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बिहार : पानी के लिए पैसा बहाने का खेल

पैसे की बर्बादी. भूमिगत जल स्तर है सही, फिर भी जल संकट पटना : गर्मी के दस्तक देते ही शहर के भूगर्भ में भरपूर पानी होने के बाद भी शहर अचानक जल संकट ग्रस्त हो जाता है. निगम और दूसरे सरकारी गलियारों में इसको लेकर हाय-तौबा मच जाती है. इसके बाद शुरू होती है कथित […]

पैसे की बर्बादी. भूमिगत जल स्तर है सही, फिर भी जल संकट
पटना : गर्मी के दस्तक देते ही शहर के भूगर्भ में भरपूर पानी होने के बाद भी शहर अचानक जल संकट ग्रस्त हो जाता है. निगम और दूसरे सरकारी गलियारों में इसको लेकर हाय-तौबा मच जाती है. इसके बाद शुरू होती है कथित जल संकट के समाधान की कोशिश. आनन-फानन में डीपीआर बनवायी जाती है. सबमर्सिबल लगाये जाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है.
इस तरह की कवायद पिछले कुछ सालों से लगातार चल रही है. अलबत्ता सरकारी अमले के पास ऐसा कोई रिकाॅर्ड नहीं है, जिसमें भूमिगत जल के उतरने का खतरनाक आंकड़ा हो. बावजूद कृत्रिम जल संकट का बीज बो कर सरकारी पैसे को ठिकाने लगाने का खेल सालों से खेला जा रहा है. बीते रोज निगम बोर्ड की बैठक में पार्षदों ने भी अपनी-अपनी क्षेत्र की समस्याओं को लेकर आवाज उठायी थी.
हालांकि जानकारों की नजर में शहर में पानी की सप्लाई भूजल से की जाती है, जहां तक भूजल का सवाल है, तो फिलहाल इसकी कोई कमी नहीं है.
50 वर्षों से अधिक पुरानी है नगर निगम की पाइपलाइन
शहर के लगभग 30 फीसदी से कम घरों मेें नगर निगम पेय जल पहुंचाता है. पूरी पाइपलाइन 50 वर्ष से भी अधिक पुरानी है. निगम की 102 बोरिंग के माध्यम से पानी की सप्लाई होती है. पुरानी होने के कारण आये दिन कहीं न कहीं पानी का लिकेज होता रहा है.
वहीं बीआरजेपी नगर विकास व आवास विभाग की योजना से मिली स्वीकृति के अाधार पर शहर में 15 जगहों पर बोरिंग लगायी जानी थी. इनमें 12 जगहों पर बोरिंग लगायी जा चुकी है.
फिर निकाला गया है टेंडर : अधूरे पड़े शहर के 18 जगहों पर वाटर टावर व पाइपलाइन सप्लाई की योजना को फिर से शुरू करने के लिए डीपीआर बनाकर निविदा जारी की गयी है. इसमें चारों जोन को पूरा करने के लिए बुडको लगभग 166 करोड़ की राशि खर्च कर रहा है. सभी प्रोजेक्टों को पूरा करने के लिए लगभग डेढ़ वर्ष का समय रखा गया है. यानी निविदा में तय कंपनी को जब से वर्क ऑर्डर मिलेगा तब से 1.5 वर्ष में 18 जगहों के काम को पूरा कर देना है. इसमें पाइपलाइन विस्तार की योजना है.
हैंडपंप में डाल देते हैं सबमर्सिबल
नगर निगम की ओर से बीते दो वर्षों से हर वार्ड में पांच-पांच सबमर्सिबल लगाने की योजना थी. कई वार्डों में काम भी किया गया, लेकिन कई वार्डों में पहले से लगे हैंडपंप में निगम की ओर से मशीन डाल दी गयी. इस कारण कई बोरिंग फेल हो गये.

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