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डॉक्टर की कमी के चलते नहीं हो पा रही हाई रिस्क डिलिवरी
अगर आप के घर में गर्भवती को प्रसव पीड़ा हो रही है और आप शहर के गर्दनीबाग अस्पताल में जाने की सोच रहे हैं तो अपने साथ दवाएं, जांच सेंटरों से डिजिटल अल्ट्रासाउंड आदि सभी तरह की जांच करा कर साथ में ले जाएं. वहीं अगर मामला हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का है तो इस स्थिति […]
अगर आप के घर में गर्भवती को प्रसव पीड़ा हो रही है और आप शहर के गर्दनीबाग अस्पताल में जाने की सोच रहे हैं तो अपने साथ दवाएं, जांच सेंटरों से डिजिटल अल्ट्रासाउंड आदि सभी तरह की जांच करा कर साथ में ले जाएं.
वहीं अगर मामला हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का है तो इस स्थिति में सीधे पीएमसीएच ही चले जायें, क्योंकि गर्दनीबाग अस्पताल के डॉक्टर मामला देखते ही पीएमसीएच रेफर कर देंगे. हालांकि प्रसव के लिए गर्दनीबाग अस्पताल सुपर स्पेशियलिटी के तौर पर मशहूर है. यहां नॉर्मल प्रसूताओं की तुरंत डिलिवरी करा देते हैं, लेकिन गंभीर प्रसूताओं को अब पीएमसीएच रेफर कर दिया जाता है. इसका कारण अस्पताल में विशेषज्ञ व डिलिवरी आदि सुविधा नदारद होना है.
गर्दनीबाग सरकारी अस्पताल में प्रसव के लिए अधिकांश आर्थिक तौर पर कमजोर तबके की महिलाएं जाती हैं. इस अस्पताल के पास इमरजेंसी की हालत में एनेस्थेटिस्ट यानी बेहोशी की दवा देने वाले डॉक्टर की व्यवस्था नहीं है. इस वजह से अगर किसी महिला को सर्जरी की जरूरत पड़े तो अस्पताल प्रशासन हाथ खड़ा करने लगता है. अधिकारियों की मानें तो अस्पताल में एनेस्थेटिस्ट का पद ही नहीं है.
इनकी है कमी
-डिजिटल
अल्ट्रासाउंड मशीन
-ऑपरेशन संबंधी दवाएं
-कूड़ा डंपिंग यार्ड
-एनेस्थेसिया डॉक्टर
-डिजिटल एक्सरे मशीन
अस्पताल को कौन सा ग्रेड पता नहीं
गर्दनीबाग हॉस्पिटल
किस ग्रेड का है, इसके बारे में न तो सिविल सर्जन को जानकारी है और न ही
यहां के जिम्मेदार अधिकारियों को. इस बात का खुलासा भी अभी हाल ही में हुआ
जब स्वास्थ्य मंत्री मंगल
पांडे गर्दनीबाग अस्पताल
का निरीक्षण करने पहुंचे थे. मंत्री ने सिविल सर्जन से पूछा तो उन्होंने बताया कि अस्पताल की फाइल ढूंढ़ी जा रही है, ताकि पता चल सके कि अस्पताल किस श्रेणी का है.
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