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बिहार : बिहार शिक्षा परियोजना की ओर से घर-घर जायेंगे गुरुजी, बच्चों की उम्र पूछ होगा दाखिला

पहल – बिहार शिक्षा परियोजना की ओर से तैयार किया गया प्रस्ताव पटना : अब गुरुजी घर-घर जायेंगे और छह वर्ष के बच्चों का दाखिला स्कूल में करायेंगे. बाल पंजी के मुताबिक गुरुजी बच्चों के घर पहुंच कर उसे अपडेट करेंगे और नजदीक के स्कूल में नामांकन करायेंगे. बाल पंजी, 2014 के मुताबिक पूरे बिहार […]

पहल – बिहार शिक्षा परियोजना की ओर से तैयार किया गया प्रस्ताव
पटना : अब गुरुजी घर-घर जायेंगे और छह वर्ष के बच्चों का दाखिला स्कूल में करायेंगे. बाल पंजी के मुताबिक गुरुजी बच्चों के घर पहुंच कर उसे अपडेट करेंगे और नजदीक के स्कूल में नामांकन करायेंगे.
बाल पंजी, 2014 के मुताबिक पूरे बिहार में छह से 14 वर्ष के कुल दो लाख एक हजार 806 बच्चे अब भी स्कूल से बाहर हैं. ये बच्चे न तो स्कूल में नामांकित हैं और न ही कहीं पढ़ रहे हैं. ऐसे में अब बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से इन्हें स्कूल से जोड़ने के लिए कार्ययोजना तैयार की गयी है. प्रत्येक स्कूल द्वारा अपने पोषक क्षेत्र के बच्चों का नामांकन किया जाना है, ताकि सभी बच्चों की पहुंच स्कूल तक हो सकें.
प्रमंडल स्तर पर खोला गया है केंद्र
12 महीने तक केंद्र में रख कर प्रशिक्षित किया जायेगा. इसके लिए प्रत्येक प्रमंडल में नौ स्पेशल केंद्र खोले गये हैं. इसके लिए पूरे बिहार भर के शिक्षकों को ट्रेनिंग दी गयी है, ताकि वह अपने-अपने क्षेत्र में वालेंटियर तैयार कर बच्चों को प्रशिक्षण दे सकें. अगले एक से डेढ़ वर्ष में दो लाख बच्चों को स्कूल में नामांकित किया जाना है. इनमें छह वर्ष के सभी बच्चों का नामांकन अप्रैल माह तक किया जाना है.
-ड्रापआउट बच्चों को दिया जायेगा आवासीय व गैरआवासीय प्रशिक्षण
उम्र के मुताबिक दी जायेगी शिक्षा
वैसे ड्राॅपआउट बच्चे, जिनकी उम्र छह वर्ष से अधिक हैं, उन्हें स्कूल से जोड़ने के लिए 12 माह का आवासीय और गैर आवासीय प्रशिक्षण दिया जायेगा. इसके लिए बच्चों की उम्र के मुताबिक तीन, नौ और छह महीने का प्रशिक्षण दिया जाना है. छह वर्ष के बच्चों को पहली कक्षा की पढ़ाई करायी जानी है. सात वर्ष के लिए दूसरी कक्षा और आठ वर्ष के बच्चों को कक्षा तीन के लिए दक्ष किया जाना है, ताकि 12 महीने के बाद इन बच्चों का इनरॉलमेंट स्कूल में किया जा सके.
दो लाख बच्चे अब भी स्कूल से बाहर हैं. इन्हें स्कूल में नामांकित करने का लक्ष्य तय किया गया है. इन्हें 12 माह का प्रशिक्षण दिया जायेगा.स्कूल के शिक्षक भी अब अपने पोषक क्षेत्र में घर-घर जाकर बच्चों का नामांकन करायेंगे.

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