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बिहार : 12 करोड़ की आबादी, 115 ने भरा देहदान का आवदेन, दो ने ही किया दान
आनंद तिवारी पटना : अचरज की बात यह है कि 12 करोड़ की आबादी वाले बिहार में अब तक केवल दो लोगों ने देहदान किया है. अंगदान के उदाहरण भी काफी कम हैं. जबकि बिहार में हजारों ऐसे मरीज हैं, जिन्हें किडनी और लिवर जैसे अंगों की जरूरत है. अंगदान और देहदान की आशा में […]
आनंद तिवारी
पटना : अचरज की बात यह है कि 12 करोड़ की आबादी वाले बिहार में अब तक केवल दो लोगों ने देहदान किया है. अंगदान के उदाहरण भी काफी कम हैं. जबकि बिहार में हजारों ऐसे मरीज हैं, जिन्हें किडनी और लिवर जैसे अंगों की जरूरत है.
अंगदान और देहदान की आशा में हजारों मरीज आधुनिक दधीचि के इंतजार में हैं. फिलहाल प्रदेश में अंगदान तो दूर देहदान से जुड़े फॉर्म को भरने और उसमें हस्ताक्षर करने से भी बच रहे हैं. मात्र 115 लोगों ने देहदान का फॉर्म भरा है.
ऐसा जागरूकता के अभाव की वजह से हो रहा है. दधीचि देह दान समिति के प्रयासों से अब तक सिर्फ दो लोगों ने ही देहदान किया है.
बिहार में ऑर्गेन बैंक को लेकर नहीं हुआ काम : केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से ऑर्गेन के लिए रजिस्टर्ड मरीजों की सूची ऑनलाइन करने के निर्देश दिये थे. लेकिन बिहार में इस पर अभी तक कोई काम नहीं हुआ है.
-अंगदान को सिर्फ 300 ने भरा फॉर्म: अब तक सिर्फ 300 लोगों ने ही अंगदान के लिए फॉर्म भरा है. सिर्फ 115 लोगों ने ही अपना पूर्ण शरीर दान देने के लिए फॉर्म भरा है. जिन दो लोगों ने देहदान दिया है, वे स्व विश्वनाथ राम और दूसरे नालंदा के रहने वाले बंगाली प्रसाद हैं.
हजारों मरीज अंगदान और देहदान की आशा में आधुनिक दधीचि के इंतजार मेंऑर्गेन डोनेशन बैंक की कमी व लोगों में जागरूकता नहीं होने के चलते पिछड़ा बिहार
-ऑर्गेन ट्रांसप्लांट बैंक का अभाव: शहर में चार साल पहले एक भी ट्रांसप्लांट सेंटर नहीं था. लेकिन आईजीआईएमएस में सेंटर बन जाने के चलते यह सुविधा मरीजों को मिल रही है. हालांकि अभी तक ऑर्गेन ट्रांसप्लांट के लिए बैंक नहीं हैं.
प्रदेश में अब तक कितने ट्रांसप्लांट
-यहां ट्रांसप्लांट में कम आता है खर्च: अन्य राज्यों व प्राइवेट अस्पतालों के मुकाबले पटना के आईजीआईएमएस में काफी कम खर्च में ट्रांसप्लांट होते हैं. वहीं दधीची देहदान समिति के कार्यालय मंत्री अविनाश कुमार ने बताया कि बीते दो वर्षों में इस दिशा में खास बदलाव हुआ है. लोग अब धीरे-धीरे नेत्रदान, किडनी दान कर रहे हैं.
पिछले तीन वर्ष में अंगदान को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है. खास कर नेत्रदान अधिक हो रहे हैं. लेकिन जब तक पूरे बिहार के सरकारी अस्पतालों में ऑर्गेन डोनेशन बैंक व आई बैंक की सुविधा नहीं होगी ट्रांसप्लांट की संख्या नहीं बढ़ेगी. ऑर्गेन डोनेशन बैंक को बढ़ाने की जरूरत है.
डॉ विभूति प्रसाद सिन्हा, विभागाध्यक्ष, आई बैंक
-वादे से मुकर जाते हैं परिजन: जिन व्यक्तियों का पंजीयन देहदान के लिए किया जाता है, उनकी मृत्यु के बाद विभाग का यह दायित्व बनता है कि परिजनों से उनकी बॉडी की मांग करे. जब टीम पहुंचती है, तो परिजन अपनों के वादे से फिर जाते हैं.
-तीन साल बाद भी नहीं बना सोटो: केंद्र सरकार ने पटना एम्स में स्टेट टिश्यू एंड ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन ( सोटो) बनाने का निर्णय लिया था. इस निर्णय के तीन साल बाद भी यह सेंटर तैयार नहीं हो पाया है. सोटो में ऑर्गेन बैंक होगा.
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