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कसहा दियारा पंचायत में आवास योजना पर लगा ग्रहण

मोकामा : मोकामा प्रखंड की कसहा दियारा पंचायत में पीएम आवास योजना पर ग्रहण लगा है. जमीन पर स्वामित्व के विवाद को लेकर ग्रामीणों को यह परेशानी झेलनी पड़ रही है. बताया जा रहा है कि दियारा की जमीन ‘खास महाल’ की है. स्थानीय प्रशासन ने वर्ष 2010–11 से राजस्व रसीद पर रोक लगा दी […]

मोकामा : मोकामा प्रखंड की कसहा दियारा पंचायत में पीएम आवास योजना पर ग्रहण लगा है. जमीन पर स्वामित्व के विवाद को लेकर ग्रामीणों को यह परेशानी झेलनी पड़ रही है. बताया जा रहा है कि दियारा की जमीन ‘खास महाल’ की है. स्थानीय प्रशासन ने वर्ष 2010–11 से राजस्व रसीद पर रोक लगा दी थी.
मुखिया उमा देवी ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना से कई परिवारों का आवास स्वीकृत है, लेकिन स्थानीय प्रशासन से आवास निर्माण की अनुमति नहीं मिल रही है. इसको लेकर लोग फूस की झोंपड़ी में रहने को विवश हैं. इस पंचायत की आबादी तकरीबन 15 हजार है. वर्ष 2017–18 से आवास निर्माण पर रोक लगी है. आवास बनाने की अनुमति के लिए अधिकारियों का चक्कर लगा कर लाभुक थक चुके हैं. समस्या का निदान नहीं निकल सका है, जबकि इससे पहले तकरीबन एक सौ इंदिरा आवासों का निर्माण पंचायत में कराया गया था.
मुआवजे की मांग पर जागा प्रशासन
दरअसल बरौनी थर्मल पावर के विस्तारीकरण के लिए दियारा की जमीन का अधिग्रहण शुरू हुआ. किसानों ने जमीन पर मालिकाना हक बता कर मुआवजे की मांग शुरू कर दी, लेकिन प्रशासन ने जमीन को सरकारी बता कर मुआवजा देने से इन्कार कर दिया. तब उग्र लोगों ने निर्माण कार्य पर रोक दी थी. विवाद बढ़ने पर मामला कोर्ट में चला गया था. इस घटना के बाद स्थानीय प्रशासन ने सरकारी जमीन के सर्वे का काम शुरू किया.
वहीं ‘ खास महाल’ की जमीन को चिह्नित कर निर्गत राजस्व रसीद को निरस्त कर दिया गया. इससे दियारा में निवास करने वाले लोगों की मुसीबत बढ़ गयी है. उनके बीच नाराजगी है. कसहा पंचायत के लोगों का कहना है कि यहां के अधिकतर परिवार भूमिहीन हैं. सरकार एक ओर भूमिहीन लोगों के बीच जमीन बांट रही है. वहीं दूसरी ओर अधिकारी आवास से बेदखल करने में जुटे हैं. गरीब लोगों के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है.
क्या कहना है अधिकारियों का
लाभुकों ने भूमि स्वामित्व प्रमाणपत्र जमा नहीं कीहै, जिसको लेकर आवास निर्माण की राशि पर रोक लगा दी गयी है.
नीरज कुमार, बीडीओ
क्या है पूरा मामला
कसहा दियारा की जमीन ‘खास महाल’ की है. सरकार ने खेती के लिए इस जमीन की अस्थायी बंदोबस्ती की थी, लेकिन बाद में इस जमीन की खरीद-फरोख्त शुरू हो गयी. वहीं, अंचल कार्यालय से राजस्व रसीद भी निर्गत करा लिया गया. वर्ष 2010 के बाद प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेकर राजस्व रसीद पर रोक लगा दी, जबकि प्रधानमंत्री आवास का लाभ के लिए राजस्व रसीद की जरूरत है. इस मामले में भूमिहीन लोग कोर्ट जाने की तैयारी में हैं. इस संबंध में सीओ जयकृष्ण प्रसाद ने जानकारी दी कि लोगों को एक निर्धारित समय के लिए जमीन की बंदोबस्ती दी गयी थी. कई लोगों की बंदोबस्ती की समय सीमा समाप्त हो चुकी है. केवल स्थायी बंदोबस्ती वाली जमीन का ही राजस्व निर्धारित किया जा सकता है.

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