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बिहार : ड्रेस से भी कमाई कर रहे हैं स्कूल, 30% तक कमा रहे कमीशन

दुकानदारों से सौदेबाजी, अभिभावक पर दबाव पटना : वर्तमान में हर अभिभावक अपने बच्चे को किसी अच्छे प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं. अभिभावकों के इस मोह को देखते हुए स्कूल अपनी मनमानी करते हुए इसका भरपूर फायदा उठाते हैं. स्थिति यह है कि स्कूलों ने ट्यूशन फीस के अलावा अपनी कमाई का अलग-अलग जरिया […]

दुकानदारों से सौदेबाजी, अभिभावक पर दबाव
पटना : वर्तमान में हर अभिभावक अपने बच्चे को किसी अच्छे प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं. अभिभावकों के इस मोह को देखते हुए स्कूल अपनी मनमानी करते हुए इसका भरपूर फायदा उठाते हैं. स्थिति यह है कि स्कूलों ने ट्यूशन फीस के अलावा अपनी कमाई का अलग-अलग जरिया तय कर रखा है. अभिभावकों की मानें, तो स्कूल किताबों की बिक्री में पब्लिशर्स व दुकानदारों से सौदेबाजी के साथ ही स्कूल ड्रेस में लाखों रुपये का कमीशन कमाते हैं. इससे अभिभावकों के जेब पर बोझ बढ़ता है.
हर साल स्कूलों की किसी न किसी दुकानदार के साथ सेटिंग होती है. अभिभावकों को तयशुदा दुकान से ही स्कूल ड्रेस खरीदने को मजबूर किया जाता है, जहां लोगो (बैज) से लेकर समुचित ड्रेस उपलब्ध होता है. ड्रेस की कीमत निर्धारित होती है, उसमें अभिभावकों को कोई रियायत नहीं दी जाती. बताया जाता है कि स्कूल के साथ 20 से 30 प्रतिशत तक कमीशन पर सौदेबाजी के कारण दुकानदार द्वारा मनमाने कीमत पर ड्रेस की बिक्री की जाती है. कमीशन की राशि स्कूल को पहुंचायी जाती है, इस कारण अभिभावकों को रियायत नहीं मिलती.
ऐसे होती है डील
अभिभावकों ने बताया कि कमीशन पर ही स्कूल ड्रेस का रंग से लेकर डिजाइन तक टिका होता है. जिस वर्ष कमीशन की राशि कम होती है, उस डील बदल दी जाती है. यानी, स्कूल ड्रेस का रंग व डिजाइन में बदलाव कर दिया जाता है. इस वजह से स्कूल के पुराने विद्यार्थियों को भी नयी ड्रेस खरीदने की मजबूरी होती है. इसका अधिभार अभिभावकों को उठाना पड़ता है.
स्कूलों के द्वारा अभिभावकों पर किसी खास दुकान से ही ड्रेस खरीदने के लिए दबाव बनाया जाता है. होना तो यह चाहिए कि स्कूल ड्रेस का रंग व डिजाइन ऐसा हो कि वह बाजार में आसानी से उपलब्ध हो.
संजीव पाठक, अभिभावक

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