पटना : राज्य के सरकारी आवासों में अफसरों की फिजुलखर्ची पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने गाइड लाइन जारी कर नये नियम बनाये हैं. नये नियम के मुताबिक, सरकारी आवास में किसी भी तरह का परिर्वन करने-कराने में अब अफसरों की मनमर्जी नहीं चलेगी. अब वे अपने हिसाब से साज-सज्जा नहीं करा पायेंगे. सरकारी आवास में किसी तरह का निर्माण कराने के लिए नक्शे को मुख्य वास्तुविद द्वारा अनुमोदित कराना होगा. इसके बाद अधीक्षण अभियंता द्वारा प्राक्कलन को स्वीकृत कराना अनिवार्य कर दिया गया है. इन सब कार्यों की प्रशासनिक स्वीकृति मिलने के बाद ही सरकारी आवास में निर्माण कराया जा सकता है.
सरकार आवास के कैंपस में वॉकिंग ट्रैक, महाराजा गेट, अतिरिक्त फॉल्स सिलिंग, तालाब निर्माण, आउटहाउस में टाइल्स आदि लगवाने-बनवाने के लिए अब इजाजत लेनी होगी. आवासीय उद्यान में भी एक्जॉटिक लाइट नहीं लगेंगी. सरकारी आवास में अब किसी प्रकार की वूडेन फ्लोरिंग-पैनलिंग की इजाजत नहीं होगी. किसी भी सूरत में एक आवास में वार्डरोब पर एक लाख से अधिक खर्च नहीं किया जा सकेगा. आवास में अब उपभोग किये जानेवाले बिजली उपकरण बल्ब, ट्यूबलाइट, पंखा आदि का वहन आवास में रहनेवाले को स्वयं खर्च करना पड़ेगा. अभियंताओं और ठीकेदारों पर दबाव बना कर अब अधिकारी अतिरिक्त काम भी नहीं करा सकेंगे. सरकार ने इस पर रोक लगा दी है.
सरकारी आवास में निर्माण और मरम्मत का कार्य भवन निर्माण विभाग देखता है. इसलिए विभाग ने गाइड लाइन जारी करते हुए काम तय कर दिया है. अब अतिरिक्त रसोईघर व भोजन कक्ष नहीं बनेगा. गृह विभाग व सुरक्षा एजेंसी की अनुशंसा के बगैर चहारदीवारी, गार्ड शेड, संतरी पोस्ट या ग्रिल आदि निर्माण नहीं किया जा सकेगा. आवास में लगे पेड़ों के काटने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. आवास में किसी तरह का परिवर्तन कराने के पहले मुख्य वास्तुविद द्वारा नक्शे को अनुमोदित कराया जायेगा. इसका प्राक्कलन अधीक्षण अभियंता द्वारा स्वीकृत होना अनिवार्य किया गया है. इन कार्यों की प्रशासनिक स्वीकृति मिलने के बाद आवास में काम कराया जा सकेगा.