पटना : जिस सरकारी अस्पताल में महिला ने बंध्याकरण कराया, उसी अस्पताल ने बंध्याकरण के चार माह बाद गर्भवती होने की पुष्टि कर दी. अस्पताल के द्वारा गर्भवती होने की पुष्टि किये जाने के बाद महिला और उसके पति परेशान हो गये. वहीं, दंपति ने अस्पताल के एक चिकित्सक पर आरोप लगाकर चौंका दिया कि डॉक्टर ने उन्हें बच्चा गिराने की सलाह तक दे डाली. चिकित्सक द्वारा गर्भपात कराये जाने की सलाह के बाद महिला नाराज हो गयी और अस्पताल में जम कर हंगामा किया.
जानकारी के मुताबिक, पटना की राजपूताना कॉलोनी निवासी 30 साल की आरती देवी बंध्याकरण के बावजूद गर्भवती हो गयी. मामले का खुलासा तब हुआ, जब महिला शुक्रवार को जांच के लिए गर्दनीबाग अस्पताल पहुंची. जांच के बाद डॉक्टरों ने उसे बताया कि वह गर्भवती है. यह सुनकर आरती और उसके पति परेशान हो गये. यही नहीं, इस दंपति ने एक डॉक्टर पर यह आरोप लगाकर भी चौंका दिया है कि डॉक्टर ने उनको बच्चा गिराने तक की सलाह दे दी है. दंपति ने इस मामले की जांच और कार्रवाई की मांग की है. वहीं, चिकित्सकों के मुताबिक, बंध्याकरण के समय महिला 15 दिन की गर्भवती थी. लेकिन, उन्होंने बिना सुरक्षित उपाये किये ही नसबंदी कर दी.
पेट में हुआ दर्द, फिर हुआ खुलासा
पेट दर्द होने के बाद महिला अपने पति संजय कुमार के साथ गर्दनीबाग अस्पताल पहुंची. मजे की बात तो यह है कि महिला का चार माह पहले उसी गर्दनीबाग अस्पताल में बंध्याकरण किया गया था, जहां फिर से वहां के डॉक्टरों ने गर्भवती होने की पुष्टि की. इसकी सूचना पाते ही वह उसका होश उड़ गया, महिला ने कहा कि परिवार छोटा रहे इसको लेकर उसने नसबंदी कराया था. यह ऑपरेशन गर्दनीबाग अस्पताल में चार माह पहले हुआ था. लेकिन, जब डॉक्टरों ने टेस्ट किया तो उसमें गर्भवती बताया गया.
जब डॉक्टर ने दी अजीब दलील
महिला ने वहां के एक डॉक्टर पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह जिस डॉक्टर से नसबंदी के लिए ऑपरेशन कराया था, जब उससे मिली. उसे रिपोर्ट बतायी तो डॉक्टर नाराज हो गयी और वह महिला को बच्चा गिराने के लिए बोल दिया. पीड़ित महिला ने कहा कि डॉक्टर ने अबॉर्शन कराने के लिए कहा. इस पर महिला नाराज हो गयी और जम कर हंगामा किया. महिला ने अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारियों से जांच की मांग की.
क्या कहती हैं अधिकारी?
गर्दनीबाग अस्पताल की डिप्टी सुपरिटेंडेंट डॉ मंजूला ने बताया कि जांच के बाद पता चला कि महिला गर्भवती है. तीन माह का बच्चा उसके पेट में पल रहा है. जब हमने इसके जिम्मेदार डॉक्टरों से बात की तो पता चला कि नसबंदी ऑपरेशन से पहले महिला 15 दिन की गर्भवती थी. इसलिए उसका बच्चा ठहर गया. क्या है पूरा मामला इसकी जांच की जा रही है. अगर डॉक्टरों की लापरवाही निकली तो नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी. हालांकि, अगर महिला चाहे तो उसका सुरक्षित गर्भपात भी किया जा सकता है.