Advertisement
खटारा गाड़ियों से गश्ती, कैदियों को कोर्ट भेजने के लिए निजी वाहनों का ही सहारा
नितिश पटना : पटना पुलिस अपने आप को कितना भी हाईटेक कह ले, लेकिन हकीकत यह है कि खटारा गाड़ी पर सवार पुलिस मुस्तैद रहने के बाद भी अपराधी को पकड़ने में लेट दो जाती है. ग्रामीण थानों की बात तो दूर पटना शहर के थानों में भी वाहनों की कमी है जिसका असर गश्ती […]
नितिश
पटना : पटना पुलिस अपने आप को कितना भी हाईटेक कह ले, लेकिन हकीकत यह है कि खटारा गाड़ी पर सवार पुलिस मुस्तैद रहने के बाद भी अपराधी को पकड़ने में लेट दो जाती है. ग्रामीण थानों की बात तो दूर पटना शहर के थानों में भी वाहनों की कमी है जिसका असर गश्ती के साथ ही अन्य कार्य पर पड़ता है. आलम यह है कि वाहनों की कमी के कारण गश्ती तो प्रभावित होती ही है, कैदियों को भी न्यायालय ले जाने के लिए टेंपो का सहारा लेना पड़ता है.
यह सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी सही नहीं है, लेकिन फिर भी पुलिस की मजबूरी है कि वह टेंपो या निजी वाहन से ही कैदियों को न्यायालय ले जाती है.
गौरतलब है कि शराबबंदी के बाद गिरफ्तारियों की संख्या काफी बढ़ गयी है. प्रतिदिन हर थाने में शराब को लेकर गिरफ्तारी होती है. उनका मेडिकल जांच कराने के साथ ही न्यायालय में उपस्थित कराना भी पुलिस के लिए एक बड़ा टास्क हो गया है. शराब पीने के आरोपितों को टेंपों से ही मेडिकल जांच कराने के लिए ले जाया जाता है और न्यायालय भी इसी व्यवस्था के तहत पहुंचाया जाता है.
तीन से चार वाहन हैं एक थाने में : पटना शहर के प्रमुख थाने मसलन कोतवाली, गांधी मैदान, बुद्धा कॉलोनी, एस के पूरी, पाटलिपुत्र, शास्त्रीनगर, सचिवालय, कंकड़बाग, पत्रकार नगर, जक्कनपुर, कदमकुआं, पीरबहोर, गर्दनीबाग, दीघा आदि में तीन से चार वाहन हैं. इन थानों का क्षेत्र काफी बड़ा है और एक थाना क्षेत्र में दर्जनों सड़कें व गलियां हैं जिसकी 24 घंटे गश्ती करना इन वाहनों से संभव नहीं है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement