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बिहार : 365 में 100 दिनों से अधिक छुट्टियां, फिर भी सेवाएं देने में अधिकारी व कर्मी लापरवाह
आरटीपीएस : ड्रीम प्रोजेक्ट में गैर जिम्मेदाराना रवैये से सीएम नाराज, म्यूटेशन, एलपीसी और सामाजिक सुरक्षा पेंशन की स्थिति खराब पटना : बिहार लोक सेवा का अधिकार अधिनियम (आरटीपीएस) की सेवाओं से जुड़े अधिकारी-कर्मियों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गुस्सा वाजिब है. उनके इस ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर प्रखंड व अंचलों में तैनात कर्मियों का […]
आरटीपीएस : ड्रीम प्रोजेक्ट में गैर जिम्मेदाराना रवैये से सीएम नाराज, म्यूटेशन, एलपीसी और सामाजिक सुरक्षा पेंशन की स्थिति खराब
पटना : बिहार लोक सेवा का अधिकार अधिनियम (आरटीपीएस) की सेवाओं से जुड़े अधिकारी-कर्मियों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गुस्सा वाजिब है. उनके इस ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर प्रखंड व अंचलों में तैनात कर्मियों का गैर जिम्मेदाराना रवैया अधिनियम का लक्ष्य हासिल करने में बाधाएं पैदा कर रहा है. यह स्थिति तब है जब साल के 365 दिनों में 100 से अधिक दिनों की आधिकारिक छुट्टी होती है. अगस्त 2011 में प्रारंभ हुई आरटीपीएस सेवा के तहत आवेदकों को निर्धारित समय में सेवाएं मुहैया करायी जानी थी.
लेकिन कई सेवाएं देने में निर्धारित समय से काफी देर बरती जा रही है. इसको देखते हुए ही मुख्यमंत्री ने आरटीपीएस में कोताही बरतने वाले अधिकारी-कर्मियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की बात कही है.
राशन कार्ड से सबसे अधिक
आवेदन हुए खारिज : प्रमाण पत्र जारी करने में होने वाली परेशानी से बचने के लिए कई बार काउंटरों पर ही आवेदन को खारिज कर दिया जाता है. सेवा प्रारंभ हाेने के बाद सबसे अधिक 38 फीसदी आवेदन राशन कार्ड के खारिज हुए हैं.
सात वर्षों में 18 करोड़ से अधिक आवेदन
इसके बारे में आरटीपीएस कर्मियों का कहना है कि यह सेवा पिछले सालही जुड़ी. इसको लेकर लोगों को पूरी जानकारी नहीं होने से आवेदन के साथ आवश्यक कागजात नहीं लगाये जाते. इस वजह से आवेदन खारिज हो जाता है. राशन कार्ड के साथ ही सामाजिक सुरक्षा पेंशन के नौ फीसदी और म्यूटेशन के लगभग पांच फीसदी आवेदन भी खारिज किये गये हैं.
– दस विभागों के माध्यम से 53 सेवाएं मिलती हैं : आरटीपीएस में म्यूटेशन (दाखिल-खारिज), एलपीसी (भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र) व सामाजिक सुरक्षा पेंशन सेवाओं की हालत थोड़ी अधिक खराब है. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक आरटीपीएस के तहत दस विभागों के माध्यम से 53 सेवाएं दी जाती हैं.
आंकड़ों की मानें तो इस माध्यम से दाखिल होने वाले कुल आवेदन के 11 फीसदी मामले में निर्धारित समय सीमा के बाद प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया जाता है. इसमें सबसे अधिक 28 फीसदी आवेदन सामाजिक सुरक्षा पेंशन से जुड़े, 24 फीसदी मामले म्यूटेशन और लगभग 20 फीसदी मामले एलपीसी के होते हैं. मालूम हो कि सेवा प्रारंभ होने के बाद पिछले सात वर्षों में आरटीपीएस के तहत 18 करोड़ से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं.
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