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बिहार : आंख के पर्दे में थे छोटे-छोटे छेद, रेटिनल सर्जरी कर मरीज को दी रोशनी

पटना : आईजीआईएमएस अस्पताल के नेत्र रोग विभाग के विशेषज्ञों ने दो मरीजों की आंख की जटिल समस्या का सरल व सफल सर्जरी कर नयी रोशनी दी. इसमें 52 साल का एक मरीज पिछले कई सालों से बायीं आंख से कम दिखाई देने की समस्या से परेशान था. मेडिकल भाषा में वह टोटल रिग्मेटोजिनस रेटिनल […]

पटना : आईजीआईएमएस अस्पताल के नेत्र रोग विभाग के विशेषज्ञों ने दो मरीजों की आंख की जटिल समस्या का सरल व सफल सर्जरी कर नयी रोशनी दी. इसमें 52 साल का एक मरीज पिछले कई सालों से बायीं आंख से कम दिखाई देने की समस्या से परेशान था.
मेडिकल भाषा में वह टोटल रिग्मेटोजिनस रेटिनल डिटैचमेंट विद प्रोलिफरेटिव वाट्रिरेटिनोपैथी चेंजर लेफ्ट आईज से पीड़ित था. डॉक्टरों ने सर्जरी के जरिये अचानक धुंधली हुई रोशनी को फिर से वापस दिलाने में सफलता प्राप्त की. वहीं 40 साल के रमेश नाम के मरीज की भी सफल सर्जरी की गयी. इस मरीज के रेटिना में ब्लड जम गया था. आईजीआईएमएस में यह पहला मौका था, जहां रेटिना की सर्जरी की गयी. शुक्रवार से यह सुविधा शुरू कर दी गयी.
पर्दे पर जम गया था ब्लड
एक मरीज के पर्दे में जहां छोटे-छोटे छेद थे. वहीं दूसरे मरीज के पर्दे में ब्लड जम गया था. दोनों मरीज का लगभग साढ़े तीन घंटे ऑपरेशन किया गया. इसमें सबसे पहले मरीज के आंख के रेटिना के छोटे-छोटे छेद को लेजर पद्धति से बंद किया गया. उसके बाद सिलिकॉन ऑइल से रेटिना को चिपकाया गया.
साथ ही उसके पर्दे में लगे ब्लड को भी हटाया गया. इस पूरी प्रक्रिया को रेटिनल डिटैचमेंट के नाम से जाना जाता है. ऑपरेशन के बाद मरीज को 13 दिनों के बाद डिस्चार्ज किया जायेगा. डॉक्टरों ने कहा कि 10 दिनों के अंदर मरीजों की आंख की रोशनी 60 से 80 प्रतिशत तक बढ़ जायेगी.
वेटामी एंडोलाइजर मशीन से इलाज
आईजीआईएमएस के क्षेत्रीय चछु संस्थान में 70 लाख रुपये की लागत से वेटोमी एंडोलाइजर मशीन लगायी गयी है. इस मशीन से कॉर्निया के अंदरूनी भाग का ऑपरेशन किया जायेगा. साथ ही अब यहां रेटिना की सभी प्रकार की सर्जरी उपलब्ध हो गयी है. साथ ही आंखों के चेकअप के लिए एडवांस्ड तकनीक की मशीनें भी उपलब्ध हैं, जिसमें आंख की एंजियोग्रॉफी मशीन, लेजर मशीन और विट्रोक्टोमी मशीन शामिल हैं.
अधिकारी बोले
आईजीआईएमएस में आंखों के रेटिना की सर्जरी शुरू कर दी गयी है. शुक्रवार को पहला मौका था, जब दो मरीजों के रेटिना की सर्जरी की गयी. इसमें एक मरीज के पर्दे में ब्लड जम गया था जिसे सर्जरी के बाद हटाया गया. दोनों ही मरीजों के सफल ऑपरेशन किये गये. 10 से 15 दिनों के अंदर इनकी रोशनी लौट आयेगी. यहां बहुत कम रेट पर ही रेटिना की सर्जरी की जा रही है.
डॉ विभूति प्रसाद सिन्हा, विभागाध्यक्ष नेत्र विभाग
रेटिना सर्जरी के तीन स्टेप्स
-विट्रिक्टोमी : आंख में एक छोटा-सा चीरा लगाया जाता है, रेटिना को आंख की दीवार से चिपकाने की प्रक्रिया होती है.
-सिलिकॉन आइल इंजेक्शन : रेटिना बेहतर ढंग से चिपका रहे, इसके लिये तरल सिलिकॉन को इंजेक्शन के जरिये आंख में प्रवेश कराया जाता है.
-लेंस प्रत्यारोपण : रेटिनल डिटैचमेंट सर्जरी के छह महीने बाद सिलिकॉन आइल को आंख से निकाल कर लेंस ट्रांसप्लांट होगा.

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