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बनेगी बिहार कृषि वानिकी पॉलिसी, बढ़ेगा हरित क्षेत्र : मुख्यमंत्री

पटना : बिहार में कृषि वानिकी पॉलिसी बनेगी. इससे जहां प्रदेश के हरियाली क्षेत्र की बढ़ोतरी होगी, वहीं किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी और पर्यावरण का असंतुलन भी कम होगा. इसकी घोषणा मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की. कृषि वानिकी पॉलिसी तैयार करने को लेकर मंगलवार को सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर के ज्ञान भवन […]

पटना : बिहार में कृषि वानिकी पॉलिसी बनेगी. इससे जहां प्रदेश के हरियाली क्षेत्र की बढ़ोतरी होगी, वहीं किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी और पर्यावरण का असंतुलन भी कम होगा. इसकी घोषणा मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की.
कृषि वानिकी पॉलिसी तैयार करने को लेकर मंगलवार को सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर के ज्ञान भवन में कृषि वानिकी समागम का आयोजन किया गया.
इसमें राज्य भर से आये किसानों से सुझाव लिये गये और उनके सुझावों को इस नीति में शामिल किया जायेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि वानिकी समागम में कृषि वानिकी को बढ़ावा देने में आने वाली समस्याओं के बारे में सुझाव तो सामने आयेंगे ही, पेड़ों की बिक्री और बाजारों तक उसकी पहुंच और अन्य कठिनाइयों के बारे में किसानों की राय सामने आयेगी. इससे कृषि वानिकी नीति बनाने में सुविधा होगी. पोपुलर के साथ-साथ अनेक प्रकार के पेड़ लगाये जा रहे हैं.
बांस लगाने की भी संभावना बढ़ी है. उन्होंने कहा कि कृषि वानिकी को प्रोत्साहित करने से किसानों की आमदनी तो बढ़ेगी ही, पर्यावरण असंतुलन में भी कमी लायी जा सकती है. इससे वर्षा अच्छी हो सकती है और किसानों को काफी सुविधा होगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि वानिकी को प्रोत्साहन देने के लिए अनेक काम किये गये हैं. पौधारोपण के लिए योजना बनी. पौधों की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी. इसके लिए बाहर से पौधा भी मंगायी गयी. बिहार सरकार ने फॉरेस्ट साइंस अॉफ इंडिया के साथ बिहार में हरियाली के आकलन के लिए समझौता किया. बिहार ने अब तक 15% की हरिलायी के लक्ष्य को लगभग प्राप्त कर लिया है और इसकी रिपोर्ट मार्च तक आ जायेगी. वहीं, अगले दो सालों में 17% हरियाली के लक्ष्य को भी प्राप्त कर लेंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि दूसरे कृषि रोड मैप (2012-17) में 24 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया था.इनमें 18.60 करोड़ पौधे लगाये जा चुके हैं. वहीं, कृषि वानिकी के लिए जो छह करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य था, उनमें 6.10 करोड़ पौधे लगाये जा चुके हैं. कृषि वानिकी में आने वाले पौधे व पेड़ जो प्रतिबंधित थे, उन्हें इससे अलग कर दिया गया है और उसकी मार्केटिंग में आसानी होगी. उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि किसानों के फसलों से होने वाली आमदनी में जो अनिश्चितता बनी रहती है, उसकी भरपाई कृषि वानिकी के जरिये हो. किसान फसलों की खेती के साथ-साथ पौधे लगाकर अपनी आमदनी भी बढ़ा सकते हैं.
झारखंड बंटवारे के बाद रह गया था आठ प्रतिशत हरित आवरण
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में वन क्षेत्र काफी कम है. देश के क्षेत्रफल का 3.6% हिस्सा बिहार का है, जबकि देश की आबादी का 8.6% हिस्सा बिहार में निवास करता है. आम धारणा है कि प्लेन लैंड में 20% वन क्षेत्र होना चाहिए, लेकिन हमारे यहां उस लिहाज से जमीन की कमी है. झारखंड के गठन के बाद राज्य में 8% से भी कम वन क्षेत्र था. बिहार–झारखंड के सीमवर्ती जिले और चंपारण इलाके में ही वन क्षेत्र रहे थे. राज्य में हरित आवरण बढ़ाने के लिए काम किया और 2017 में 15%तक पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया. इसके लिए हरियाली मिशन व कृषि वानिकी की शुरुआत की गयी.
कुदरत की छेड़छाड़ से बचे
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुदरत के साथ छेड़छाड़ से हमें बचना चाहिए. इसी छेड़छाड़ की वजह से गंगा, सोन नदी का प्रवाह बाधित हुआ है. हमलोगों का फर्ज है कि पर्यावरण की रक्षा करें ताकि आने वाली पीढ़ी को सबकुछ अच्छी स्थिति में मिल सके. सीएम ने कृषि वानिकी समागम में किसानों की उपस्थिति देख कर कहा कि इस संवाद का बेहतर नतीजा सामने आयेगा और 17% के लक्ष्य से भी आगे बढ़ेंगे.
बिहार में बारिश में आयी कमी, होनी चाहिए जांच
सीएम ने कहा कि पहले बिहार में औसतन 1200 से 1500 एमएम वर्षा होती थी. इसे आज भी माना जाता है, जबकि वास्तव में बिहार में 800 से 900एमएम के बीच वर्षा होती है. उन्होंने वन, कृषि व जल संसाधन विभाग को बिहार में हो रहे वर्षापात का फिर से जांच कराने का निर्देश दिया. कहा कि राज्य में अतिवृष्टि से बाढ़ नहीं आती, बल्कि नेपाल, उत्तराखंड व मध्यप्रदेश में बारिश से बाढ़ आती है. राज्य में बाढ़ और सुखाड़ की स्थिति बने रहने के लिए पर्यावरण असंतुलन भी प्रमुख कारण है.

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