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स्वच्छता सर्वेक्षण, स्मार्ट सिटी और प्रकाश पर्व की तैयारी में बीता साल, मुद्दे बरकरार
अनिकेत त्रिवेदी पटना : दो दिन बाद साल 2017 समाप्त हो जायेगा. पूरे साल क्या किया, क्या उपलब्धि मिली, कहां चूक हुई, इस पर मंथन कर आम से लेकर खास तक नयी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने की तैयारी के साथ नये साल का स्वागत करने में जुट गये हैं. लेकिन, कई ऐसी संस्थाएं भी […]
अनिकेत त्रिवेदी
पटना : दो दिन बाद साल 2017 समाप्त हो जायेगा. पूरे साल क्या किया, क्या उपलब्धि मिली, कहां चूक हुई, इस पर मंथन कर आम से लेकर खास तक नयी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने की तैयारी के साथ नये साल का स्वागत करने में जुट गये हैं.
लेकिन, कई ऐसी संस्थाएं भी हैं जो पुराने और बुनियादी मुद्दों को बिना दुरुस्त किये नये में लग जाती हैं और अक्सर अपनी कमियों के कारण अपना उपहास उड़वाती हैं. इन्हीं में से एक है हमारा नगर निगम. इस वर्ष निगम कई नये कामों में लगा रहा. स्वच्छता सर्वेक्षण 2017 से निगम की बात शुरू हुई. दो माह तक सर्वेक्षण की हवा बनती रही. इसके बाद शहर का चयन स्मार्ट सिटी में हुआ.
दो माह तक इस पर भी तैयारी होती रही. कई बैठकों का दौर चला. फिर प्रकाश पर्व की शुरुआत व समापन दौर रहा. जहां तक निगम की ओर से किये जाने वाले बुनियादी समस्याअों को दूर करने का सवाल है तो इन पर निगम ने इस साल भी कुछ विशेष नहीं किया. सफाई से लेकर पेयजल, जल-जमाव और कचरा निस्तारण के मुद्दे पर सिर्फ बयानबाजी होती रही. निगम ने 55 वार्डों में डोर-टू-डोर कचरा उठाव योजना की शुरुआत की, लेकिन परिणाम सिफर रहा. बरसात के दौरान जल जमाव की समस्या ने भी खूब किरकिरी करायी. आने वाले वर्षों में निगम को एक बार फिर से उन्हीं मुद्दों पर काम करना होगा.
पेयजल आपूर्ति की सिर्फ बनती रही डीपीआर : बीते छह माह में निगम के भी नये मुहल्ले में पानी की पाइप नहीं दौड़ाई. यहां तक की पानी पहुंचाने के लिए निगम ने कोई योजना भी नहीं तैयार की. नगर विकास व आवास विभाग के माध्यम से सिर्फ योजना का डीपीआर बनता रहा, लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं हुआ.
लंबे समय बाद इस साल डोर-टू-डोर कचरा उठाव प्रारंभ हुआ, लेकिन सात माह में ही इसकी हवा निकलने लगी. डोर-टू-डोर कचरा उठाव से जुड़ी दोनों एजेंसियां लापरवाही कर रही हैं.
स्वच्छता सर्वेक्षण में भी पटना शहर का स्थान 150 से अधिक रहा है. निगम ने रात में सड़कों की सफाई बंद कर दी. सफाई के उपकरण भी नहीं है. एक हजार से अधिक डस्टबीन खरीदने के बाद भी सड़क पर कचरा पड़ा रहता है.
जलजमाव : नालों पर नहीं बनी सड़क : इस वर्ष बड़े नालों के अलावा कैचपिट व मेनहोल की सफाई के लिए सात करोड़ रुपये निगम को दिया गया था. नगर विकास के माध्यम से कई बड़े नालों का निर्माण प्रस्तावित है. इसको पक्का कर इन पर सड़क का निर्माण किया जाना है. जो तीन वर्षों से योजना में चल रहा है. कई संप हाउसों का निर्माण भी होना है.
कई छोटे नालों का निर्माण किया गया. ऐसा कुछ भी नहीं हुआ कि अगले वर्ष बारिश होने पर आधे शहर में भी पानी जमाव की समस्या नहीं हो.
अतिक्रमण : सिर्फ वेंडिंग जोन के लिए होती रहीं बैठकें : शहर में पेयजल, सफाई के बाद तीसरी बड़ी समस्या मुख्य सड़कों से लेकर सहायक सड़कों यहां तक की गली-मुहल्लों में भी अतिक्रमण की समस्या है. निगम अतिक्रमण हटाने व शहरमें वेंडिंग जोन तय करने के लिए सिर्फ बैठकें करता रहा. एक दर्जन बैठकें हुई, लेकिन कुछ भी तय नहीं हुआ.
वाहन पार्किंग की समस्या : कुछ भी नहीं हुआ : शहर में वाहन पार्किंग की समस्या काफी पुरानी है.पूरे शहर में नगर निगम ने 52 जगहों पर वाहन पार्किंग की जगह चिह्नित किया है. बावजूद इसके नगर निगम ने तीन से चार जगहों पर ही टेंडर कर पार्किंग दी है. इसके अलावा अन्य जगहों पर या तो अतिक्रमण है या अवैध रूप से पार्किंग वसूली की जा रही है. इस लापरवाही से सड़कों पर वाहन पार्किंग कीसमस्या होती है.
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