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500 एकड़ कृषि भूमि जलमग्न, कैसे करेंगे किसान खेती

वर्षों से खेतों में जमा है नाले का पानी पटना सिटी : गांव व शहर की संस्कृति को सहेजे आधा दर्जन से अधिक ऐसे मुहल्ले हैं, जहां खेती की जमीन पर नाला का पानी वर्षों से जमा है. इस कारण से लगभग 500 एकड़ जमीन पर खेती का काम बाधित है. दूसरी ओर, आवासीय क्षेत्र […]

वर्षों से खेतों में जमा है नाले का पानी
पटना सिटी : गांव व शहर की संस्कृति को सहेजे आधा दर्जन से अधिक ऐसे मुहल्ले हैं, जहां खेती की जमीन पर नाला का पानी वर्षों से जमा है. इस कारण से लगभग 500 एकड़ जमीन पर खेती का काम बाधित है.
दूसरी ओर, आवासीय क्षेत्र में भी इसका असर पड़ रहा है. जमा पानी से उठती दुर्गंध से संक्रामक बीमारी फैलने का खतरा बना है. स्थिति यह है कि कृषक चाह कर भी खेती नहीं कर पा रहे हैं.
यह स्थिति है बेगमपुर, बाहरी धवलपुरा, करमलीचक, नखास पिंड व शनिचरा मंदिर समेत अन्य जगहों की. पटना नगर निगम के क्षेत्र में पड़ने वाले इन मुहल्लों में जमा पानी की वजह से किसान चाह कर भी जमीन का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं. किसानों का कहना है कि जलमग्न होने की स्थिति में सैकड़ों एकड़ भूमि में साग-सब्जी की खेती भी नहीं कर पा रहे हैं, जिससे आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है, उस पर संक्रामक बीमारी फैलने का खतरा अलग है.
किसानों का कहना है कि यह समस्या वार्ड संख्या 68 व 62 के अलावा अन्य वार्डों में भी है क्योंकि शहर का गंदा पानी गुजरते हुए जल्ला में इसी रास्ते से जाता है. कृषक अजय मेहता की मानें तो पहले यह समस्या बरसात के समय होती थी, अब तो यह समस्या वर्ष भर कायम रहती है. किसानों की मानें तो यह समस्या उस समय और बढ़ गयी जब करमलीचक से मथनीतल के बीच नाला व सड़क निर्माण के दरम्यान नाला को ऊपर कर बनाया गया, जिससे थोड़ा बहुत जो पानी की निकासी गर्मी व जाड़ा में होती थी, वो भी बंद हो गयी. नतीजन समस्या और गहरा गयी है.
भूलने लगे हैं खेती का काम
सोना उगलने वाली जमीन पर आलू प्याज की खेती होती थी. यहां से पैदा किये गये आलू व प्याज की प्रदेश भर में बिक्री की जाती थी. अब तो स्थिति यह है कि जलजमाव की वजह से लगभग खेती का काम किसान छोड़ चुके हैं.
अजय मेहता, किसान
दुर्गंध से होती है परेशानी
जलजमाव के आसपास में परती जमीन पर सब्जी उगाने व समीप में ही आवासीय क्षेत्र होने की स्थिति में दुर्गंध की वजह से परेशानी होती है. साथ ही मच्छरों का प्रकोप भी रहता है. इस कारण भी हमेशा बीमारी का खतरा बना रहता है.
राजेश चौधरी, किसान
दबंग पालते हैं मछली
अतीत को याद कर किसान बताते हैं कि एक दशक पहले तक जमीन पर आलू, प्याज, सब्जी व साग की खेती वे लोग करते थे. अब स्थिति यह है कि खेतों में नाले का गंदा पानी जमा होने की स्थिति में दबंग जहां मछली पालने का काम करते हैं, तो कुछ किसान पानी फल सिंघाड़ा की खेती बरसात के समय में करते हैं. किसानों की पीड़ा है कि खेती नहीं होने से किसानों की आर्थिक स्थित डगमगाने लगी है. जलजमाव से मुक्ति दिलाने के लिए जिला व अनुमंडल प्रशासन के साथ-साथ निगमायुक्त तक को ज्ञापन मुहल्लों के लोगों ने सौंपा, इसके बाद भी अब तक कार्रवाई नहीं हुई. नतीजतन यह समस्या वर्षों से कायम है. स्थिति यह है कि मछलीपालन का काम करने वाले दंबगों ने जलनिकासी का मार्ग बंद कर दिया है, जिससे समस्या और गहरा गयी है.

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