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रिमांड पूरी, विनय समेत सभी पांच आरोपित गये जेल

पटना : शौचालय निर्माण घोटाला मामले में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर विनय कुमार सिन्हा समेत सभी पांच आरोपितों के रिमांड की अवधि रविवार को पूरी हो गयी. दोपहर बाद सभी आरोपितों को बेऊर जेल भेज दिया गया है. इससे पहले पुलिस ने दो दिनों तक पूछताछ की. इसके बाद अब इस केस में फरार चल रहे अन्य […]

पटना : शौचालय निर्माण घोटाला मामले में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर विनय कुमार सिन्हा समेत सभी पांच आरोपितों के रिमांड की अवधि रविवार को पूरी हो गयी. दोपहर बाद सभी आरोपितों को बेऊर जेल भेज दिया गया है. इससे पहले पुलिस ने दो दिनों तक पूछताछ की.
इसके बाद अब इस केस में फरार चल रहे अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने प्रयास शुरू कर दिया है. कई जगहों पर छापेमारी हुई है. कुछ टीमें पटना से बाहर भी छापेमारी कर रही हैं. सूत्राें की मानें, तो घोटाले की जांच को आगे बढ़ाने के लिए कुछ और ब्लाॅक समन्वयकों की गिरफ्तारी जरूरी है. इसके लिए छापेमारी की जा रही है.
घोटाले में विनय और बिटेश्वर का है मुख्य किरदार : शौचालय घोटाले के मुख्य किरदार पीएचईडी विभाग के विनय कुमार सिन्हा और कैशियर बिटेश्वर प्रसाद हैं. दोनों ने मिल कर घोटलों की साजिश रची है. सूत्रों के मुताबिक नवादा के एनजीओ संचालक उदय की पत्नी सुमन कुमारी से बिटेश्वर की पुरानी जान-पहचान थी.
पटना. शौचालय निर्माण में बार-बार गड़बड़ी व फर्जीवाड़ा मिलने के बाद यह नियम बनाया गया है. आगे से बनने वाले शौचालय का पैसा उस वक्त तक लाभुकों के एकाउंट में भेजा जायेगा, जब तक उस शौचालय की जियो टैगिंग नहीं कर दी जाये. इसके लिए ब्लॉक एवं अन्य अधिकारी जाकर स्थल निरीक्षण करेंगे. उसके बाद उस स्थल की जियो टैगिंग की जायेगी.
इस प्रक्रिया से शौचालय निर्माण में होने वाले फर्जीवाड़ा व गड़बड़ी को रोका जाना संभव हो पायेगा. पिछले एक माह में 30 हजार शौचालय को जियो टैग किया गया है. अब इनके लाभुकों को पैसा दिया जायेगा. अगर शौचालय निर्माण में किसी भी तरह की गड़बड़ी मिलेगी, तो सबसे पहले ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर व बीडीओ पर कार्रवाई होगी.
मोबाइल एप से मॉनीटरिंग
शौचालय निर्माण में कोताही नहीं हो, इसको लेकर हर कार्य की माॅनीटरिंग मोबाइल एप के माध्यम से हो रही है. ब्लॉक काे-ऑर्डिनेटर को स्थल निरीक्षण करने का निर्देश दिया गया है. इसके अलावा उस वक्त तक लाभुकों के एकाउंट में पैसा नहीं जायेगा, जब तक उस शौचालय की जियो टैगिंग नहीं की जायेगी.
डॉ आदित्य प्रकाश, डीडीसी, पटना
इस प्रक्रिया के तहत शौचालय निर्माण का स्थल निरीक्षण किया जायेगा. उसकी तस्वीर लाभुक के साथ खींची जायेगी. इसमें शौचालय व लाभुक दोनों साफ दिखेंगे. इसके बाद उस शौचालय की जियो टैगिंग की जायेगी और उसके बाद इस निर्माण को कोई भी व्यक्ति स्वच्छ मिशन की वेबसाइट पर देख पायेंगे. ऐसे में कागजों पर फर्जी निर्माण नहीं हो पायेगा और कोई भी पुराने शौचालय के निर्माण को दिखा कर पैसा नहीं ले पायेंगे.

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