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बिहार में जल्द लागू होगी नयी खादी नीति : नीतीश कुमार

कार्यक्रम. राष्ट्रीय खादी शिल्प महोत्सव के उद्घाटन समारोह में सीएम बोले पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में नयी खादी नीति लागू होगी. उन्होंने अधिकारियों को इसे जल्द अंतिम रूप देने का निर्देश दिया है. इस नीति का मूल मकसद खादी का उत्पादन बढ़ाना, इसका उपयोग करने के लिए लोगों को प्रेरित […]

कार्यक्रम. राष्ट्रीय खादी शिल्प महोत्सव के उद्घाटन समारोह में सीएम बोले
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में नयी खादी नीति लागू होगी. उन्होंने अधिकारियों को इसे जल्द अंतिम रूप देने का निर्देश दिया है. इस नीति का मूल मकसद खादी का उत्पादन बढ़ाना, इसका उपयोग करने के लिए लोगों को प्रेरित करना और खादी उत्पादन कार्य में लगे लोगों को संतोषजनक आमदनी उपलब्ध करवाना है.
खादी के विकास के लिए जितने पैसे की जरूरत होगी, उसे राज्य सरकार देगी. मुख्यमंत्री गुरुवार को राष्ट्रीय खादी शिल्प महोत्सव-2018 के उद्घाटन के दौरान बोल रहे थे. इसका आयोजन राज्य सरकार के उद्योग विभाग ने किया था.
उन्होंने राज्य सरकार के सभी अधिकारियों से सप्ताह में एक दिन खादी के वस्त्र पहनने की अपील की. इस दौरान उन्होंने तीन पुस्तकों का विमोचन भी किया. इसमें हस्तशिल्प आधारित पुस्तक भी शामिल है. नीतीश कुमार ने कहा, हर पार्टी की सदस्यता रसीद के पीछे खादी पहनने का निर्देश होता है.
10वीं लोकसभा के दौरान संसद में मैंने देखा कि पहली पंक्ति में बैठे मंत्रियों में से एक ने भी खादी का वस्त्र नहीं पहना था. जब मैंने पूछा कि ऐसा क्यों है तो संसद में ठहाका गूंज उठा. मुख्यमंत्री ने महोत्सव के आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि हर साल खादी से जुड़े प्रमुख स्थलों में कमिश्नरी स्तर पर इसकी प्रदर्शनी लगनी चाहिए.
खादी के कार्यों से जीविका को भी जोड़ना चाहिए. इनकी संख्या करीब आठ लाख है. चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष को लेकर उन्होंने कहा कि खादी का प्रचार-प्रसार करने से गांधी जी के विचारों को बढ़ाने में मदद मिलेगी.
आधुनिक चर्खे की सराहना : चरखे से धागा निकालने की काम का सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने
कहा कि इससे मन और ध्यान केंद्रित होता है. व्यक्तित्व का विकास होता है. यह योग जैसा ही है. उन्होंने कहा कि गांधी के बाद उनकी बनायी संस्थाओं का कामकाज जेपी के बाद त्रिपुरारि बाबू ही देखते थे. उन्होंने सूत निकालने वालों की आमदनी बढ़ाने के लिए आधुनिक चरखे का निर्माण किया. इससे एक साथ करीब 10 धागे निकलते थे. बाद में इस मॉडल को त्रिपुरारि मॉडल नाम दे दिया गया.
खादी संस्थाओं को सरकारी मदद : इस कार्यक्रम में उद्योग विभाग के प्रधान सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने कहा कि 2016 में चरखा दिवस पर त्रिपुरारि मॉडल के 1000 चरखे खादी संस्थाओं को उपलब्ध करवाये गये. इस साल 1037 ये चरखे दिये जा चुके हैं, जबकि 2000 का लक्ष्य है.
खादी बोर्ड द्वारा 29 संस्थाओं को 176 आधुनिक करघा खरीदने के लिए पैसे दिये जा चुके हैं. 17 संस्थाओं को 600 कटिया चरखा उपलब्ध कराये गये हैं. साल 2018 में 318 कटिया चरखे उपलब्ध करवाये जायेंगे. खादी की ब्रांडिंग के लिए निफ्ट से 100 डिजाइन बनवायी जा रही हैं. इनमें 50 बन चुके हैं, जिन्हें बाजार में उतारा गया है. अन्य 50 भी बनेंगे. इस कार्यक्रम के दौरान पीएचईडी मंत्री विनोद नारायण झा, भवन निर्माण मंत्री महेश्वर हजारी, गांधी संग्रहालय के सचिव रजी अहमद ने भी विचार व्यक्त किये.
गांधी की बात मानते तो देश की हालत अच्छी होती : नीतीश कुमार ने कहा कि आजादी के बाद की सरकारें यदि महात्मा गांधी की बात मानतीं तो देश की हालत अच्छी होती. विकेंद्रीकरण के आधार पर ही देश की तरक्की हो सकती है.
होंगी ये सुविधाएं
-आधुनिक चर्खा और लूम खरीदने के लिए 90% मिलेगा अनुदान
-इसे चलाने वाली संस्थाओं को ब्याज में 4% मिलेगा अनुदान
-साथ ही इन संस्थाओं को उत्पादन लागत का 20% अनुदान मिलेगा
-बुनकरों के लिए कॉमन वर्क शेड की व्यवस्था होगी.
खादी की ब्रांडिंग
मुख्यमंत्री ने कहा कि खादी की ब्रांडिंग शुरू हो गयी है. खासकर मधुबनी का खादी मशहूर है. यह दिल्ली में भी बिकता है. भागलपुर के सिल्क की तारीफ करते हुए कहा कि जापान दौरे के समय वहां सिल्क का कपड़ा देखकर पता चला था कि यह सिल्क भागलपुर से निर्यात होकर जापान पहुंचा.

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