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बिहार : …जब अपनों के जुल्मों से आहत हिंसा व शोषण की शिकार इन महिलाओं का छलका दर्द, सुनायी आपबीती
पटना : पटना निवासी (परिवर्तित नाम) नेहा ने बहुत दुख सहे हैं. उसके शरीर के निशान अब भी उसकी दर्द भरी कहानी बयां कर रहे हैं. शादी के कुछ महीने बाद ही ससुराल वालों की मारपीट से तंग नेहा अब ससुराल नहीं जाना चाहती है. दूसरी तरफ दानापुर की प्रीति ससुराल में पति के पास […]
पटना : पटना निवासी (परिवर्तित नाम) नेहा ने बहुत दुख सहे हैं. उसके शरीर के निशान अब भी उसकी दर्द भरी कहानी बयां कर रहे हैं. शादी के कुछ महीने बाद ही ससुराल वालों की मारपीट से तंग नेहा अब ससुराल नहीं जाना चाहती है.
दूसरी तरफ दानापुर की प्रीति ससुराल में पति के पास रहना तो चाहती है, पर पति उसे रखना नहीं चाहता है. क्योंकि उसके पति के संबंध किसी और महिला के साथ हैं. इसी तरह वैशाली के बिदुपुर ब्लाॅक की रेणु देवी के ससुराल वाले उससे मारपीट कर रहे हैं. कभी हसुआ से उस पर हमला कर दिया जाता है, तो कभी लाठी से मार कर उसकी हड्डी ताेड़ दी जाती है. कसूर बस इतना कि वह अपने बच्चों के अधिकारों की बात करती है. रेणु, प्रीति और नेहा अकेली नहीं, जो हिंसा की शिकार हैं.
ऐसी महिलाआें की संख्या 18 से 19 रही. ये सभी महिलाएं वीमेंस नेटवर्क की ओर से घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत आयोजित जन सुनवाई के दौरान आयीं और अपनी व्यथा सुनाई. सुनवाई में विभिन्न जिलों से पहुंचीं हिंसा से पीड़ित महिलाओं ने अपनी आपबीती बिहार राज्य महला आयोग की अध्यक्ष दीलमणी मिश्रा से कहीं. पीड़ित महिलाअों की बातें सुनने के बाद आयोग ने उन्हें घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के बारे में जानकारी देते हुए कार्रवाई करने की बात कही.
हिंसा का विरोध करें महिलाएं : अध्यक्ष ने जिलों से आयी पीड़िताओं के आवेदनों को दर्ज करा कर आगे कार्रवाई करने की बात कही है.
उन्होंने बताया कि आयोग पहले मामले में काउंसेलिंग की मदद से परिवारों के बीच मध्यस्थता कराता है. इसके बाद ही दोनों की वास्तविक स्थिति को जानने के बाद कानूनी कार्रवाई की जाती है. सीडब्लूएस की प्रोग्राम ऑफिसर अंकिता सिंह ने बताया कि पीड़ित महिलाएं अपने ऊपर हो रही हिंसा का विरोध करें और अपनी मदद के लिए खुद आगे आएं. तभी हिंसा में कमी होगी. मौके पर नेटवर्क सदस्य सुधा कुमार, अधिवक्ता स्वास्तिका, वीमेंस नेटवर्क की संयोजिका रेणु कुमारी व सुधा कुमारी समेत अन्य उपस्थित रहे.
पटना. महिला शाेषण के विरुद्ध गांधी मैदान में शुक्रवार को विभिन्न महिला संगठनों की की आेर से सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया गया. मौका था उमड़ते सौ करोड़ कार्यक्रम का. इसके जरिये महिलाओं ने न केवल महिला हिंसा के खिलाफ आवाज बुलंद करते दिखीं, बल्कि पितृसत्तामक सोच से भी लोगों को बाहर निकलने के लिए आगाज किया.
कार्यक्रम की शुरुआत सांस्कृतिक कार्यक्रम से किया गया. बिहार घरेलू कामगार राष्ट्रीय संगठन की महिलाओं ने पहले आदिवासी डांस कर अपने कला का प्रदर्शन किया. वहीं, नारी -गुंजन की ओर से महिला बैंड ने धमाकेदार प्रस्तुती देकर लोगों की भीड़ जुटाया. कार्यक्रम के दौरान गांधी मैदान में करीब पांच हजार महिलाएं में शामिल हुई. महिला बैंड की धुनों पर महिलाओं ने मर्दानी डांस कर महिला छेड़छाड़ का विरोध प्रदर्शन किया.
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