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दो डॉक्टरों के भरोसे 80 मरीज

पटना : इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के फिजियोथेरेपी विभाग में डॉक्टरों की बहाली पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है. डॉक्टरों की कमियों को दूर करने के लिए संस्थान ने चार डॉक्टरों की बहाली के लिए विज्ञापन निकाला. परीक्षा व इंटरव्यू भी हुए, लेकिन अभी तक डॉक्टरों की बहाली नहीं हो पायी. नतीजन विभाग में […]

पटना : इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के फिजियोथेरेपी विभाग में डॉक्टरों की बहाली पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है. डॉक्टरों की कमियों को दूर करने के लिए संस्थान ने चार डॉक्टरों की बहाली के लिए विज्ञापन निकाला. परीक्षा व इंटरव्यू भी हुए, लेकिन अभी तक डॉक्टरों की बहाली नहीं हो पायी.
नतीजन विभाग में सिर्फ दो डॉक्टर ही हैं, ऐसे में मरीजों को एक सप्ताह बाद का नंबर मिल रहा है. यहां डॉक्टर और उपकरण की कमी के चलते मरीजों का ट्रीटमेंट समय पर नहीं हो पा रहा है. मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
पीड़ा आज, एक सप्ताह बाद इलाज : आईजीआईएमएस के ओपीडी में रोजाना 35 से 40 मरीज फिजियोथेरेपी के लिए आते हैं, जबकि इंडोर में पहले से ही 45 मरीज ऐसे हैं जिनको रोजाना फिजियोथेरेपी की जरूरत है. ऐसे में रोज करीब 80 से 85 मरीजों को फिजियोथेरेपी की जरूरत पड़ती है. इसके लिए सिर्फ दो डॉक्टर ही लगाये गये हैं. नतीजन रोजाना 40 से 50 मरीजों का ही फिजियोथेरेपी से इलाज हो रहा है. बाकी 30 मरीजों को पेंडिंग में डाल दिया जाता है. यही वजह है कि अब तक करीब दो सौ से अधिक मरीज अपने इलाज के लिए नंबर का इंतजार कर रहे हैं. पेंडिंग वाले मरीजों को एक सप्ताह बाद इलाज के लिए बुलाया जाता है.
क्या कहते हैं अधिकारी
अस्पताल में जो कमियां है, उसे पूरा करने की दिशा में काम चल रहा है. कई विभाग में सुविधाएं बढ़ायी गयी हैं. फिजियोथेरेपी विभाग में प्रशासन का पूरा ध्यान है. यही वजह है कि अब विभाग को ग्राउंड फ्लोर में शिफ्ट कर वहां सुविधाएं बढ़ायी गयी है. बहुत जल्द बाकी के उपकरण और डॉक्टरों की कमी को दूर किया जायेगा. इसकी प्लानिंग अस्पताल प्रशासन ने कर ली है.
डॉ एनआर विश्वास, निदेशक, आईजीआईएमएस
इन उपकरणों की कमी
लेजर, माइक्रोवेब डायथेरमिक, रिहैबिलिटेशन ट्रेड मिल, मैगेनेट ट्रोन, किट्ज बास थेरेपी, हाइड्रोथेरेपी, लांग वेब डायथेरमिक, स्पाइरो मीटर, वेट करनेवाला मशीन और ब्लड प्रेशर की मशीन नहीं है. फिजियोथेरेपी विभाग ने इन उपकरणों की मांग की है, लेकिन आज तक अस्पताल प्रशासन की ओर से इस दिशा में कुछ नहीं किया गया है. वहीं खासकर लेजर नहीं होने से मरीजों का पुराना दर्द जहां ठीक नहीं हो पा रहा, वहीं घाव भी नहीं भर पाते हैं.
विभाग ने लिखा उपकरण की कमी का पत्र, नहीं हुआ असर
फिजियोथेरेपी विभाग में डॉक्टर के अलावा उपकरणों की भी भारी कमी है. विभाग के डॉक्टर रत्नेश चौधरी ने उपकरणों की कमी और मरीजों को हो रही परेशानी को लेकर डायरेक्टर डॉ एनआर विश्वास को पत्र लिखा था. पत्र को लिखे एक साल नौ महीने से अधिक हो गये बावजूद अब तक एक भी उपकरण अस्पताल प्रशासन ने नहीं खरीदा. आधे-अधूरे उपकरणों से ही मरीजों का इलाज किया जा रहा है.

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