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बिहार : न्यूनतम और अधिकतम तापमान में दोगुना अंतर बना मुसीबत, इस तरह है घातक
पटना : शहर मौसम की मनमौजी चाल से बेचैन है. मार्च के पहले हफ्ते में दोपहर खासी गर्म दिख रही है. इस हफ्ते अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस पहुंच चुका है. तेज धूप चुभने लगी है. अलबत्ता मंद-मंद बह रही हवा में अभी नरमी है. इन सबसे परे शहर के तापमान का उतार-चढ़ाव चिंता का […]
पटना : शहर मौसम की मनमौजी चाल से बेचैन है. मार्च के पहले हफ्ते में दोपहर खासी गर्म दिख रही है. इस हफ्ते अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस पहुंच चुका है. तेज धूप चुभने लगी है. अलबत्ता मंद-मंद बह रही हवा में अभी नरमी है. इन सबसे परे शहर के तापमान का उतार-चढ़ाव चिंता का विषय बन गया है.
यह देखते हुए कि अधिकतम और न्यूनतम तापमान में दो गुना से भी ज्यादा अंतर है. गुरुवार को तापमान दिन भर 34 डिग्री सेल्सियस के बीच स्थिर रहा. खास बात यह रही कि सुबह आठ बजे ही तापमान 32 डिग्री पहुंच चुका था. अलबत्ता रात में अभी भी ठंडक बनी हुई है. वर्ष 2010 के रिकाॅर्ड तापमान से अभी करीब छह डिग्री सेल्सियस कम है. मार्च अभी पूरा बाकी है.
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक गुरुवार को अधिकतम तापमान 34 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. न्यूनतम तापमान 14 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा. जानकारों के मुताबिक तापमान में यह अंतर स्वास्थ्य और खेती दोनों के लिए सिरदर्द बन सकता है. जानकारों के मुताबिक इस तरह के तापमान में खासतौर पर गेहूं की फसल प्रभावित हो सकती है.
इस तरह घातक
विशेषज्ञों के मुताबिक अधिकतम और न्यूनतम तापमान में किसी भी कीमत में दो गुना से ज्यादा अंतर नहीं होना चाहिए. जानकार बताते हैं कि तापमान में अधिकतम अंतर दस डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होना चाहिए.
इससे शरीर और मनोदशा दोनों पर विपरीत असर पड़ता है. असर कुछ इस प्रकार के देखे जाते हैं- शरीर की मेटाबॉलिक क्रियाएं प्रभावित होती हैं. इससे शारीरिक और मानसिक संतुलन प्रभावित होता है. दरअसल अधिकतम और न्यूनतम तापमान में दो गुना से अधिक अंतर से शरीर में जल की उपलब्धता, अम्ल, क्षार और लवण में असमानता दिखाई देती है. इससे पाचन क्रियाएं अनियमित होंगी.
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