू कार्यालय में हम के नरेंद्र गुट के जदयू में विलय के मौके पर पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि हम अपने सिद्धांत पर कायम रहते हैं और इससे कभी समझौता नहीं करते. उन्होंने कहा कि मैंने महागठबंधन में रहकर कहा था कि भ्रष्टाचार से कभी समझौता नहीं करूंगा तो यह कहकर भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों का साथ छोड़ दिया.
एक प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हम महागठबंधन में थे तब हमने कहा था कि अगर आपके ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है तो जनता के बीच जाइए और अपनी बात को रखिये, समर्थकों को कहने के लिए तो बहुत कुछ है. लेकिन उन्होंने बात नहीं मानी, कहा कि हमलोगों को फंसााया जा रहा है.जनता के बीच जाकर अपनी बात रखनी चाहिए थी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे जनता के विकास के प्रति प्रतिबद्ध है. विकास के साथ- साथ सामाजिक सुधार का भी काम चल रहा है. बापू, जेपी व लोहिया के विचार को घर-धर तक पहुंचाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि लोग बोलने के लिए स्वतंत्र हैं. कुछ लोग खबर में बने रहने के लिए बोलते रहते हैं.
मेरी यह आदत नहीं है. उन्होंने कहा कि बिहार के विकास के कार्यक्रम को लेकर कोई समझौता नहीं है. बिहार के हित में काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमलोग काम करते रहते हैं. जनता की सेवा में लगे हैं. उन्होंने बिना किसी का नाम लिये कहा कि इन्हें काम से कोई लेना- देना नहीं है. माहौल को तनावपूर्ण बनाना चाहते हैं. सामाजिक सदभाव को लेकर कोई समझौता नहीं है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए वे प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने कहा कि आज कुछ लोग हंगामा मचा रहे हैं कि हम विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग नहीं करते. हम बता दें कि आंध्रप्रदेश ने तो आज यह मांग उठायी है, हम तो शुरू से ही इस बात को सामने लाते रहे हैं.
विधानसभा से इसे पारित कर केंद्र के पास प्रस्ताव को भेजा. इधर 15 वें वित्त आयोग से भी बात हुई है. बिहार का हित मेरे लिए सर्वोपरि है. सभी दल भी 15 वें वित्त आयोग के देनेवाले अपने ज्ञापन में इस बात का चर्चा करें. एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि सबकुछ जानते हुए भी भाजपा के जबरदस्त आग्रह पर जहानाबाद से पार्टी ने अपना उम्मीदवार दिया. अगर नहीं देते तो हम पर आरोप लगता. लालू के मामले में कहा कि कोर्ट के निर्णय पर वे कभी कोई टिपण्णी नहीं करते.
नीतीश कुमार के खिलाफ जनहित याचिका खारिज
नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार को विधान परिषद की सदस्यता के अयोग्य घोषित करने के लिए दायर जनहित याचिका सोमवार को खारिज कर दी.
याचिका में आरोप लगाया गया था कि नीतीश कुमार ने निर्वाचन आयोग को इस तथ्य की जानकारी नहीं दी थी कि उनके खिलाफ हत्या का एक मामला लंबित है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस धनंजय वाइ चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने मुख्यमंत्री के इस कथन पर विचार किया कि उन्होंने 2012 में निर्वाचन आयोग को आपराधिक मामला लंबित होने के तथ्य से अवगत कराया था. कोर्ट ने कहा कि हमें इस याचिका में कोई दम नहीं नजर आया.
इसे खारिज किया जाता है. चुनाव के नियम कहते हैं कि उन्हें( नीतीश) निचली अदालत द्वारा संज्ञान लेने के बाद उन्हें इसकी जानकारी देनी चाहिए और ऐसा किया गया था. सीएम के वकील ने कोर्ट को सूचित किया कि इस मुकदमे की कार्यवाही पर पटना हाइकोर्ट ने रोक लगा रखी है. यही नहीं, मुख्यमंत्री ने कुछ भी गलत नहीं किया है.
याचिकाकर्ता का आरोप : यह जनहित याचिका अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने दायर की थी. इसमें आरोप लगाया गया था कि जदयू नेता के खिलाफ आपराधिक मामला है जिसमें वह एक स्थानीय कांग्रेसी नेता सीताराम सिंह की हत्या करने और चार अन्य को जख्मी करने के आरोपी है.
यह घटना 1991 में बिहार के बाढ़ संसदीय क्षेत्र के लिये हो रहे उपचुनाव के समय की है. याचिकाकर्ता ने निर्वाचन आयोग के2002 के आदेश के अनुरूप नीतीश कुमार की राज्य विधान परिषद की सदस्यता निरस्त करने की मांग की थी. दावा था कि बिहार के मुख्यमंत्री ने 2012 के अलावा 2004 से अपने हलफनामे में इस आपराधिक मामले की जानकारी नहीं दी थी.
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