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मनमाना रवैया, प्रावधानों के बावजूद फेल किये जाते हैं बच्चे

खुद को आरटीई से अलग बताते हैं स्कूल पटना : प्राइवेट स्कूलों में आरटीई के नियम व प्रावधानों की अनदेखी आम बात है, जहां आठवीं कक्षा तक बच्चों को फेल कर दिया जाता है. पढ़ाई में कमजोर बच्चों को स्कूल फेल घोषित नहीं करते, न ही उनके रिपोर्ट कार्ड पर इस तरह के शब्दों का […]

खुद को आरटीई से अलग बताते हैं स्कूल
पटना : प्राइवेट स्कूलों में आरटीई के नियम व प्रावधानों की अनदेखी आम बात है, जहां आठवीं कक्षा तक बच्चों को फेल कर दिया जाता है. पढ़ाई में कमजोर बच्चों को स्कूल फेल घोषित नहीं करते, न ही उनके रिपोर्ट कार्ड पर इस तरह के शब्दों का उल्लेख होता है, लेकिन उन्हें अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाता है.
रिपोर्ट कार्ड में प्रमोशन के कॉलम में ‘नॉट प्रमोटेड’ या नॉट ग्रांटेड शब्द लिख दिया जाता है. उसके बाद अभिभावकों को बुला कर बच्चे को स्कूल से हटा कर अन्यत्र एडमिशन कराने की सलाह दी जाती है. बावजूद अभिभावक नहीं मानते हैं, तो उन पर दबाव बना कर टीसी लेने को मजबूर कर दिया जाता है. इसके बाद बच्चे का अन्य स्कूल में दाखिला मुश्किल हो जाता है. हालांकि मौजूद सत्र की वार्षिक परीक्षा अभी होनी है, लेकिन पिछले वर्ष तक ऐसे कुछ मामले राजधानी में भी प्रकाश में आते रहे हैं.
क्या है आरटीई का प्रावधान : शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम-2009 के तहत 14 वर्ष तक के बच्चों को आठवीं कक्षा तक की अनिवार्य रूप से शिक्षा देनी है. अधिनियम के तहत आठवीं कक्षा तक के बच्चों को फेल भी नहीं किया जा सकता है, न ही उन्हें अगली कक्षा के लिए उनका प्रमोशन रोका जा सकता है.
आठवीं कक्षा में प्रदर्शन संतोषजनक नहींहोने के बावजूद उन्हें नौवीं कक्षा में प्रमोट किया जाना है. इस दायरे में माइनॉरिटी मिश्नरी स्कूल भी आते हैं. केवल कमजोर एवं अभिवंचित वर्ग के बच्चों के लिए 25 प्रतिशत सीटों पर एडमिशन की बाध्यता से ऐसे स्कूलों को छूट है.
क्या कहते हैं अभिभावक
ऐसे स्कूल खुद को माइनॉरिटी बता कर आरटीई के दायरे से अलग बताते हैं. कहते हैं कि वे आरटीई के किसी नियम को मानने को बाध्य नहीं हैं. यही बात कर कर मुझे टीसी लेने के बाध्य कर दिया गया. मेरी बेटी निचली कक्षाओं में पढ़ने में अच्छी थी, लेकिन स्कूल ने उस पर ध्यान नहीं दिया. इस कारण वह कमजोर होती गयी. बाद में अपनी नाकामी मेरी बेटी (छात्रा) के सिर मढ़ दिया.
बृजेंद्र कुमार, अभिभावक
हमारा स्कूल माइनॉरिटी है. इसलिए हम आरटीई के नियम को मानने को बाध्य नहीं हैं. हर विद्यार्थी पर हम बराबर ध्यान देते हैं, ताकि उसका समुचित विकास हो. हम किसी के साथ भेदभाव नहीं करते.
सिस्टर लुसिना, प्राचार्या, संत जोसेफ कॉन्वेंट हाइ स्कूल

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