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बिहार : घोटाले से लगा ओडीएफ पर ग्रहण, सुस्त पड़ी शौचालय बनाने की रफ्तार, फिलहाल ये है स्थिति
पटना : आेडीएफ के सपने पर ग्रहण लग चुका है. शौचालय निर्माण की प्रक्रिया सुस्त हो चुकी है. जिला में शौचालय निर्माण व खुले में शौच मुक्त बनाने का काम बीते वर्ष हुए घोटाले के बाद से रफ्तार नहीं पकड़ रहा है. फिलहाल ऐसी स्थिति है कि पहले से घोटाले में संलिप्त पांव ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर […]
पटना : आेडीएफ के सपने पर ग्रहण लग चुका है. शौचालय निर्माण की प्रक्रिया सुस्त हो चुकी है. जिला में शौचालय निर्माण व खुले में शौच मुक्त बनाने का काम बीते वर्ष हुए घोटाले के बाद से रफ्तार नहीं पकड़ रहा है.
फिलहाल ऐसी स्थिति है कि पहले से घोटाले में संलिप्त पांव ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर के गिरफ्तार होने के बाद दो और को-ऑर्डिनेटर फरार हो गये हैं. इसके अलावा जिला को-ऑर्डिनेटर पर भी वारंट जारी कर दिया गया है. इस कारण वो भी फरार चल रहा है. एेसे में कुल 17 ब्लॉक क्वाडीनेटर में से मात्र नौ को-ऑर्डिनेटर काम कर रहे हैं, जबकि जिला के कुल 23 प्रखंडों में 14 ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर का पद खाली है.
ऐसे में लाभुकों को चिह्नित करने व आवेदन देने से लेकर शौचालय निर्माण कराने तक का काम सुस्त पड़ा है. इस वर्ष नये लाभुकों को भी चिह्नित करने का नहीं किया जा सका है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि अगले वर्ष तक पूरा जिला कैसे ओडीएफ घोषित होगा. बीते वर्ष अक्तूबर में जिला में शौचालय निर्माण को लेकर 16 करोड़ से अधिक घोटाला सामने आया था.
नये वार्ड नहीं घोषित किये गये ओडीएफ
नगर निगम भी ओडीएफ घोषित करने में काफी सुस्त है. लंबे प्रयास के बाद बीते वर्ष 11 वार्डों को ओडीएफ घोषित किया था. अब निगम सुस्त पड़ गया है. नया लिस्ट निकाली गयी थी, उन वार्डों पर इतनी आपत्ति आयी की निगम नये वार्ड ओडीएफ घोषित नहीं कर पाया.
दो माह में एक भी वार्ड ओडीएफ घोषित नहीं
पटना जिले जनसंख्या 58 लाख 38 हजार 465 है, जिनमें से अाधी से अधिक आबादी अब भी खुले में शौच जाने को मजबूर है. कई लोगों के पास जमीन नहीं है, तो कई लोग आर्थिक रूप से शौचालय निर्माण करने में सक्षम नहीं हैं.
अब तक पटना जिला के 4354 वार्डों में से 951 वार्डों को कागज पर ओडीएफ घोषित किया जा चुका है, जबकि अब तक 3403 वार्डों को ओडीएफ घोषित नहीं किया जा सका है. अगर ओडीएफ घोषित पंचायत में जाएं, तो आपको दीदारगंज, सबलपुर, जेठुली, मोजीपुर जाने के बाद गंगा व रेलवे किनारों की गंदगी को देखने के बाद ओडीएफ की पोल खुल जाती है.
बन जाता है शौचालय, लेकिन नहीं मिलता पैसा
शौचालय निर्माण में घोटाले के बाद दूसरा कारण पैसा मिलने में देरी को लेकर भी आता है. सरकार के विभिन्न विभागों की ओर से शौचालय का निर्माण कराया जाता है.
इसके लिए लाभुक का आवेदन से लेकर सारी प्रक्रिया पूरी की जाती है. लेकिन जब तक पूरा वार्ड ओडीएफ घोषित नहीं हो जाता, तब तक पैसा नहीं दिया जाता है. ऐसे में पैसा मिलने में देरी होती और लोग शौचालय निर्माण में रुचि नहीं दिखा रहे है वहीं शौचालय निर्माण में लापरवाही करने वाले फुलवारी, संपतचक, बिहटा, नौबतपुर, दुल्हिन बाजार, दनियावां, मसौढ़ी, बिक्रम, घोसवरी, धनरुआ के बीडीओ को अंतिम वार्निंग दी गयी है.
घोटाले से बचने के लिए जियो टैगिंग
घोटाला से बचने के लिए अब जाकर जियो टैगिंग की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. डीडीसी बताते हैं कि जियो टैगिंग में अब शौचालय निर्माण के शुरुआती फोटो और निर्माण पूरा होने के बाद पूरा फोटो टैग किया जाता है. इस कारण भी निर्माण में थोड़ी देरी शुरू हुई है, हालांकि इससे फर्जी खेल नहीं होगा. व्यक्तिगत शौचालय निर्माण देने के लिए सबसे जरूरी है कि लाभुक के पास अपनी जमीन रहे.
फिलहाल ऐसी है स्थिति
पटना जिले में 55% वार्डों में ओडीएफ का काम चल रहा है. साढ़े तीन वर्षों में 21% वार्ड ओडीएफ घोषित हो सके हैं. दो अक्तूबर, 2019 तक देश को ओडीएफ घोषित कराने की योजना है.
322 में से 43 पंचायत ओडीएफ
अधिकारी बताते हैं कि जिन पंचायतों में ओडीएफ को लेकर काम किया जा
रहा है. वहां सबसे पहले पूरा करने के का लक्ष्य है. फिलहाल पटना जिला के 322 पंचायतों में से 42 पंचायतों को ओडीएफ किया जा चुका है. अधिकारियों अनुसार जिन इलाकों में ओडीएफ हो जायेगा और लोगों को पैसा मिल जायेगा. मोकामा के 10 में केवल दो पंचायत दो ओडीएफ के लिए रह गये हैं.
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