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टेस्ट में 60-70% ही पास हो पाया स्काडा सिस्टम
ट्रिपिंग से होने वाली परेशानी रहेगी बरकरार पटना : पिछले महीने 10 से 20 दिसंबर तक स्काडा सिस्टम का एबेबिलिटी टेस्ट किया गया. इसमें सिस्टम के 60 ये 70 फीसदी कंपोनेंट ही काम करने योग्य पाए गये. इसके कारण जनवरी के प्रथम सप्ताह से इसके इस्तेमाल का विचार छोड़ दिया गया. टेस्ट के दौरान सामने […]
ट्रिपिंग से होने वाली परेशानी रहेगी बरकरार
पटना : पिछले महीने 10 से 20 दिसंबर तक स्काडा सिस्टम का एबेबिलिटी टेस्ट किया गया. इसमें सिस्टम के 60 ये 70 फीसदी कंपोनेंट ही काम करने योग्य पाए गये. इसके कारण जनवरी के प्रथम सप्ताह से इसके इस्तेमाल का विचार छोड़ दिया गया. टेस्ट के दौरान सामने आई कमियों को दूर करने में अभी कम से कम एक महीना और लगेगा. तब तक ट्रिपिंग से होने वाली परेशानी बनी रहेगी. बिजली को रिस्टोर करना मशक्कत भरा होगा.
38 फीसदी डीसीयू बॉक्स नहीं कर रहे थे काम :
स्काडा सिस्टम में केबल फॉल्ट की जानकारी देने के लिए फॉल्ट पैसेज इंडिकेटर लगाये गये हैं. ये अपनी सूचनाओं को डीसीयू (डाटा कंसल्टेडेड यूनिट) बॉक्स के माध्यम से सीधे कंट्रोल रुम भेजते हैं. पूरे पटना में 547 फॉल्ट पैसेज इंडिकेटर और 343 डीसीयू बॉक्स लगाये गये हैं.
परीक्षण में केवल 216 डीसीयू बॉक्स ही सही ढंग से काम करते हुए पाये गये और 127(38 फीसदी) काम नहीं कर रहे थे. इसके कारण 351 फॉल्ट पैसेज इंडिकेटर की सूचनाएं ही कंट्रोल रुम तक पहुंच रही थी.
दिन भर में 10 से 50 बार होती ट्रिपिंग : पटना में 11 केवी के 180 फीडर और 33 केवी के 40 फीडर हैं. इनमें जाड़े में हर दिन 10 से 12 बार जबकि गर्मी में 20 से 50 बार के बीच ट्रिपिंग होती है. ट्रिपिंग स्थल की जानकारी पाने के लिए लाइनमैन और मिस्त्रियों को कई किलोमीटर लंबे लाइन का निरीक्षण करना पड़ता है.
इससे समय लगता है और बिजली को रिस्टोर करने में देरी होती है. स्काडा सिस्टम लागू होने के बाद कंट्रोल रूम में बैठे बैठे ही मालूम हो जायेगा कि कहां ट्रिपिंग हुई है. इससे सीधे ट्रिपिंग स्थल पर पहुंच कर जल्द मरम्मत करना संभव हो पायेगा और बिजली को जल्द रीस्टोर किया जायेगा. लेकिन सिस्टम एबेबिलिटी टेस्ट में पाई गई कमियों को देख कदर लगता है कि इन्हें दूर करने में स्काउा को कम से कम एक महीने का समय और लगेगा. फरवरी से पहले उसका इस्तेमाल करना संभव नहीं होगा.
स्काडा सिस्टम के तहत 305 आरएमयू(रिंग मेन यूनिट) लगे हैं. हर आरएमयू में एक एफआरटीयू(फिल्ड रिमोट टर्मिनल यूनिट) लगा है, जिसके माध्यम से आरएमयू कंट्रोल रूम से जुड़ा रहता है.
सिस्टम एबेबिलिटी टेस्ट के दौरान 305 में केवल 200 एफआरटीयू ही ऑन लाइन एक्सेस हुआ. 80 आरएमयू काम नहीं कर रहा था, क्योंकि जहां से यह पावर लेता है, उस प्वाइंट पर वोल्टेज की कमी थी. 25 आरएमयू खराब होने की वजह से काम करने की स्थिति में नहीं पाये गये. आरएमयू की खराबी की वजह से उसके साथ संबद्ध एफआरटीयू भी काम नहीं कर रहे थे.
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